दुनियां – अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव: इलेक्टोरल कॉलेज क्या है? – #INA

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का रोमांच बढ़ता जा रहा है, 5 नवंबर को राष्ट्रपति पद के लिए वोटिंग होगी. लेकिन अमेरिका का अगला राष्ट्रपति कौन होगा यह इन पॉपुलर वोटों के जरिए नहीं बल्कि इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए चुना जाएगा.
किसी भी उम्मीदवार को चुनाव जीतने के लिए 538 में से 270 इलेक्टोरल कॉलेज जीतने होंगे. इलेक्टर्स दिसंबर में राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डालेंगे. लेकिन आखिर ये इलेक्टोरल कॉलेज क्या बला है? जो अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में सबसे ज्यादा अहमियत रखते हैं.
इलेक्टोरल कॉलेज क्या है?
1787 में अमेरिका के संविधान में इसे शामिल किया गया था. इलेक्टोरल कॉलेज अमेरिका के हर राज्य के लिए तय किए गए इलेक्टर्स की संख्या है, प्रत्येक राज्य को उतने ही इलेक्टर्स मिलते हैं जितने उसके प्रतिनिधि US हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव और अमेरिकी सीनेट में हैं. वर्तमान में सबसे ज्यादा 55 इलेक्टर्स कैलिफोर्निया स्टेट में हैं, वहीं सबसे कम इलेक्टर्स की संख्या 3 है, जो कि अमेरिका के वायोमिंग समेत 6 राज्यों में हैं. कोलंबिया जिला जो एक राज्य तो नहीं है लेकिन वह राजधानी के अंतर्गत आता है लिहाजा उसे भी 3 इलेक्टर वोट्स हासिल हैं.
कैसे चुने जाते हैं इलेक्टर्स?
चुनाव से पहले ही हर राज्य में राजनीतिक दल इलेक्टर्स का एक समूह चुनते हैं, बहुत बार ये इलेक्टर्स पार्टी के पदाधिकारी या समर्थक होते हैं. जब अमेरिकी वोटर अपने पसंदीदा उम्मीदवार के लिए राष्ट्रपति चुनाव में वोट डाल रहे होते हैं तो वह वास्तव में अपने राज्य के इलेक्टर्स को चुन रहे होते हैं.
अमेरिका के ज्यादातर राज्यों में जिस राष्ट्रपति उम्मीदवार को ज्यादा वोट मिलते हैं, उसी के सभी इलेक्टर्स चुन लिए जाते हैं. भले ही कैंडिडेट बेहद कम अंतर से ही जीत क्यों न दर्ज करे. केवल मेन और नेब्रास्का राज्य में इलेक्टर्स की संख्या उम्मीदवार को मिले वोटों के अनुपात में होती है.
इलेक्टर्स चुनते हैं अमेरिका का राष्ट्रपति
नवंबर में होने वाली वोटिंग के करीब एक महीने बाद दिसंबर में इलेक्टर्स राष्ट्रपति को चुनने के लिए वोट डालते हैं इसकी काउंटिंग अमेरिकी कांग्रेस करती है. किसी कैंडिडेट को राष्ट्रपति पद पर चुने जाने के लिए 538 में से कम से कम 270 इलेक्टोरल कॉलेज की जरूरत होती है. जनवरी में अमेरिका के दोनों सदनों का संयुक्त सत्र बुलाकर विजेता का ऐलान किया जाता है.
आम तौर पर जिस उम्मीदवार को ज्यादा पॉपुलर वोट मिलते हैं वही राष्ट्रपति चुना जाता है लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के इतिहास में दो बार ऐसा हो चुका है जब किसी उम्मीदवार को पॉपुलर वोट तो काफी मिले लेकिन 270 इलेक्टोरल कॉलेज का समर्थन नहीं मिल पाया.
पॉपुलर वोट कम मिले, फिर भी बने राष्ट्रपति
2000 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश और 2016 में डोनाल्ड ट्रंप ऐसे राष्ट्रपति उम्मीदवार थे जिन्हें पॉपुलर वोट कम मिले लेकिन वह राष्ट्रपति बनने में कामयाब रहे. 2016 चुनाव में हिलेरी क्लिंटन को ट्रंप के मुकाबले करीब 30 लाख ज्यादा वोट मिले थे लेकिन वह राष्ट्रपति चुनाव हार गईं.
दरअसल 2016 चुनाव में ट्रंप स्विंग स्टेट्स पेंसिल्वेनिया, मिशिगन, विस्कॉन्सिन और फ्लोरिडा में काफी कम मार्जिन से चुनाव जीता लेकिन इन राज्यों से उन्हें 74 इलेक्टर्स मिले जिन्होंने उनकी जीत में सबसे अहम रोल निभाया.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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