दुनियां – अमेरिका का वो आइलैंड जिसने चुनाव में बढ़ा दी हैं ट्रंप की मुश्किलें, क्या होगा असर? – #INA

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से महज 7 दिन पहले, एक विवाद डोनाल्ड ट्रंप की जीत की राह में रोड़ा बनकर खड़ा हो गया है. दरअसल न्यूयॉर्क के मैडिसन स्क्वायर गार्डन में ट्रंप ने एक रैली आयोजित की थी. जिसमें टोनी हिंचक्लिफ नाम के एक अमेरिकी कॉमेडियन ने ऐसा भद्दा मजाक किया जो लोगों को रास नहीं आया. इस मजाक का केंद्र कैरेबियाई सागर में क्यूबा के नजदीक स्थित छोटा सा द्वीप प्यूर्टो रिको था, जो अमेरिका का 1898 से हिस्सा रहा है.
हिंचक्लिफ ने इसी द्वीप को ‘समुद्र में तैरता कूड़े का टापू’ कह दिया. इस एक बयान ने इतना तूल पकड़ा कि प्यूर्टो रिको के सबसे बड़े अखबार El Nuevo Día ने डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस को समर्थन देने की बात कह दी. अभिनेत्री जेनिफर लोपेज सहित दुनिया के सबसे बड़े रिकॉर्डिंग कलाकारों में से एक सुपरस्टार बैड बनी और गायक रिकी मार्टिन ने भी नाराजगी जाहिर की. डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं ने भी इस घटना को भुनाने में कोई कर कसर नहीं छोड़ी है.
आलोचनाओं से घिरे ट्रंप ने खुद को हिंचक्लिफ के बयान से किनारा कर लिया है. ट्रंप की तरफ से की गई डैमेज कंट्रोल की ये कोशिश इस बात का अंदाजा लगाने के लिए काफी है कि प्यूर्टो रिको चुनाव पर असर डालने की कितनी ताकत रखता है. आइए इसी हवाले से इस छोटे से द्वीप प्यूर्टो रिको के बारे में जानते हैं, चुनाव में इनका वोट कितना महत्वपूर्ण साबित होने वाला है?
अमेरिकी चुनाव में वोट नहीं करते…मगर
प्यूर्टो रिको तकनीकी रूप से अमेरिकी स्वशासित राज्य है. साल 1898 से अमेरिका का हिस्सा रहा है. इस कैरेबियाई द्वीप पर जन्मा हर व्यक्ति अमेरिकी नागरिक ही कहलाता है. इनके पास अमेरिकी पासपोर्ट भी है. हालांकि यहां के लोग तब तक अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में वोट नहीं डालते जब तक कि वे अमेरिका के 50 राज्यों में से किसी एक में रजिस्टर्ड वोटर न हो.
यहां की संस्कृति पर स्पैनिश और अफ्रीकी प्रभावों का मिश्रण है. यहां अधिकतर लोग स्पैनिश बोलते हैं. 2020 की जनगणना के मुताबिक, प्यूर्टो रिको द्वीप पर 34 लाख निवासी रहते हैं. हर साल इस द्वीप पर लाखों टूरिस्ट भी आते हैं लेकिन कुछ बरसों में बढ़ते कर्जे, गरीबी और बेरोजगारी की वजह से बड़ी संख्या में लोग अमेरिका भी जाते रहते हैं.
इस वजह से अहम है प्यूर्टो रिको
अमेरिका के 50 राज्यों में से एक में लाखों की संख्या में प्यूर्टो रिको के नागरिक रहते हैं. जिनके पास चुनावों में वोटिंग का अधिकार है. प्यू रिसर्च सेंटर के एक अनुमान की मानें तो लगभग 60 लाख प्यूर्टो रिको मतदाता यूएस में रहते हैं. कहा जा रहा कि ट्रंप की रैली में जो कुछ भी हुआ उसकी वजह से ये मतदाता 5 नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में निर्णायक साबित हो सकते हैं. खासकर से बैटलग्राउंड स्टेट्स में जिन्हें स्विंग स्टेट्स भी कहा जाता है. इन कुछ राज्यों में प्यूर्टो रिको से आए लोग बड़ी संख्या में रहते हैं.
हालांकि एक्सपर्ट बता रहे हैं कि अमेरिका के सबसे बड़े स्विंग राज्यों में से एक पेंसिल्वेनिया में रहने वाले प्यूर्टो रिकन चुनाव का रूख बदल सकते हैं. पेंसिल्वेनिया में फिलहाल करीब 4 लाख 50 हजार प्यूर्टो रिकन मतदाता हैं यानी इस राज्य की कुल आबादी का लगभग 3.7 फीसदी. इसलिए यह बहुत हद तक संभव है कि कुछ प्यूर्टो रिकन जो ट्रम्प को वोट देने का मन बना चुके थे वे नाराजगी में हैरिस को वोट देंगे या वोट देने से ही दूरी बना ले.
हालिया सर्वे के मुताबिक कमला हैरिस या डोनाल्ड ट्रंप में से कौन राष्ट्रपति की कुर्सी तक पहुंचेगा इसका फैसला शायद इस चुनाव में पेंसिल्वेनिया राज्य ही करने वाला है. यहां इलेक्टोरल वोट्स की संख्या 19 है जो 270 का जादुई आंकड़ा पार करने में किसी भी उम्मीदवार के लिए अहम है.
यहां चुनाव इतने कांटे का है कि कुछ हजार वोट से भी कोई जीत सकता है. ऐसा दो बार हो भी चुका है. पिछले चुनावों में पेंसिल्वेनिया में जो बाइडेन को महज 82 हजार वोटों से जीत मिली थी तो वहीं साल 2016 में यहां ट्रंप जीते थे मगर सिर्फ 44 हजार मतों से.
सिर्फ पेंसिल्वेनिया ही नहीं बल्कि प्यूर्टो रिकन्स की नाराजगी का खामियाजा ट्रंप को जॉर्जिया में भी उठाना पड़ सकता है. जॉर्जिया में इनकी आबादी 1 लाख 31 हजार है, राज्य की कुल आबादी का 1 फीसदी से अधिक. वहीं एक और स्विंग स्टेट नॉर्थ केरोलिना में भी प्यूर्टो रिकन की अच्छी खासी आबादी रहती है.
स्विंग राज्यों के अलावा कहां प्रभाव?
प्यूर्टो रिकन्स का प्रभाव सिर्फ बैटलग्राउंड स्टेट्स तक ही सीमित नहीं है. बल्कि दूसरे राज्यों में ही उतना ही असर चुनाव पर डाल सकते हैं. मिसाल के तौर पर फ्लोरिडा, जहां 11 लाख के करीब प्यूर्टो रिकन्स मतदाता है यानी राज्य की आबादी का कुल 5.6 फीसदी.
कनेक्टिकट वहीं 2 लाख 99हजार प्यूर्टो रिकन्स का घर है, यानी कुल आबादी की 8.3 फीसदी. न्यूयॉर्क में प्यूर्टो रिको से आने वाले क़रीब 10 लाख लोग रहते हैं. इन लोगों को भी हिंचक्लिफ के बयान से आपत्ति हैं और इनकी यही नाराजगी ट्रंप को यहां भारी पड़ सकती है.
प्यूर्टो रिको को राज्य का दर्जा क्यों नहीं?
प्यूर्टो रिको को राज्य का दर्जा न दिए जाने पर वर्षों से बहस चल रही है. स्पैनिश-अमेरिकन युद्ध के बाद 1898 में स्पेन ने इसे अमेरिका को सौंप दिया था. तब से ये अमेरिका का ही हिस्सा रहा है. अमेरिका संसद जिसे कांग्रेस कहा जाता है वो आर्थिक लागतों की वजह से प्यूर्टो रिको को राज्य का दर्जा नहीं देना चाहती है.
इसके साथ ही ये चिंता भी नत्थी है कि ऐसा करने से वाशिंगटन में शक्ति संतुलन में भी बदलाव करना पड़ेगा. माने अगर यह एक राज्य बन गया तो संसद के उच्च सदन सीनेट में दो सीनेटर भी जोड़ने पड़ेंगे. अमेरिका में फिलहाल 50 राज्य है तो हर राज्य से दो सीनेटर चुने जाते हैं जिनकी संख्या अभी 100 है. 2020 में ही प्यूर्टो रिको में पोल करवाया गया था जिसमें भाग लेने वाले आधे से ज्यादा वोटर्स की राय थी कि इसे राज्य का दर्जा देना चाहिए.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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