दुनियां – नेतन्याहू पर लगे आरोपों का फैसला कब? अंतराष्ट्रीय अदालतों में चल रहे केस के जरिए समझिए – #INA

अक्टूबर 7, 2023 अब इतिहास के पन्नों में इजरायल पर हमास के भीषण हमलों के नाम दर्ज है. 1200 इजरायलियों की एक दिन में हत्या होलोकॉस्ट के बाद यहूदी इतिहास की सबसे बुरी यादों में शुमार हो गया. इजरायल को इसका बदला लेना ही था. लेकिन इस तरह कि वह भी मानव इतिहास में जनसंहार की एक मिसाल बन गई. इजरायल ने 8 अक्टूबर से हमास के खिलाफ गाजा में जंग का जो ऐलान किया, वह आज भी जारी है.
बीते एक साल में गाजा लगभग खंडहर में तब्दील हो चुका है. मकान, अस्पताल से लेकर स्कूल तक. सबकुछ तबाह हो चुके हैं. गाजा हेल्थ मिनिस्ट्री के मुताबिक करीब 42 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. मलबे में 10 हजार लोगों के अभी भी दबे होना की आशंका है. यूनाइटेड नेशन का दावा है कि इन्हें निकालने में कम से कम 3 साल लग सकते हैं. गाजा का हर शख्स अब विस्थापित है.
सवाल है कि विस्थापन और दर्द के इस अंतहीन सिलसिले को रोकने के लिए क्या किसी ने कुछ भी नहीं किया? जवाब है कोशिशें हुईं लेकिन कुछ खास सफलता हाथ नहीं लगी. 4-6 दिनों की जंग बंदी हुई लेकिन इजरायल को कोई रोक नहीं सका. यहां तक की अंतराष्ट्रीय अदालतों ने भी मामले दर्ज किए. जिसमें जनसंहार जैसे अपराधों को लेकर अरेस्ट वॉरेंट जारी हुआ.
मगर ये क्या किसी ठोस मकाम पर पहुंचा. आइए समझते हैं कि ये मामले किन अदालतों में दर्ज हैं और फिलहाल इनका स्टेट्स क्या है?
इजरायल पर दो अदालतों में केस
इज़रायल को नीदरलैंड्स के हेग में दो कानूनी कार्यवाही का सामना करना पड़ रहा है. एक मामला ICC यानी इंटरनेशनल क्रमिनल कोर्ट में है. जिसमें इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, रक्षा मंत्री योव गैलेंट के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ है.
दूसरा इज़राइल पर ICJ यानी इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में गाजा युद्ध में 1948 नरसंहार कन्वेंशन के उल्लंघन का भी आरोप लगा है. पहले समझते हैं. इजरायल को लेकर आइसीसी में चल रहे केस के बारे में.
ICC तक इजरायल को ये पांच देश ले गए
इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) की स्थापना 2022 में हुई थी. इसका हेडक्वार्टर है नीदरलैंड के हेग में. संस्था का काम है वॉर क्राइम, नरसंहार और मानवता के खिलाफ होने वाले अपराधों की जांच प्लस सुनवाई करना. इसके पास आरोपी व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा चलाने की शक्ति है. इस संस्था की स्थापना वैसे तो यूनाइटेड नेशंस (UN) की सहमति से हुई थी लेकिन आईसीसी यूनाइटेड नेशंस का अंग नहीं है. 124 देश इसके सदस्य हैं. उन्हीं की फंडिग से कोर्ट चलता है. अमेरिका, इजरायल, भारत, रूस, चीन जैसे देश ICC के सदस्य नहीं है.
अब आईसीसी तक मामला पहुंचा कैसे?
ICC इजरायल के खिलाफ 2021 मार्च से ही जांच कर रही है. फिर जब अक्टूबर 2023 को हमास के हमले के बाद जंग की शुरूआत हुई. जिस तरह से कई मासूमों की जान जा रही थी, उन्हें टॉर्चर करने की खबरे आ रही थी…तब एक महीने बाद, नवंबर 2023 में बांग्लादेश, बोलीविया, कोमोरोस, जिबूती और साउथ अफ्रीका जैसे पांच देशों ने ICC में इजरायल के खिलाफ जांच तेज करने की अपील की. इन पांच देशों ने आरोप लगाया कि इजरायल गाजा में जनसंहार कर रहा है.
शिकायत के बाद ICC की जांच तेज हुई. तब जाकर बात इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू समेत इज़रायली रक्षा मंत्री योव गैलेंट के खिलाफ अरेस्ट वॉरंट तक पहुंची.
ICC में फिलहाल क्या स्टेट्स है?
ICC के पास अपनी कोई पुलिस नहीं होती है. गिरफ्तार करने के लिए उन्हें सदस्य देश की एजेंसियों की मदद लेनी पड़ती है. और यहीं एक पेंच फंसता है.
इजरायल ICC का सदस्य देश नहीं है. जाहिर है इजरायल की पुलिस तो प्रधानमंत्री नेतन्याहू को अरेस्ट करने में सहयोग करने से रही.
हालांकि एक रास्ता बचता है. अगर नेतन्याहू किसी ऐसे देश में यात्रा करते हैं, जो ICC का मेंबर हो, तो वहां से उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है.
2024 मई में ही अभियोजकों ने नेतन्याहू और गैलेंट के लिए वारंट की मांग को जायज ठहराया था. ये कहते हुए कि इजरायल ने गाजा के लोगों को बुनियादी जरूरतें जैसे खाना, पानी, दवा और बिजली से वंचित करके युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराध किए हैं.
हालांकि वॉरेंट पर फैसला लेने के लिए कोई तय सीमा नहीं है. दर्जन भर देशों ने हाई-प्रोफाइल मामलों में दलीलें दायर कर रखी है. जिस पर फैसला पेंडिग है. लिहाजा इजरायल हमास संघर्ष में किसी भी ठोस निर्णय तक पहुंचने में कई साल लगने की संभावना है.
ICJ का मामला क्या है, कहां तक पहुंचा?
ICJ का फुल फॉर्म है इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस. ये ICC से अलग है. ICJ यूनाइटेड नेशंस के छह अंगों में से एक है. इसकी स्थापना 1945 में हुई थी. संस्था का काम होता है देशों के बीच होने वाले विवादों को सुलझाना. ज्यादातर सीमा विवाद सुलझाने पर फोकस रहता है. ICJ में कोई भी केस संबंधित देशों की सहमति से ही लाया जा सकता है.
हालांकि यूनाइटेड नेशंस 1948 का जेनोसाइड कन्वेंशन एक अपवाद है. इसमें नरसंहार की परिभाषा और उसके लिए सजा का प्रावधान दर्ज है. अगर किसी देश को लगता है कि, कोई दूसरा देश नरसंहार करवा रहा है तो वो उसके खिलाफ ICJ में केस दर्ज कर सकता है. लेकिन एक शर्त के साथ कि दोनों देश जेनोसाइड कन्वेंशन को मानते हों.
इजरायल को ICJ तक पहुंचाने का काम किया साउथ अफ्रीका ने. 2023 के दिसंबर में. मगर इजरायल ICJ का सदस्य नहीं हैं पर जेनोसाइड कन्वेंशन को मानता है. इसलिए, उसको दक्षिण अफ्रीका के मुकदमें में शामिल होना पड़ा.
मगर यहां ये भी बात ध्यान रखने वाली है कि ICJ किसी व्यक्ति को दोषी नहीं ठहरा सकती. वो बस ये तय कर सकती है कि किसी देश ने अपराध किया है या नहीं किया है. ऐसे में जनसंहार के आरोप से जुड़ा जो भी फैसला आइसेजी देगी उसे सिर्फ उसकी राय माना जाएगा.
साउथ अफ्रीका ने इस पर जल्द ही फैसला सुनाने की गुजारिश की है. दक्षिण अफ्रीका को अक्टूबर के अंत तक अपना पूरा मामला पेश करना होगा जबकि इज़राइल के पास जवाब देने के लिए अगले साल जुलाई तक का समय है. इस तरह से देखें तो आखिरी फैसला आने में सालों का वक्त लग सकता है.
हमास पर क्या आरोप लगे हैं?
इजरायल के अलावा हमास के तीन नेताओं पर आईसीसी में गिरफ्तारी वॉरंट जारी हुआ था. ICC के मुख्य अभियोजक करीम खान नें 2024 मई में 7 अक्टूबर के हमलों के दौरान हत्या, बलात्कार और बंधकों को लेने सहित कथित युद्ध अपराधों के लिए तीन हमास नेताओं पर अरेस्ट वॉरंट जारी किया था. हमास के मुखिया याह्या सिनवार, मिलिट्री चीफ मोहम्मद दाइफ और हमास के पॉलिटिकल लीडर इस्माइल हानिया पर.
पर मोहम्मद दाइफ और इस्माइल हानिया की मौत के बाद अब बस हमास चीफ याह्या सिनवार ही बचे हैं. 2024 सितंबर में, आईसीसी ने घोषणा की कि उसने जुलाई में हानिया की मौत के बाद उसके खिलाफ मामला समाप्त कर दिया है. अभियोजक ने यह भी कहा कि वह दाइफ की कथित मौत की जांच कर रहा है और अगर इसकी पुष्टि हो जाती है तो वह दाइफ खिलाफ भी मामला वापस ले लेगा.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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