खबर शहर , UP News: नंदगांव के 'विनोद' ने तराशी है सुप्रीम कोर्ट में लगी न्याय की देवी की मूर्ति, जानें पूरी कहानी – INA

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हाल ही में देश की सर्वोच्च न्यायालय में ऐतिहासिक बदलाव किया गया है। यहां लगी न्याय की देवी की मूर्ति सीजेआई के आदेश पर बदली गई है। अब एक नई मूर्ति स्थापित की गई है। पहले की और नई मूर्ति में यह अंतर है कि पहले की मूर्ति में काली पट्टी बंधी थी, अब जो मूर्ति स्थापित की गई है, उसकी आंखों में काली पट्टी नहीं बंधी है।

सुप्रीम कोर्ट में स्थापित नई मूर्ति को प्रोफेसर विनोद गोस्वामी और उनकी टीम ने तरासा है। प्रो. विनोद मथुरा जिले के नंदगांव के रहने वाले हैं। यह मूर्ति उन्होंने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ के निर्देश पर तरासा है। मूर्ति में न्याय की देवी को साड़ी पहनाई गई है। उनकी आंखों से काली पट्टी भी हटा दी गई है।


साथ ही उनके हाथ में तलवार की जगह भारतीय संविधान की पुस्तक पकड़ाई गई है। विनोद गोस्वामी और उनकी टीम ने इसे अप्रैल 2023 में तैयार कर लिया था। यह मूर्ति फाइबर ग्लास युक्त है। इसका वजन करीब 100 किग्रा है। देखने में यह सफेद संगमरमर से बनी मूर्ति प्रतीत होती है। 


नंदगांव के रहने वाले प्रो. विनोद गोस्वामी वर्तमान में नई दिल्ली के कालेज ऑफ आर्ट में कार्यरत हैं। इनके कार्यों का संग्रह दिल्ली मेट्रो, हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड, हिंदुस्तान शिव पार्क लिमिटेड, गोवर्धन बस स्टैंड आदि स्थलों में देखा जा सकता है। लगभग 30 वर्ष के लंबे अंतराल में इनको कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं।  


फोन पर हुई बातचीत में विनोद ने बताया कि इस ऐतिहासिक प्रतिमा को बनाने के लिए लगभग छह माह में कई रेखांकन किए गए। इसके बाद जो मूर्ति स्थापित की गई है, इसे फाइनल किया गया। बताया इस मूर्ति को बनाने की प्रेरणा उन्हें शनिदेव की मां ‘छाया’ से मिली थी। क्योंकि, शनिदेव न्याय के देवता हैं। उनकी मां छाया उनकी गुरु रही हैं। बताया कि इस ऐतिहासिक कार्य को करना वह अपना सौभाग्य मानते हैं। उन्होंने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का आभारा व्यक्त किया। 


Credit By Amar Ujala

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