देश- छतरपुर: मीटिंग में किस बात पर हंसे अधिकारी कि ADM ने थमा दिया नोटिस?- #NA
छतरपुर में ई-गवर्नेस के सहायक प्रबंधक पद पर तैनात कृष्णकांत तिवारी
मध्य प्रदेश के छतरपुर से एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है. जहां कलेक्ट्रेट में चल रही अपर कलेक्टर मिलिंद नागदेवे ने की जनसुनवाई में एक सहायक प्रबंधक हंसने पर फंस गए है. अपर कलेक्टर ने सहायक प्रबंधक की हंसी को अनुशासनहीनता मानते हुए शोकॉज नोटिस जारी किया है. अपर कलेक्टर का नोटिस सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद प्रशासन के अफसर पशोपेश में आ गए हैं.
इस मामले के सुर्खियों में आने के बाद अपर कलेक्टर का कहना है कि नोटिस प्रशासनिक गतिविधियों का हिस्सा है. शासकीय मीटिंग में हूटिंग जैसी हरकत बर्दाश्त नहीं की जाएगी. यह मामला 29 अक्टूबर का है. जिला पंचायत के सभागार में जनसुनवाई के दौरान ई-गवर्नेंस के सहायक प्रबंधक केके तिवारी किसी बात पर हंस दिए. मीटिंग में सहायक प्रबंधक की हंसी को अनुशासनहीनता मानते हुए अपर कलेक्टर ने उन्हें नोटिस जारी किया था. हालांकि कानून के जानकार सेवानिवृत्त एसडीएम बीएल मिश्रा कहते हैं कि मप्र सिविल सेवा आचरण नियम में हंसना कदाचरण की श्रेणी में नहीं आता है.
क्या है मामला
सहायक प्रबंधक बोले कि उन्होंने नोटिस का जवाब दे दिया है. ई-गवर्नेस के सहायक प्रबंधक पद पर तैनात कृष्णकांत तिवारी ने बताया कि जनसुनवाई के दौरान वह पास में बैठे संबंधित व्यक्ति से चर्चा कर रहे थे. इसी दौरान एडीएम मिलिंद नागदेवे की नजर वहां पर पड़ी. उन्हें लगा कि कृष्णकांत तिवारी किसी बात पर हंस रहे हैं. जबकि कृष्णकांत तिवारी का कहना है कि वह सिर्फ चर्चा कर रहे थे.
अपर कलेक्टर मिलिंद नागदेवे ने बताया कि नोटिस प्रशासनिक गतिविधियों का हिस्सा है. ई-गवर्नेंस के सहायक महाप्रबंधक को जारी नोटिस प्रशासनिक गतिविधियों के तहत दिया गया है. मीटिंग में अनुशासन बनाए रखने के लिए पूर्व में भी इस तरह की कार्रवाई की गई थी.
हंसने पर नोटिस देना गलत
इस पूरे मामले में जब रिटायर हो चुके एसडीएम बीएल मिश्रा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मप्र सिविल सेवा आचरण नियम-1965 के नियम दो और तीन में ही कदाचरण का उल्लेख है, तभी नोटिस जारी किया जा सकता है. कदाचरण में ऐसा कोई नियम नहीं है कि हंसने, बोलने पर भी कदाचरण बनता हो. इसलिए यह नोटिस वैध नहीं है.
Copyright Disclaimer :- Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
यह पोस्ट सबसे पहले टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम पर प्रकाशित हुआ , हमने टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम के सोंजन्य से आरएसएस फीड से इसको रिपब्लिश करा है, साथ में टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम का सोर्स लिंक दिया जा रहा है आप चाहें तो सोर्स लिंक से भी आर्टिकल पढ़ सकतें हैं
The post appeared first on टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम Source link