दुनियां – बांग्लादेश के 9 राष्ट्रीय दिवस खत्म, क्या इतिहास मिटाएंगे मोहम्मद यूनुस? – #INA

बांग्लादेश में 5 अगस्त को तख्तापलट के बाद से बहुत कुछ बदल चुका है. अब लगता है कि मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश का इतिहास ही मिटा देना चाहते हैं. मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश के वजूद से जुड़ी हर उस चीज को पूरी तरह खत्म कर देना चाहते हैं जिसकी वजह से बांग्लादेश का जन्म हुआ था. पहले बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान का घर और उनकी मूर्ति तोड़ने पर चुप्पी साधने वाले मोहम्मद यूनुस ने अब बांग्लादेश के 9 महत्वपूर्ण राष्ट्रीय दिवसों को खत्म करने का ऐलान कर दिया है. जो नेशनल डे बांग्लादेश की एक राष्ट्र के तौर पर पहचान थे, उन्हें खत्म किया जा रहा है.
मोहम्मद यूनुस को शांति का नोबेल पुरस्कार मिल चुका है. अब लगता है कि यूनुस को बहुत जल्द जमात-ए-इस्लामी से गोल्ड मेडल भी मिल जाएगा. पिछले 3 महीनों में बांग्लादेश में जो कुछ भी हुआ है उसे देखकर यही लग रहा है कि वो अंतरिम सरकार के मुखिया नहीं बल्कि जमात की कठपुतली हैं.
बांग्लादेश के वो कौन से राष्ट्रीय दिवस हैं, जिन्हें मनाने की आजादी जनता को नहीं होगी.
7 मार्च को बंगबंधु के ऐतिहासिक भाषण की याद में नेशनल डे मनाया जाता है, जो कि अब रद्द हो चुका है.
17 मार्च को बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान का जन्मदिन राष्ट्रीय दिवस के तौर पर मनाया जाता है. मगर, ये भी रद्द हो चुका है.
17 मार्च को ही अब बांग्लादेश में नेशनल चिल्ड्रेन्स डे मनाने की आजादी नहीं होगी.
5 अगस्त को अब बांग्लादेश में कोई भी शेख हसीना के भाई शेख कमल के जन्मदिन के तौर पर नहीं मना पाएगा.
8 अगस्त को बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना की मां बेगम फाजिलतुन्नेसा का जन्मदिन भी नेशनल डे की लिस्ट से हटा दिया गया है.
18 अक्टूबर को शेख हसीना के छोटे भाई शेख रसेल का जन्मदिन अब कोई नहीं मना पाएगा.
15 अगस्त को बांग्लादेश का राष्ट्रीय शोक दिवस भी रद्द कर दिया गया है.
4 नवंबर को मनाया जाने वाला बांग्लादेश का राष्ट्रीय संविधान दिवस भी नेशनल डे की लिस्ट से हटा दिया गया है.
12 दिसंबर को डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन को बढ़ावा दिए जाने के लिए मनाया जाने वाला स्मार्ट बांग्लादेश डे भी रद्द कर दिया गया है.
ये सब उस व्यक्ति ने किया है, जिसने 8 अगस्त को ही देश की जनता से वादा किया था कि 3 महीने बाद चुनाव कराए जाएंगे. मगर, बांग्लादेश में कोई भी दूर-दूर तक चुनाव की बात नहीं कर रहा. सवाल ये भी है कि जब यूनुस ने बांग्लादेश के जन्म से जुड़े इतने राष्ट्रीय दिवस खत्म कर दिए हैं तो आखिर वो बांग्लादेश में कौन सा दिवस मनाएंगे.
लोग कर रहे हैं ये सवाल
क्या यूनुस अल्पसंख्यकों पर हमले की बरसी मनाएंगे?
क्या बांग्लादेश में तख्तापलट दिवस सेलिब्रेट करेंगे?
क्या यूनुस शेख हसीना के ढाका छोड़ने का वार्षिकोत्सव मनाएंगे?
क्या बांग्लादेश में अब छुट्टियां लिस्ट जमात-ए-इस्लामी से अप्रूव होंगी?
बांग्लादेश में तख्तापलट से पहले हिंसा हुई थी. शेख हसीना को ढाका छोड़कर जाने के लिए आधे घंटे से भी कम समय मिला. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का मुखिया वो व्यक्ति चुना गया जिसे शांति का नोबेल पुरस्कार मिला था लेकिन उसका रवैया सिर्फ जमात-ए-इस्लामी के कठपुतली की तरह रहा है. पिछले 3 महीने की टाइमलाइन बताती है कि आखिर किस तरह मोहम्मद यूनुस ने एक मूकदर्शक की तरह बर्ताव किया है.
बांग्लादेश में हिंदुओं के 300 घरों और दुकानों पर हमला हुआ लेकिन मोहम्मद यूनुस चुप रहे.
बांग्लादेश में करीब 20 से ज्यादा हिंदू मंदिर तोड़ दिए गए, मोहम्मद यूनुस चुप रहे.
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर 2 हजार से ज्यादा हमले हुए, मोहम्मद यूनुस चुप रहे.
बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान हिंसा की 35 घटनाएं हुईं. पूजा पंडालों में जबरदस्ती इस्लामी गीत बजवाए गए. हिंदुओं को धमकाया गया लेकिन मोहम्मद यूनुस चुप रहे.
UN के मुताबिक, पिछले कुछ महीनों में बांग्लादेश में 650 लोगों की मौत हुई लेकिन मोहम्मद यूनुस चुप रहे.
सैकड़ों लोगों को गंवानी पड़ी जान
पिछले 3 महीनों में तख्तापलट के बाद से बांग्लादेश में अराजकता की तस्वीरें देखने को मिली हैं. हर तरफ लूट और दंगे हुए हैं. बांग्लादेश से आने वाली अराजकता की तस्वीरों ने दुनिया को हैरान कर दिया. लोगों ने PM आवास को लूट लिया था. हिंसक भीड़ ने बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति को भी नहीं छोड़ा. हथौड़े से मूर्ति का सिर तोड़ दिया गया. अल्पसंख्यकों पर हमले हुए. सैकड़ों लोगों को जान गंवानी पड़ी. हिंदुओं के खिलाफ हिंसा हुई. उन्हें दहशत में रहने पर मजबूर किया गया.
कुल मिलाकर ऐसा लगता है कि बांग्लादेश एक ऐसे लोकतंत्र का उदाहरण बनता जा रहा है, जैसा किसी भी लोकतंत्र को नहीं होना चाहिए. इसका बोझ मोहम्मद यूनुस को भी उठाना होगा. सिर्फ ग्लोबल मंचों पर बौद्धिक डायलॉग मारने और धीमी आवाज में शांति मंत्र फूंककर वो इस जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकते.
रिपोर्ट- टीवी9 भारतवर्ष.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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