दुनियां – सेंट मार्टिन के बाद अब इस पोर्ट को लेकर ट्रैप में फंस सकता है बांग्लादेश, इस बार ड्रैगन की ‘बुरी नजर’ – #INA

बांग्लादेश आर्थिक संकट से जूझ रहा है, देश की राजनीतिक अस्थिरता ने इसे और गंभीर बना दिया है. दावा किया जाता है कि सिर्फ एक द्वीप पर कब्जा हासिल करने के लिए अमेरिका ने ही शेख हसीना सरकार के खिलाफ साजिश रची, वो द्वीप है सेंट मार्टिन.जिस तरह रणनीतिक तौर पर बेहद अहम माने जाने वाले इस द्वीप की वजह से पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की कुर्सी चली गई उसी तरह बांग्लादेश की अंतरिम सरकार भी अब एक पोर्ट को लेकर बड़े ट्रैप में फंसती नजर आ रही है.
मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली सरकार दक्षिणी एशिया के प्रमुख कनेक्टिविटी पोर्ट को विकसित करने की योजना बना रही है, लेकिन यह प्लान उसके लिए महंगा साबित हो सकता है.दरअसल अंतरिम सरकार ने रणनीतिक तौर पर अहम माने जाने वाले मोंगला पोर्ट को विकसित करने के लिए चीन से हाथ मिलाने का फैसला किया है. बताया जा रहा है कि इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने के लिए चीन फंडिंग करेगा, लेकिन ये तो पूरी दुनिया जानती है कि चीन अपने फायदे के बिना किसी की कोई मदद नहीं करता है.
मोंगला पोर्ट के लिए चीन करेगा फंडिंग
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में शिपिंग, टेक्सटाइल और जूट मंत्रालय के एडवाइजर शखावत हुसैन ने कहा है कि सरकार आधुनिकीकरण के प्रयासों के तहत मोंगला पोर्ट को अपग्रेड कर अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने जा रही है.
बैठक के दौरान मोंगला पोर्ट अथॉरिटी (MPA) के अधिकारियों से बातचीत में उन्होंने कहा कि सरकार ने पोर्ट के विकास के लिए कई प्रोजेक्ट्स की शुरुआत की है. उन्होंने कहा कि यूनुस सरकार जल्द ही जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड करने के लिए फंडिंग को लेकर चीन के साथ एक समझौता करेगी.
एक बार मोंगला पोर्ट अपग्रेड हो जाएगा तो उम्मीद की जा रही है कि यह रीजनल हब की तरह काम करेगा. साथ ही नेपाल और भूटान जैसे पड़ोसी देशों को भी इससे फायदा मिलेगा. पोर्ट की रणनीतिक भौगोलिक स्थिति का जिक्र करते हुए मंत्री ने कहा कि इससे बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी.
चीन के ट्रैप में फंस रहा बांग्लादेश?
दरअसल चीन पर आरोप लगते रहे हैं कि वह गरीब देशों को अपने कर्ज जाल में ऐसे फंसाता है कि फिर उससे निकलना मुमकिन नहीं होता. इसके लिए श्रीलंका और जाम्बिया जैसे देशों का उदाहरण दिया जाता है जो चीन के कर्ज जाल में फंसकर डिफॉल्ट हो चुके हैं.
चीन इन देशों को अर्थव्यवस्था में तेजी लाने का लालच देकर कई विकास कार्यों और प्रोजेक्ट्स के लिए फंड देता है. यह फंड मुफ्त में नहीं मिलती बल्कि इसके लिए भारी-भरकम ब्याज चुकाना होता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक जब यह देश चीन का कर्ज नहीं चुका पाते तो यह उनकी संपत्ति जब्त कर लेता है.
हालांकि चीन इन आरोपों को नकारता रहा है लेकिन श्रीलंका का हंबनटोटा बंदरगाह उसके कर्ज ट्रैप का बहुत बड़ा उदाहरण है. श्रीलंका ने इस बंदरगाह की 70 फीसदी हिस्सेदारी 99 साल की लीज पर चीन को दे दी है, यह समझौता 2017 में हुआ था क्योंकि चीन के कर्ज के बोझ तले दबा श्रीलंका उसका कर्ज नहीं चुका पाया और यह प्रोजेक्ट समय पर पूरा नहीं हो पाया.
रणनीतिक तौर पर कितना अहम है मोंगला पोर्ट?
चट्टोगांव पोर्ट के बाद यह बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा समुद्री बंदरगाह है. बांग्लादेश का कपड़ा व्यापार जब अपनी ऊंचाईयों को छू रहा था तब यह पोर्ट उस तरक्की में अहम भूमिका निभा रहा था. यह बांग्लादेश के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में बगेरहाट जिले में मौजूद है. खुलना शहर से 48 किलोमीटर दूरी पर स्थित इस पोर्ट को 1 दिसंबर 1950 को स्थापित किया गया था. यह साउथ एशिया का प्रमुख कनेक्टिविटी हब है. मोंगला पोर्ट पर हर साल 400 से ज्यादा मालवाहक जहाज आते हैं जिसमें औसतन 30 लाख मीट्रिक टन सामान आयात और निर्यात किया जाता है.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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