खबर शहर , UP News: शाहजहांपुर में खोदाई के दौरान मिली नींव जैसी संरचना, प्राचीन गढ़ी के अवशेष होने की संभावना – INA

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शाहजहांपुर के सिंधौली थाना क्षेत्र के गांव गोरारायपुर में खोदाई के दौरान ईंटों से बनी नींव जैसी संरचना मिली है, जो करीब 20 फुट तक फैली है। माना जा रहा है कि यह नींव प्राचीन गढ़ी का हिस्सा है। निगोही और सिंधौली क्षेत्र में पहले भी पुरातात्विक महत्व की वस्तुएं मिलती रही हैं। 

प्रधान सुमनलता के बेटे संजय दीक्षित ने बताया कि मनरेगा के तहत खोदाई चल रही थी। इसमें जमीन के नीचे से पूरी नींव व पत्थर मिले हैं। 20 फुट लंबाई तक खोदाई हुई है। नींव पूरे हिस्से में फैली है। कहा कि वह क्षेत्र के पुरातात्विक उत्खनन के लिए प्रयास करेंगे। 
कई संस्कृतियों के दबे होने की संभावना
एसएस कॉलेज में इतिहास के विभागाध्यक्ष डॉ. विकास खुराना ने बताया कि पहले से ही गोरारायपुर स्थित गढ़ी के विधिवत उत्खनन की मांग की जा रही है। इस पर अभी तक सुनवाई नहीं हुई है। यह बस्ती अत्यंत प्राचीन है। यहां तीन से सात संस्कृतियों के अवशेषों के दबे होने की संभावना है। 
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गोरारायपुर जिले के प्राचीनतम इतिहास से लेकर वर्तमान समय तक का साक्षी है। अगर इसकी एक बार विधिवत खोदाई हो जाए तो जनपद के प्राचीन गौरवशाली इतिहास की बहुत-सी जानकारी मिल सकती है। यह माना जाता है कि यहां कोई प्राचीन बस्ती रही है। कुछ सिक्के भी मिलते रहे हैं। 


यह है गढ़ी का इतिहास 
डॉ. विकास खुराना ने बताया कि ईसा पूर्व छठवीं सदी में यह प्राचीन अहिच्छत्र जनपद के अंतर्गत स्थित गढ़ी थी। यहां अभी तक अहिच्छत्र और कुषाणकालीन सिक्के बहुतायत में मिलते रहे हैं। इस टीले की ओर सबसे पहला ध्यान संयुक्त प्रांत के पहले पुरातात्विक महानिदेशक एए फ्यूहरर ने आकर्षित किया था। उन्होंने इसके उत्खनन के लिए वर्ष 1892 में पहल भी की थी, लेकिन योजना को मूर्तरूप नहीं मिल सका। 

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शाहजहांपुर के ब्रिटिश कालीन गजेटियर में इसे चीन-भारत यात्रा मार्ग का महत्वपूर्ण पड़ाव बताता है। यहां तक कि मशहूर चीनी यात्री फाहियान ने अपने यात्रा वृतांत में यहां स्थित एक बड़े बुद्ध विहार का उल्लेख किया है। 12वीं सदी में यह स्थान विख्यात कठेरिया राजपूत पीठ के रूप में स्थापित हो गया था।


Credit By Amar Ujala

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