देश- झारखंड में 50 फीसदी से ज्यादा विधायक हारते चुनाव, 20 साल का ट्रेंड सोरेन के लिए बना टेंशन- #NA

हेमंत सोरेन, बाबू लाल मरांडी, सुदेश महतो

झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले चरण की 43 सीटों पर वोटिंग जारी है, लेकिन सत्ता परिवर्तन का ही नहीं बल्कि हर चुनाव में आधे से ज्यादा विधायकों के हारने का ट्रेंड सीएम हेमंत सोरेन और बीजेपी दोनों के लिए सियासी टेंशन बना हुआ है. झारखंड के गठन के बाद से अभी तक चार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं और अब पांचवां चुनाव हो रहा है. साल 2005 से लेकर 2019 तक हुए चुनाव का सियासी ट्रेंड बताता है कि मौजूदा विधायकों को दूसरी बार जीतना मुश्किल भरा रहा है.

झारखंड का गठन साल 2000 में हुआ है और उसके बाद से ही यहां की राजनीति कंप्लेक्स भरी रही है. 24 साल में न ही किसी दल को बहुमत का आंकड़ा मिला है और न ही कोई भी सरकार रिपीट कर सकी है. सत्ता के सिंहासन पर विराजमान मुख्यमंत्री को अपनी सीट बचाना मुश्किल हो जाता है. सीएम पद पर रहने वाले नेताओं को हार का मुंह देखना पड़ा है. झारखंड बनने के बाद से अभी तक हुए चार विधानसभा चुनाव में 50 फीसदी से ज्यादा विधायकों के हारने का ट्रेंड रहा है. यही पैटर्न इस बार के चुनाव में रहा तो सत्ता का सियासी गेम बदल जाएगा.

2019 में 45 विधायक हारे चुनाव

2019 के चुनाव में झारखंड की 81 विधानसभा सीटों में से 36 विधायक ही जीतकर दोबारा विधानसभा पहुंचे थे और 45 विधायकों को हार झेलनी पड़ी थी. इस तरह 56 फीसदी मौजूदा विधायकों को मात खानी पड़ी थी और 44 फीसदी दोबारा विधानसभा पहुंचने में सफल रहे. बीजेपी के 37 में 12, जेएमएम के 19 में से 13, जेवीएम के 8 में से 1, कांग्रेस के 6 में से 3 और अन्य सात विधायकों ने पाला बदलकर जीत दर्ज की थी. इस तरह पिछले चुनाव में सबसे ज्यादा बीजेपी के मौजूदा विधायकों को हार का मुंह देखना पड़ा था.

2014 में 55 विधायक हारे चुनाव

झारखंड में 2014 के विधानसभा चुनाव में 81 में से सिर्फ 26 मौजूदा विधायक ही अपनी सीट बचा सके थे. इस तरह 55 विधायकों को मात खानी पड़ी थी. दस साल पहले हुए चुनाव में 68 फीसदी विधायकों को हार मिली थी और 32 फीसदी विधायक जीतने में सफल रहे थे. इस तरह बीजेपी के 18 में से 10, जेएमएम के 18 में से 7, आजसू से पांच से 3 और एक अन्य विधायक ही सीट बचाए रखने में सफल रहे थे. बीजेपी के आठ तो जेएमएम के 11 और आरजेडी के सभी 5 विधायकों को हार का मुंह देखना पड़ा था.

2009 में सबसे ज्यादा विधायक हारे

साल 2009 के विधानसभा चुनाव में झारखंड के कुल 81 विधायकों में से 20 विधायक ही अपनी सीट बचाए रखने में सफल रहे थे और 61 मौजूदा विधायक को शिकस्त खानी पड़ी थी. इस तरह 75 फीसदी विधायक अपनी सीट नहीं बचा सके और 25 फीसदी विधायक जीत दर्ज कर सके थे. जेएमएम के 17 में से 5, बीजेपी के 30 में से 4, कांग्रेस के 9 में से 2, आरजेडी के 7 में से 1, आजसू के 2 में से 2, माले के एक में से एक और एक अन्य पार्टी के विधायक अपनी सीट बचाए रखने में कामयाब रहे थे. 2009 में सबसे बड़ा झटका बीजेपी को लगा था. झारखंड इतिहास में सबसे ज्यादा विधायकों के हार का रिकार्ड 2009 के चुनाव में रहा था.

2005 में 50 विधायक हारे चुनाव

बिहार से अलग होकर 2000 में झारखंड का गठन हुआ, लेकिन राज्य बनने के बाद सबसे पहला चुनाव 2005 में हुआ. इस चुनाव में मौजूदा 50 विधायकों को हार का मुंह देखना पड़ा था और 31 विधायक ही अपनी सीट बचाए रखने में सफल रहे थे. इस तरह मौजूदा 62 फीसदी विधायकों को 2005 में हार झेलनी पड़ी थी जबकि 38 फीसदी विधायक ही विधानसभा पहुंचने में सफल रहे थे. 2005 में बीजेपी के 32 में से 13, जेएमएम के 12 में से 6, कांग्रेस के 11 में से 4, जेडीयू के 8 में से 3, आरजेडी के 9 में से 2 विधायक ही जीतने में सफल रहे थे. इसके अलावा आजसू के एक और एक निर्दलीय विधायक अपनी सीट बचा सके थे.

विधायकों के चुनाव हारने का ट्रेंड

झारखंड की सियासत में मौजूदा विधायकों के आधे से ज्यादा के चुनाव हारने का चला आ रहे सियासी ट्रेंड ने राजनीतिक दलों के साथ-साथ सीएम हेमंत सोरेन की टेंशन बढ़ा दी है. पिछले चार चुनाव में मौजूदा विधायकों के हार का विश्लेषण करते हैं तो सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों को शिकस्त झेलनी पड़ी है. इससे जाहिर होता है कि सरकार के साथ-साथ मौजूदा विधायकों के खिलाफ भी सत्ता विरोधी लहर रहती है. झारखंड के वोटर्स सरकार के साथ मौजूदा विधायकों के खिलाफ भी गहरी नाराजगी जाहिर करते हैं, जिसके चलते सरकार बदलने के साथ-साथ मौजूदा विधायक भी बदल जाते हैं.

ट्रेंड बदलने के लिए काटे टिकट

बीजेपी ने 2024 के विधानसभा चुनाव में अपने चार सिटिंग विधायकों के टिकट काटे हैं. बीजेपी ने सिमरिया के विधायक किशुन दास का टिकट काट उज्ज्वल दास को दिया , कांके के विधायक समरी लाल का टिकट काट डॉ जीतू चरण राम को दिया , जमुआ के विधायक केदार हाजरा का टिकट काट मंजू देवी को प्रत्याशी बनाया है. सिंदरी से इंद्रजीत महतो के जगह उनकी पत्नी तारा देवी को उम्मीदवार बनाया है.

वहीं, झारखंड मुक्ति मोर्चा ने लिट्टीपाड़ा से सीटिंग विधायक दिनेश विलियम मरांडी का टिकट काट हेमलाल मुर्मू को उम्मीदवार बनाया है. इसके अलावा हेमंत सोरेन ने उन विधायकों के भी टिकट काट दिए हैं, जिन्होंने चुनाव की तपिश के बीच जेएमएम छोड़कर बीजेपी या फिर दूसरे दल में चले गए हैं. कांग्रेस ने अपने एक विधायक का टिकट काटा है. कांग्रेस ने बरही सिट से विधायक उमाशंकर अकेला का टिकट काट कर अरुण साहू को उम्मीदवार बनाया है.

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