दुनियां – मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर भारी पड़ा 2024, दुनियाभर में 281 लोगों की हुई मौत – #INA

साल 2024 में अब तक अन्य किसी भी साल की तुलना में अधिक सहायता कार्यकर्ता, स्वास्थ्यकर्मी, डिलीवरी कर्मचारी और अन्य मानवाधिकार कार्यकर्ता मारे गए हैं. संयुक्त राष्ट्र ने शुक्रवार को यह जानकारी दी है. ऑफिस फॉर द कोआर्डिनेशन ऑफ ह्यूमैनिटेरियन अफेयर्स (OCHA) के अनुसार इस साल दुनियाभर में 281 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के मारे जाने का सबसे बड़ा कारण मध्य पूर्व में हिंसा की हिंसा को माना जा रहा है.
OCHA के प्रवक्ता जेन्स लार्के ने कहा,’साल खत्म होने से पहले ही 2024 दुनिया भर में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के लिए सबसे घातक साल बन गया है. साल 2023 की बात करें तो तब 280 कार्यकर्ताओं की मौत हुई थी. साल खत्म होने से पहले ही पिछले साल का मौत का आंकड़ा पार कर गया है.
उन्होंने कहा, ‘मानवाधिकार कार्यकर्ता गाजा, सूडान, लेबनान, यूक्रेन आदि स्थानों पर साहस और निस्वार्थ भाव से काम कर रहे हैं. हमारे कार्यकर्ता मानवता की सर्वश्रेष्ठ सेवा कर रहे हैं, लेकिन बदले में वे बड़ी संख्या में मारे जा रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि ये आंकड़े ‘एड वर्कर सिक्योरिटी डेटाबेस’ से प्राप्त हुए हैं, जो एक अमेरिका द्वारा चलने वाली परियोजना है, और इसे ब्रिटेन स्थित समूह ‘ह्यूमैनिटेरियन आउटकम्स’ द्वारा संचालित किया जाता है.
हमास और इजराइल में मारे गए 333 मानवाधिकार कार्यकर्ता
हमास इजराइल युद्ध का असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा है. डेटा के मुताबिक शुक्रवार को यह सामने आया कि लगभग 230 सहायता कार्यकर्ता फलस्तीनी कब्जे वाले क्षेत्रों में मारे गए हैं. यहां पर हिंसा, अपहरण, ज़ख्मी होने, उत्पीड़न व मनमाने ढंग से हिरासत में लिए जाने की घटनाएं अफ़ग़ानिस्तान, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, दक्षिण सूडान, सूडान, यूक्रेन और यमन समेत अन्य देशों में हुई हैं.
OCHA ने कहा कि इजराइल और उग्रवादी समूह हमास के बीच हालिया संघर्ष के बाद से कुल 333 मानवाधिकार कार्यकर्ता मारे गए हैं. यह संघर्ष 7 अक्टूबर 2023 को शुरू हुआ था. जब उग्रवादियों ने दक्षिणी इजराइल पर हमला कर दिया था, जिसमें लगभग 1,200 लोग मारे गए थे, जिनमें अधिकांश नागरिक थे और 250 अन्य लोगों का अपहरण कर लिया गया था.
सैन्य संघर्षों में 72 फ़ीसदी की वृद्धि
जानकारी के मुताबिक पिछले साल 14 सशस्त्र टकरावों में 33 हज़ार से अधिक लोगों की जान गई है. जोकि 2022 के मुक़ाबले 72 फ़ीसदी की वृद्धि है. इन चुनौतियों व ख़तरों के बावजूद, मानवीय सहायता संगठन लोगों तक अति-आवश्यक सेवाएं व सहायता पहुंचा रहे हैं, और पिछले वर्ष 14.4 करोड़ लोगों को मदद मुहैया कराई गई है.
OCHA प्रमुख टॉम फ़्लेचर ने ज़ोर देकर कहा कि देशों व युद्धरत पक्षों को मानवीय सहायताकर्मियों की रक्षा सुनिश्चित करनी होगी. अन्तरराष्ट्रीय क़ानून को सर्वोपरि रखना होगा. दोषियों पर मुक़दमे की कार्रवाई आगे बढ़ानी होगी और दंडमुक्ति के इस युग का अन्त करना होगा.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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