दुनियां – ऑइल से सॉइल एक अहम बदलाव… जानें बाकू, अज़रबैजान में COP29 में सद्गुरु ने क्या कहा – #INA

सद्गुरु, जिन्होंने मिट्टी के तत्काल संकट से निपटने के लिए 2022 में सेव सॉइल मूवमेंट शुरू किया था, अजरबैजान के बाकू में 2024 के संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP29) में भाग लिया. यात्रा न करने की डॉक्टरों की सलाह के बावजूद सद्गुरु ने निमंत्रण स्वीकार कर लिया और मिट्टी बचाओ तथा जलवायु परिवर्तन के महत्व को उजागर करने के लिए एक संक्षिप्त किन्तु प्रभावशाली यात्रा की.
सेव सॉइल मूवमेंट के प्रभाव पर विचार करते हुए सद्गुरु ने X पर अपने विचार साझा किये. उन्हों लिखा- #SaveSoil अभियान के तीन वर्षों के अथक प्रयासों के बाद एक वैश्विक जलवायु सम्मेलन अंततः “एक हरित विश्व” पर केंद्रित है. हमें उम्मीद है कि अज़रबैजान मध्य एशिया का नेतृत्व करेगा और यह प्रदर्शित करके बाकी दुनिया के लिए एक उदाहरण स्थापित करेगा. कृषि मिट्टी को पुनर्जीवित करना जलवायु परिवर्तन के लिए राहत का एक महत्वपूर्ण पहलू है.

A milestone moment at #COP29! Save Soil has signed an MOU with Uzbekistan’s Ministry of Ecology, committing to restore land and address soil health challenges, including the degraded lands around the Aral Sea.
Uzbekistan is emerging as a true leader in tackling soil pic.twitter.com/0r89vZi7Fi
— Conscious Planet #SaveSoil (@cpsavesoil) November 14, 2024

उन्होेंने आगे लिखा-“जैसा कि मैंने बार-बार कहा है, हम धरती पर जो भी अतिरिक्त हरी पत्ती जोड़ते हैं, वह जलवायु के लिए राहत की दिशा में एक और छोटा कदम है. हरी पत्ती का मतलब है कि अधिक से अधिक मिट्टी को छाया में जाना चाहिए और एक बार जब यह छाया में होगी और फिर पत्ती हरी होगी, तो जीव बढ़ेंगे… हाइड्रोकार्बन या तेल से मिट्टी की ओर यह बदलाव एक बहुत ही महत्वपूर्ण बदलाव है. यह बदलाव पथप्रदर्शक है, और यह समझना सबके लिए बहुत महत्वपूर्ण है कि यह इस अर्थ में एक गेम चेंजर है कि इस धरती पर 95 प्रतिशत जीवन मिट्टी पर पनपता है.”
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किसानों के लिए कही अहम बात
भारत में छोटे और सीमांत किसान खेती करने वालों की कुल संख्या का करीब 86% हैं, जो कुल कृषि उत्पादन का करीब 50% योगदान देते हैं. किसानों के लिए अधिक सुलभ जलवायु-पूंजी की वकालत करते हुए – विशेष रूप से छोटे पैमाने के किसानों के लिए – सद्गुरु ने कहा, “अभी, इन करोड़ों किसानों की पहुंच कुल जलवायु-पूंजी के केवल 0.8 प्रतिशत तक ही है. यदि इन किसानों को टिकाऊ तरीकों को अपनाने के लिए वित्तीय सहायता नहीं दी जाती है, तो खाद्य सुरक्षा के लिए वैश्विक चुनौतियां होने वाली हैं.”

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जलवायु चर्चा में फॉसिल फ्यूल को संबोधित करने के महत्व को स्वीकार करते हुए, सद्गुरु ने कहा, “हम फॉसिल फ्यूल को खत्म करने के बारे में लगातार बात कर रहे हैं. हां, ऐसा होना चाहिए. बदलाव की जरूरत है. लेकिन ऐसा सिर्फ इसलिए नहीं होने वाला है क्योंकि हम ऐसा चाहते हैं. महत्वपूर्ण तकनीकी इन्नोवेशन होने चाहिए. दुनिया तेल को इस्तेमाल करना सिर्फ इसलिए नहीं छोड़ देगी क्योंकि मैं या आप कहते हैं कि यह अच्छा नहीं है. ठोस विकल्प सामने लाने होंगे.”
एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, सेव सॉइल ने उज्बेकिस्तान के इकोलॉजी मंत्रालय के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जो भूमि को बहाल करने और अरल सागर के आसपास की क्षरित भूमि सहित मिट्टी के स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है.
एमओयू के बारे में बात करते हुए सेव सॉइल की मुख्य विज्ञान अधिकारी प्रवीणा श्रीधर ने कहा, “हम उज़्बेकिस्तान में अरल सागर सहित दुनिया भर में भूमि क्षरण के मुद्दों को हल करने में सहयोग की उम्मीद कर रहे हैं.”

After three years of relentless efforts by the #SaveSoil movement, a global climate conference is finally focused on A Green World. We hope Azerbaijan leads Central Asia and sets an example for the rest of the world by demonstrating how revitalizing agricultural soil is a key pic.twitter.com/O2YQPKwUkC
— Sadhguru (@SadhguruJV) November 14, 2024

“हमारे पैरों के नीचे जो समाधान है, वह मिट्टी ही, अन्य सभी समाधानों की तुलना में, वास्तविक समाधान है जिन पर हम मेहनत कर रहे हैं. अगर हम मिट्टी पर काम करते हैं, तो यह जलवायु और हमारी खाद्य सुरक्षा के लिए समाधान है, और इसका आने वाली पीढ़ियों पर स्थायी प्रभाव पड़ने वाला है.”
जलवायु पूंजी पर ध्यान आकर्षित करती सिफारिशें
सम्मेलन से पहले, सेव सॉइल मूवमेंट ने जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के साथ नीतिगत सिफारिशें साझा कीं. ये सिफारिशें जलवायु पूंजी पर ध्यान आकर्षित करती हैं – विशेष रूप से जलवायु मुद्दों से निपटने वाली परियोजनाओं को सहारा देने के उद्देश्य से पूंजी उपलब्ध कराना – जो कृषि मिट्टी के उत्थान पर ध्यान केंद्रित करे. सिफारिशों को 77 प्रमुख वैश्विक संगठनों द्वारा समर्थन दिया गया है, जो अभियान के प्रभाव में एक महत्वपूर्ण माइलस्टोन है.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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