जौनपुर में छात्रा के चालान को लेकर हुआ विवाद, जफराबाद थाना प्रभारी ने दिखाई संवेदनशीलता

जौनपुर,: जौनपुर जनपद के जफराबाद थाना क्षेत्र में शनिवार की शाम एक दिलचस्प घटना सामने आई, जिसमें एक दरोगा द्वारा छात्रा को स्कूटी चालान करने के प्रयास ने एक छोटे से विवाद को जन्म दिया, परन्तु तत्कालीन थाना प्रभारी की त्वरित कार्रवाई से स्थिति को बिगड़ने से रोका जा सका। इस घटना ने एक बार फिर पुलिस की भूमिका और जनता के प्रति उनके उत्तरदायित्व पर चर्चा छेड़ दी है।

घटना जफराबाद थाना क्षेत्र के सरैयां मोड़ पर घटी। पौना गांव की निवासी छात्रा रिया यादव अपनी माँ को स्कूटी पर बैठाकर जौनपुर शहर से घर लौट रही थीं। इस दौरान जफराबाद थाने के दरोगा संजय कुमार ने उनकी स्कूटी को रोक दिया और चालान करने की बात करने लगे। छात्रा ने इस पर अपने परिजनों को सूचित किया।

छात्रा के परिजन, प्रेम यादव और विनोद यादव, घटनास्थल पर पहुँचे और दरोगा से अनुरोध किया कि उनकी बेटी रोजाना इसी मार्ग से आती-जाती है और घर में शादी का कार्यक्रम भी चल रहा है, अतः चालान न किया जाए। परन्तु, इस अनुरोध को दरोगा द्वारा ठुकरा दिए जाने पर दोनों पक्षों के बीच वाद-विवाद शुरू हो गया। स्थिति कुछ बिगड़ती हुई नज़र आ रही थी।

परिजन ने मामले की जानकारी उच्च अधिकारियों को टेलीफोन पर दी। सूचना मिलते ही थाना प्रभारी जफराबाद, जय प्रकाश यादव, तत्काल मौके पर पहुँचे और उन्होंने दरोगा संजय कुमार को वहाँ से हटाने का निर्देश दिया। इसके बाद स्थिति नियंत्रण में आई और विवाद शांत हुआ।

इस घटना के बाद, परिजनों ने दरोगा संजय कुमार पर अभद्र व्यवहार का आरोप लगाया है। हालांकि, सीओ सिटी देवेश सिंह ने बताया कि अभी तक कोई लिखित शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि यदि कोई शिकायत मिलती है तो इसकी जाँच कर उचित कार्रवाई की जाएगी।

यह घटना पुलिस और आम जनता के बीच के संबंधों पर एक महत्वपूर्ण प्रकाश डालती है। हालांकि, दरोगा का छात्रा को रोककर चालान करने का प्रयास नियमों के अनुसार हो सकता है, लेकिन स्थिति को संभालने के तरीके पर सवाल उठते हैं। एक छात्रा, जो अपनी माँ को स्कूटी पर बैठाकर घर जा रही थी, के साथ इस तरह का व्यवहार उचित नहीं माना जा सकता। यहाँ पर पुलिस की संवेदनशीलता और समझदारी की कमी साफ़ नज़र आती है।

थाना प्रभारी जय प्रकाश यादव की त्वरित कार्रवाई सराहनीय है। उन्होंने स्थिति को बिगड़ने से रोककर और दरोगा को हटाकर एक अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है। यह दर्शाता है कि एक जिम्मेदार अधिकारी कैसे एक छोटे से विवाद को बड़े विवाद में बदलने से रोक सकता है।

इस घटना से यह भी पता चलता है कि पुलिस को जनता के प्रति अधिक संवेदनशील होने की आवश्यकता है। कानून का पालन कराना जरुरी है, परन्तु ऐसा तरीके से करना चाहिए जिससे जनता में पुलिस के प्रति विश्वास बना रहे। पुलिस को जनता की समस्याओं को समझने और उनके साथ सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करने की आवश्यकता है।

आशा है कि इस घटना के बाद पुलिस विभाग अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करेगा और अधिकारियों को जनता के प्रति संवेदनशीलता और समझदारी से काम करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह घटना एक सबक है कि कानून का पालन करते हुए भी मानवीयता और संवेदनशीलता का ध्यान रखना बेहद जरुरी है।

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