दुनियां – अमेरिका की इस हरकत से बौखलाया चीन, ‘एक चीन’ नीति से पीछे हटने का लगाया आरोप – #INA

चीन और अमेरिका एक-दूसरे के खिलाफ रणनीतिक फैसले लेने से कभी नहीं चूकते हैं. जहां चीन, अमेरिका के सबसे बड़े 2 दुश्मनों रूस और ईरान के साथ नजदीकी बढ़ा रहा है तो वहीं बीते कुछ वर्षों से अमेरिका ने भी ताइवान का साथ देकर चीन को चिढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.
दरअसल चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और ताइवान के साथ किसी भी देश की ओर से डिप्लोमेटिक या किसी भी तरह के संबंध स्थापित करने की कोशिश को वह अपनी संप्रभुता पर हमला करार देता है. अभी कुछ दिनों पहले ही चीन की सेनाओं ताइवान को चारों ओर से घेरकर मिलिट्री ड्रिल किया. बीजिंग के इस कदम को चेतावनी के तौर पर देखा गया जो कि ताइवान की सरकार और उसके समर्थकों के लिए थी.
हथियार डील से चीन को टेंशन!
वहीं अब अमेरिका सरकार के एक कदम ने चीन की बौखलाहट को बढ़ा दिया है. दरअसल शुक्रवार को अमेरिकी विदेश विभाग ने ताइवान के लिए 2 बिलियन डॉलर के हथियार बिक्री पैकेज को मंजूरी दी है, जिसमें जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल सिस्टम और रडार शामिल हैं, इसे एशिया पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य ताकत का मुकाबला करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है.
हालांकि इस डील को अभी अमेरिकी कांग्रेस से मंजूरी नहीं मिली है लेकिन माना जा रहा है कि जल्द ही कांग्रेस इसे मंजूरी दे सकती है. ताइवान को इन हथियारों की आपूर्ति अमेरिकी वायु सेना की ओर से की जाएगी.
ताइवान को लेकर चीन ने खाई कसम!
चीन ने ताइवान को अमेरिकी हथियारों की बिक्री को लेकर बाइडेन प्रशासन की आलोचना की है. चीन ने ताइवान पर अपनी संप्रभुता का दावा करते हुए, अमेरिका की ओर से किए गए इन प्रयासों के खिलाफ ‘सभी आवश्यक उपाय’ करने की कसम खाई है.
वहीं ताइपे की डिफेंस मिनिस्ट्री ने अमेरिका को इस डील के लिए आभार जताते हुए कहा है कि, ‘इससे सेना को लगातार अपनी सैन्य ताकत को बढ़ाने में मदद मिलेगी साथ ही ताइवान स्ट्रेट में शांति बनाए रखने और क्षेत्रीय स्थिरता के संयुक्त प्रयासों को बल मिलेगा.’
अमेरिका पर चीन का बड़ा आरोप
उधर बीजिंग ने पलटवार करते हुए अपने एक बयान में कहा है कि ताइवान को नवीनतम हथियार पैकेज ‘चीन की संप्रभुता और सुरक्षा हितों का गंभीर उल्लंघन करता है, यह चीन-अमेरिका संबंधों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है, साथ ही साथ क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को खतरे में डालता है.’
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि, ‘चीन ने अमेरिका के इस कदम की निंदा करते हुए दृढ़ता से विरोध किया है, साथ ही इसे लेकर अमेरिका के सामने अपना विरोध भी दर्ज कराया है.’ बीजिंग का कहना है कि वह अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता का बचाव करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा.
चीन के लिए ‘रेड लाइन’ है ताइवान मुद्दा
चीन लगातार ताइवान के मुद्दे को एक ‘रेड लाइन’ करार देता रहा है, उसका कहना है कि किसी भी कीमत पर इसे पार नहीं किया जाना चाहिए. हाल ही में चीन ने ताइवान को अपने नियंत्रण में लाने के लिए किसी भी तरह के बल प्रयोग का इस्तेमाल नहीं करने से इनकार कर दिया है.
ताइवान को लेकर चीन आक्रामक
हाल के दिनों में चीन ने ताइवान के आस-पास रोजाना अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है. चीन की तीनों सेनाओं की ओर से इस महीने की गई मिलिट्री ड्रिल के दौरान उसके लड़ाकू विमान, ड्रोन और युद्धपोत इस रणनीतिक आईलैंड को चारों ओर से घेरते हुए देखे गए. वहीं इस महीने की शुरुआत में ताइवान ने एक ही दिन में चीन के 153 एयरक्राफ्ट की मौजूदगी दर्ज की है.
‘एक चीन’ नीति से पीछे हटने का आरोप
अमेरिका और ताइवान के बीच भले ही किसी भी तरह के डिप्लोमेटिक संबंध न हों लेकिन अमेरिका लगातार चीन के खिलाफ ताइपे का साथ दे रहा है. ताइवान को मिल रहे अंतरराष्ट्रीय समर्थन को लेकर चीन ने नाराजगी जताते हुए वॉशिंगटन पर आंतरिक मामलों में दखल का आरोप लगाया है. चीन का कहना है कि अमेरिका अपनी ‘वन चाइना’ नीति से पीछे हट रहा है, जिसके तहत वॉशिंगटन ताइवान की आजादी का खुलकर समर्थन नहीं करता है.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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