दुनियां – यूक्रेन युद्ध का भारत-रूस परमाणु पनडुब्बी डील पर असर, 3 साल लेट हुई डिलीवरी – #INA

रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते 2025 में भारत को रूस से मिलने वाली परमाणु पनडुब्बी अब 3 साल बाद मिलेगी. भारत ने रूस से अकुला-श्रेणी की परमाणु पनडुब्बी को लीज पर लेने के लिए 3 बिलियन डॉलर का समझौता किया था. ये समझौता साल 2019 में किया गया था और ये पनडुब्बी 2025 में मिलनी थी. लेकिन यूक्रेन से युद्ध के कारण रूस भारत को यह पनडुब्बी 2025 तक देने में असमर्थ है और उसने 2028 में पनडुब्बी देने की बात कही थी.
सूत्रों के हवाले से ये भी खराब है कि भारत ने रूस पर दबाव डाला है कि उसे अकुला श्रेणी की पनडुब्बी 2027 तक देनी होगी. हिंद महासागर में चीन की बढ़ती घुसपैठ को देखते हुए भारत अपने परमाणु पनडुब्बियों के बेड़े को जल्द से जल्द मजबूत करना चाहता है. जिसकी वजह से भारत ने रूस पर पनडुब्बी की जल्द डिलीवरी के लिए दबाव बना रहा है.
2019 में कीमत और सौदे के विभिन्न पहलुओं पर बातचीत के बाद भारत और रूस ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. हालांकि समझौते के तहत, रूस को 2025 तक अकुला-1 श्रेणी की पनडुब्बी, जिसे चक्र III के नाम से जाना जाएगा, भारतीय नौसेना को सौंपनी थी. लेकिन यूक्रेन युद्ध की चलते इसमें देरी हो रही है.
लीज पर मिलेगी पनडुब्बी
इसको भारतीय नौसेना पूरी तरह से नहीं खरीद रही है, बल्कि ये रूसी परमाणु पनडुब्बी भारत को लीज पर मिलेगी. इस सौदे में भारतीय संचार और सेंसर सिस्टम, स्पेयर सपोर्ट और इसके संचालन के लिए प्रशिक्षण भी शामिल है. भारत ने पहले भी रूस से अकुला-श्रेणी की एक पनडुब्बी लीज पर ली थी, जिसे INS चक्र II नाम दिया गया था.यह पनडुब्बी 2012 में भारतीय बेड़े में शामिल हुई थी. इसके अलावा INS चक्र-1 को भी रूस से तीन साल के लिए किराये पर लिया गया था.
इसके अलावा भारतीय नौसेना स्वदेश निर्मित, परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी INS अरिहंत और हाल में नौसेना के बेड़े में शामिल हुई अरिघात का भी संचालन करती है.
नौसेना की बढ़ेगी ताकत
हाल ही में भारत सरकार की CCS यानी प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने दो स्वदेशी परमाणु पनडुब्बियों को बनाने की अनुमति भी दी है. इससे भारतीय नौसेना की सामरिक और आक्रामक क्षमता में बढ़ोतरी होगी. इन पनडुब्बियों के बनने से नौसेना की ताकत हिंद महासागर क्षेत्र और दक्षिण चीन सागर में अधिक हो जाएगी.
इन पनडुब्बियों को विशाखापट्टनम के शिप बिल्डिंग सेंटर में बनाया जाएगा, ये पनडुब्बियां 95 फीसदी तक स्वदेशी होंगी. ये अरिहंत क्लास से अलग होंगी, इन्हें प्रोजेक्ट एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वेसल के तहत बनाया जाएगा.इसके बाद चार और परमाणु पनडुब्बियों को बनाने योजना है. इसके साथ ही अगले साल तक भारतीय नौसेना को कई युद्धपोत मिलने वाले हैं.
भारत की परमाणु पनडुब्बियों की खास बातें
भारत की परमाणु पनडुब्बियां अरिहंत श्रेणी की हैं, इन पनडुब्बियों में दबावयुक्त हल्का जल रिएक्टर (PWR) ईंधन होता है. ये पनडुब्बियां सतह पर आए बिना करीब 50 दिनों तक पानी में रह सकती हैं.इनमें टॉरपीडो और पनडुब्बी से लॉन्च किए जाने वाले बम दागने की क्षमता है.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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