दुनियां – क्या तालिबान का डर नहीं बचा? शारिया कानून के बाद भी अफगानिस्तान में बढ़ी नशे की खेती – #INA

अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद तालिबान ने देश में सख्त शरिया कानून लागू किया. देश में कई बदलाव करने के साथ-साथ तालिबान ने देश की आय का सबसे बड़ा जरिया अफीम की खेती को भी बैन कर दिया था. 2021 से 2023 के बीच अफगानिस्तान में अफीम की खेती में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई, लेकिन पिछले एक साल में ये फिर से बढ़ने लगी है.
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी UNODC (United Nations Office on Drugs and Crime) की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक साल में तालिबान के प्रतिबंध के बावजूद अफीम की खेती में 19 फीसद की बढ़ोतरी हुई है.

Afghan farmers urgently need sustainable livelihoods to reduce dependence on illicit crops.
Learn more about opium cultivation in Afghanistan in our latest report
— UN Office on Drugs & Crime (@UNODC) November 9, 2024

बढ़ोतरी के बाद भी काफी कम उत्पादन
हिरोइन के स्रोत और दुनिया भर में नशे के कारोबार के लिए अहम माने जाने वाली अफीम की खेती इस बढ़ोतरी के बाद भी तालिबान के दमन से पहले के स्तर से काफी नीचे है. देश में इस साल खेती का क्षेत्रफल सिर्फ 12,800 हेक्टेयर (31,629 एकड़) था, जो प्रतिबंध से पहले खेती किये जाने वाले 232,000 हेक्टेयर (573,284 एकड़) से काफी कम है.
UNODC के मुताबिक अप्रैल 2022 में नशीले पदार्थों की खेती पर प्रतिबंध लगने के बाद 2023 तक अफीम की खेती में 95 फीसद की गिरावट आई.
अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन की चीफ रोजा ओटुनबायेवा ने कहा, “यह इस बात का सबूत है कि अफीम की खेती में सच में कमी आई है और इसका अफगानिस्तान के पड़ोसियों, क्षेत्र और विश्व की ओर से स्वागत किया जाएगा.”
दूसरे क्षेत्रों में शिफ्ट हुई खेती
तालिबान के आने के बाद अफगानिस्तान में अफीम की खेती अपने पारंपरिक क्षेत्र से हटकर दूसरे स्थानों में चली गई है. रिपोर्ट के मुताबिक पारंपरिक दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र से हटकर पूर्वोत्तर प्रांतों में अब अफीम की खेती हो रही है, जहां 2024 में 59 फीसद अफीम की कुल खेती हुई.
2023 तक इन प्रांतों में अफीम की खेती में 381 फीसद वृद्धि देखी गई, खास तौर से बदख्शां में, जहां क्षेत्र का सबसे ज्यादा अफीम उत्पादन होता है.
कीमतों में उछाल
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि प्रतिबंध की वजह से अफीम की कीमतों में उछाल आया है. अच्छी कीमत के चलते अफीम की खेती गरीबी से जूझ रहे अफगानों के लिए एक आकर्षक संभावना बनी हुई है. इस वक्त अफीम लगभग 730 डॉलर प्रति किलोग्राम से बिक रही है, जो प्रतिबंध से पहले के दामों से लगभग 100 डॉलर ज्यादा है.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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