देश- नेपाल की निवासी, बिहार में लड़ी चुनाव और बन गई मुखिया… कैसे छिन गई सबा खातून की कुर्सी?- #NA

बिहार के दरभंगा जिले से अनोखी खबर है. यहां एक महिला मुखिया की कुर्सी छिन गई है. महिला ने राज्य निर्वाचन आयोग को अंधेरे में रखते हुए नेपाल की नागरिकता होने के बाद भी भारत में चुनाव लड़ा और जीत भी गई. अब राज्य निर्वाचन आयोग ने पूरे मामले की सुनवाई करने के बाद अपना फैसला दिया है. महिला मुखिया की जहां कुर्सी चली गई है तो वहीं अब कानूनी कार्रवाई भी होगी.

दरभंगा जिले के केवटी प्रखंड के कोठिया पंचायत की अब तक मुखिया रहीं सबा प्रवीण उर्फ सबा खातून की मुखिया की कुर्सी छिन गई है. सबा खातून पर आरोप था कि उन्होंने नेपाल की नागरिकता रहने के बाद भी भारत में मुखिया का चुनाव लड़ा. दरअसल, कोठिया के ही निवासी जितेंद्र प्रसाद ने राज्य निर्वाचन आयोग में यह शिकायत दर्ज कराई थी कि सबा खातून के पास बिहार के साथ-साथ नेपाल की भी नागरिकता है.

जितेंद्र प्रसाद ने बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 की धारा 135 और 136 (2) के तहत दोहरी नागरिकता की जानकारी देते हुए अब तक मुखिया रहीं सबा प्रवीण को मुखिया पद से हटाने की मांग की थी. स्पष्ट है कि बिहार पंचायत चुनाव अधिनियम 2006 की धारा 136 (1) के तहत भारतीय निर्वाचन प्रक्रिया में शामिल होने के लिए भारत का नागरिक होना अनिवार्य है.

जितेंद्र प्रसाद के द्वारा आरोप लगाए जाने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने सबा खातून से वस्तु स्थिति की जानकारी मांगी थी. जिस पर सबा खातून ने यह बताया कि उनके पिता की मृत्यु के बाद कुछ समय के लिए वह अपने नाना के घर नेपाल चली आई थीं और शीघ्र ही अपने घर पैतृक आवास बिहार वापस आ गई थीं. हालांकि वह इस बात का जवाब नहीं दे सकीं कि नेपाल की नागरिकता पंजी में नाम, फोटो और मतदाता पहचान पत्र कैसे जारी हो गया? उनके द्वारा आयोग को यह भी बताया गया था कि अपने नामांकन पत्र में साक्षर लिखा है, जबकि वह मैट्रिक के समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण की हैं. इस प्रकार उनके द्वारा तथ्यों को छिपाया गया है.

भारतीय नागरिकता के प्रमाण नहीं मिले

जितेंद्र प्रसाद ने आयोग के समक्ष इस बिंदु को रखा कि पटना उच्च न्यायालय द्वारा किरण गुप्ता केस में यह अपहोल्ड किया गया है कि भारत में अर्जित भूमि, मतदाता सूची में नाम, पैन कार्ड, आधार कार्ड और शैक्षणिक प्रमाण पत्र आदि भारतीय नागरिकता के प्रमाण नहीं है. इसी बात में पटना हाई कोर्ट द्वारा यह भी अपलोड किया गया है कि नेपाल की नागरिकता त्याग करने मात्र से भारत की नागरिकता प्राप्त नहीं होती, बल्कि इसे प्राप्त करने के लिए विहित प्रक्रिया के अनुसार, सक्षम प्राधिकार के समक्ष पंजीकरण के लिए अनुरोध किया जाना आवश्यक है. उनके द्वारा अंत में इस तथ्य पर बल दिया गया था कि संवीक्षा की तिथि को प्रतिवादी नेपाली नागरिक थी. अतः उन्हें बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 की धारा 136 (1) के अधीन मुखिया के पद से अविलंब हटाना हटाया जाना चाहिए.

नेपाल की रहने वाली सबा खातून की मां

जितेंद्र प्रसाद के द्वारा जब यह आरोप लगाए गए. इसके बाद सबा खातून ने आयोग के सामने यह पक्ष रखा कि वह जन्म और ओरिजिन से भारत की नागरिक है. उन्होंने यह भी बताया कि उनकी माता नेपाली नागरिक हैं और पिता भारतीय नागरिक हैं. माता के विवाह के बाद वह भारत में रहने के लिए भारत चली आईं, उनके पिता की मृत्यु 2007 में हुई, जिसके कारण अल्प समय के लिए वह अपने नाना के घर नेपाल में रही थीं, लेकिन यह बहुत अल्पकालीन प्रवास था. उनका पैतृक आवास शुरू से ही भारत है एवं उनके दादा समेत समस्त परिजन एवं रिश्तेदार वर्तमान समय में भी बिहार के निवासी हैं.

अपने दावे के समर्थन में सबा खातून ने वर्ष 1898 के खतियान की छाया प्रति एवं वंशावली का भी अवलोकन राज्य निर्वाचन आयोग को कराया. उन्होंने आयोग को यह भी बताया कि उक्त भूखंड एवं वंश वृक्ष से स्पष्ट है कि वह उनके पैतृक परिवार भारत देश का मूल एवं स्थाई निवासी हैं. हालांकि उन्होंने आयोग को यह भी बताया कि उनकी मां अहमदी खातून द्वारा वर्ष 2016 में पंचायत चुनाव में भाग लिया गया था. उनके पास मतदाता पहचान पत्र भी उपलब्ध है. प्रारंभ से अब तक उनके घर के लोग भारत में निवास करते हैं.

बिहार से की ही पढ़ाई

उनके द्वारा इस संबंध में बिहार राज्य मदरसा एजुकेशन बोर्ड पटना से जारी किए गए 10वीं के समतुल्य माने जाने वाले फोकानिया और आठवीं के समतुल्य माने जाने वाले वस्तानिया के प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत किए गए. साथ ही साथ आधार कार्ड, भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी मतदाता पहचान पत्र, दरभंगा सदन सदर के अनुमंडल कार्यालय से जारी निवास प्रमाण पत्र का भी दस्तावेज प्रस्तुत किया गया. साथ ही यह दावा किया गया कि जन्म से अब तक वह भारत की निवासी हैं.

उनके द्वारा आयोग को यह भी बताया कि जैसे ही उन्हें संज्ञान में आया कि उनका नाम नेपाल की नागरिकता सूची में अंकित हो गया है, उनके द्वारा अविलंब इसको वहां से हटाने के लिए अनुरोध किया गया. इसके बाद इसी साल तीन मार्च को उनका नाम नेपाल की नागरिकता सूची से हटा दिया गया. उनके द्वारा आयोग को बताया गया कि संभवत: उनकी मां के नेपाली नागरिक होने के कारण नागरिकता अधिनियम के प्रावधानों के तहत उनका नाम नेपाली मतदाता सूची एवं नेपाली नागरिकता सूची में अंकित हो गया हो.

शपथ पत्र में छिपाई अपनी नागरिकता की जानकारी

इन सब के अलावा दोनों ही पक्षों के तरफ से तमाम तथ्य भी राज्य निर्वाचन आयोग के सामने रखे गए, जिसका अवलोकन करने के बाद से राज्य निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया कि संवीक्षा की तारीख तक सबा प्रवीण उर्फ सबा खातून भारत की नागरिक नहीं थीं, जो की निर्विवाद अभिलेखीय साक्ष्य एवं उनके स्वीकृति से स्पष्ट हो चुका है. इस प्रकार बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 की धारा 136 (1) के तहत योग्यता होने के बावजूद तथ्यों को छिपाते हुए गलत शपथ पत्र के आधार पर उनके द्वारा निर्वाचन में भाग लिया गया और मुखिया ग्राम पंचायत कोठिया जिला दरभंगा के पद पर विजय प्राप्त कर ली गई. जो गैर विधिक होने के साथ-साथ गैरकानूनी है.

सबा खातून का मुखिया पद गया

अतः बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 की सुसंगत धाराओं के तहत दी गई शक्तियों के अधीन सबा प्रवीण उर्फ सबा खातून को तत्काल प्रभाव से ग्राम पंचायत मुखिया के पद से पद मुक्त किया जाता है. साथ ही साथ आयोग ने दरभंगा के जिलाधिकारी को यह भी स्पष्ट किया है कि तथ्यों को छिपाने एवं गलत शपथ पत्र प्रस्तुत करने के लिए बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 की सुसंगत धाराओं के प्रावधानों तथा अन्य सुसंगत धाराओं के अधीन तथा भारतीय नागरिक नहीं रहने के बाद भी भारत में होने वाले निर्वाचनों में भाग लेने के लिए सबा खातून के ऊपर अपेक्षित कानूनी कार्रवाई सुसंगत धाराओं में सुनिश्चित की जाए.

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