दुनियां – बांग्लादेश में यूनुस सरकार को बड़ा झटका! सुप्रीम कोर्ट की एक चाल से सारे मंसूबों पर फिर सकता है पानी – #INA

बांग्लादेश में कानून-व्यवस्था और राजनीतिक स्थिरता का सवाल बना हुआ है. अगस्त में हुए तख्तापलट के बाद से अदालतों की भूमिका काफी अहम हो चुकी है, क्योंकि अंतरिम सरकार में शेख हसीना और अवामी लीग के नेताओं पर एक के बाद एक लगातार कई केस दर्ज हो रहे हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की बात की जाए तो उन पर अब तक 225 केस दर्ज हो चुके हैं, इसमें मर्डर के 194 केस शामिल हैं, कई मामलों में सुनवाई शुरू हो चुकी है तो वहीं मानवता के खिलाफ अपराध के मामले में तो शेख हसीना के खिलाफ अरेस्ट वारंट भी जारी हो चुका है.
न्यायपालिका के लिए अलग सचिवालय का प्रस्ताव
ऐसे में अदालतों का रुख क्या होता है यह देखना काफी दिलचस्प होगा, क्या कोर्ट सत्ता के इशारों पर राजनीतिक फैसले देंगे या फिर निष्पक्ष तरीके से इन मामलों में सुनवाई होगी? हालांकि इसे लेकर बांग्लादेश के चीफ जस्टिस ने अपनी मंशा साफ कर दी है, उन्होंने अंतरिम सरकार को एक ऐसा प्रस्ताव भेजा है जिससे न्यायपालिका पर कानून मंत्रालय का नियंत्रण खत्म हो जाएगा. उन्होंने पिछले महीने ही एक कार्यक्रम के दौरान निचली अदालतों के जजों को संबोधित करते हुए कहा था कि वह न्यायपालिका के लिए अलग सचिवालय स्थापित करने की दिशा में कदम उठाएंगे.
न्यायपालिका को स्वतंत्र बनाने की कोशिश
दरअसल बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट के वकीलों ने इसकी मांग की थी, जिसके बाद अपीलीय और हाई कोर्ट की डिविजन बेंच की राय लेने के बाद, बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका के लिए एक अलग सचिवालय बनाने का प्रस्ताव दिया है ताकि उसे वास्तविक रूप से स्वतंत्र बनाया जा सके और कार्यपालिका से प्रभावी रूप से अलग किया जा सके. सुप्रीम कोर्ट की ओर से कानून मंत्रालय को भेजे गए प्रस्ताव में कहा गया है कि इससे निचली अदालतों लॉ मिनिस्ट्री का नियंत्रण खत्म हो जाएगा.
राजनीतिक दलों की मंशा पर सवाल
इस प्रस्ताव में अलग सचिवालय की जरूरत और उद्देश्य की अवधारणा पेश की गई है, प्रस्ताव में लिखा गया है कि न्यायपालिका को वास्तविक तौर पर स्वतंत्र बनाने का प्रयास अब तक सफल इसलिए नहीं हो पाया था क्योंकि राजनीतिक दल ऐसा नहीं चाहते थे. अलग सचिवालय का संगठनात्मक ढांचा कैसा होना चाहिए इसे लेकर चीफ जस्टिस ऑफ बांग्लादेश सैयद रफात अहमद ने लिखित प्रस्ताव तैयार किया है.
अगर सुप्रीम कोर्ट के इस प्रस्ताव को कानून मंत्रालय से मंजूरी मिल जाती है तो यह न्यायपालिका के लिए नया सचिवालय स्थापित करने की दिशा में पहला कदम होगा. सुप्रीम कोर्ट के विशेष अधिकारी मुअज्जम हुसैन के मुताबिक अगर ऐसा होता है तो इस सचिवालय के लिए नए सचिव, डिप्टी सेक्रेटिएट और अन्य अधिकारियों की नियुक्ति भी करनी होगी.
निचली अदालतों पर नहीं होगा नियंत्रण!
वर्तमान में बांग्लादेश में कानून मंत्रालय ही न्यायपालिका के सचिवालय के तौर पर काम करता है. यह निचली अदालतों में नियुक्ति, ट्रांसफर और प्रमोशन में दखल भी दे सकता है. ऐसे में अगर अलग सचिवालय को मंजूरी मिल जाती है तो निचली अदालतों में नियुक्ति, ट्रांसफर और प्रमोशन का अधिकार सुप्रीम कोर्ट के पास होगा. लॉ एंड जस्टिस डिविजन सेक्रेटरी शेख अबु ताहिर के मुताबिक, इस प्रस्ताव की जानकारी मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के कानून सलाहकार असिफ नजरुल को दे दी गई है, हालांकि अब तक इसे लेकर उनकी ओर से कोई टिप्पणी सामने नहीं आई है.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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