दुनियां – ईरान को लेकर क्या रहेगा ट्रंप का रवैया? एडवाइजर माइक इवांस ने किए कई बड़े दावे – #INA

डोनाल्ड ट्रंप ने जब से अमेरिका में राष्ट्रपति पद का चुनाव जीता है, तब से इजरायल में पीएम नेतन्याहू के हौसले बुलंद हैं. इजराइल की सेना गाजा से लेकर लेबनान तक हमले भीषण कर रही है. एक दिन में अटैक की संख्या पहले के मुकाबले काफी बढ़ चुकी है. ऐसा इसलिए है क्योंकि नेतन्याहू को लगता है कि ट्रंप जब राष्ट्रपति पद की कुर्सी संभालेंगे, तब उन्हें हमास से लेकर हिज्बुल्लाह हूती और ईरान तक सभी दुश्मनों पर अटैक की खुली छूट मिलेगी और ऐसा निश्चित तौर पर होगा, इसके संकेत डोनाल्ड ट्रंप के एडवाइजर माइक इवांस अभी से देने लगे हैं. माइक इवांस ट्रंप के सबसे खास लोगों में से एक माने जाते हैं. अमेरिका में ऐसा कहा जाता है कि ट्रंप के हर बड़े फैसले में उनकी भी रजामंदी होती है.
माइक इवांस ने इजराइल के न्यूज चैनल I-24 को एक्सक्लूसिव इंटरव्यू दिया है. इस इंटरव्यू में उन्होंने पश्चिमी एशिया में बढ़ते तनाव पर बातें की हैं. उनकी ये बातें ईरान को लेकर ट्रंप के खतरनाक ईरादे बयां कर रही हैं. ये ऐसे दावे हैं जिसे सुनकर ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई की धड़कनें बढ़ सकती हैं.
इजराइल के पास 20 जनवरी तक का समय
इवांस ने कहा कि इजराइल के पास निर्णायक कार्रवाई करने के लिए 20 जनवरी तक का समय है. ट्रंप चाहते हैं कि इजराइल अगले 8 हफ्ते में ईरान का काम तमाम कर दे. इजरायल उत्तर और दक्षिण में मामलों को निपटाए और फिर ईरान पर ध्यान केंद्रित करे. इजराइल ईरान के तेल प्रतिष्ठानों और व्यापार कंटेनरों को निशाना बनाए.
माइक इवान्स ने जो भी कहा है, उसके अनुसार ट्रंप चाहते हैं कि इजरायल गाजा और लेबनान में दुश्मनों का काम 8 हफ्ते के अंदर तमाम करे. ट्रंप चाहते हैं कि इसी बीच इजराइल ईरान के तेल प्रतिष्ठानों को नष्ट कर दे और, ये सारा काम डोनाल्ड ट्रंप के शपथ लेने से पहले पहले पूरा हो जाए. ट्रंप के एडवाइजर की मानें तो वो 20 जनवरी को राष्ट्रपति बनने के बाद पश्चिमी एशिया का बवाल नहीं ओढ़ना चाहते हैं. यानी, अगर ये बातें सही हैं तो इजराइल ट्रंप के मन की इच्छा पूरी करते हुए ईरान पर बहुत जल्द बड़े अटैक कर सकता है, लेकिन अब यहां सवाल कुछ और भी हैं.
ट्रंप ने अब बदल दी अपनी रणनीति
याद कीजिए 1 अक्टूबर को जब ईरान ने इजराइल पर 200 मिसाइलें लॉन्च की थीं, तब 4 अक्टूबर की एक रैली में ट्रंप ने इस पर क्या प्रतिक्रिया दी थी. ट्रंप ने उस समय कहा था कि इजराइल को जवाब में ईरान के न्यूक्लियर ठिकाने तबाह कर देना चाहिए. अब चुनाव जीतने के बाद वही ट्रंप ईरान के न्यूक्लियर ठिकाने नहीं, बल्कि तेल प्रतिष्ठानों की बर्बादी चाहते हैं. तो उन्होंने ईरान को लेकर अपनी रणनीति क्यों बदल दी ? माइक इवांस ने इसका भी जवाब दिया.
ईरान को आर्थिक रूप से कमजोर करने की चाहत
माइक इवान्स के अनुसार, ट्रंप ईरान की तेल फैसिलिटीज को टारगेट करके उसे आर्थिक चोट पहुंचाना चाहते हैं. उन्होंने दावा किया कि ट्रंप का मानना है कि ऐसा करके ईरान को बहुत कमजोर किया जा सकता है और, इजरायल ने अगर इसमें 100 प्रतिशत सफलता पा ली, तो ईरान फिर कभी इजराइल या अमेरिका के लिए चुनौती बनने की हिम्मत नहीं जुटा पाएगा. तेल फैसिलिटीज और कार्गो शिपिंग पर हमला करते ही ईरान की अर्थव्यवस्था ढह जाएगी. ईरान की 85 फीसदी जनता इस झटके से उबर नहीं पाएगी. ये सुनहरा अवसर होगा और इसे 20 जनवरी से पहले करना होगा.
ईरान के खिलाफ पहले से ही मुखर रहे हैं ट्रंप
ट्रंप ईरान के जानी दुश्मन हैं. पहले कार्यकाल में वो सबसे ज्यादा ईरान के विरुद्ध ही मुखर रहे हैं. वर्ष 2018 में उन्होंने ओबामा कार्यकाल में हुए ईरान के साथ अमेरिका के परमाणु समझौते को रद्द कर दिया था. माना जाता है कि 3 जनवरी 2020 को ईरान के सैन्य कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्या भी का ऑर्डर भी ट्रंप ने दिया था. ईरान उसी वक्त से ट्रंप से बदला लेना चाहता है.
(टीवी9 ब्यूरो रिपोर्ट)

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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