देश- न नेता अपना, न नीति अपनी… झारखंड में JMM के भरोसे लड़ रही कांग्रेस बन पाएगी किंगमेकर?- #NA

झारखंड में JMM के भरोसे लड़ रही कांग्रेस क्या बन पाएगी किंगमेकर?

झारखंड के पहले चरण का मतदान खत्म हो गया है. 43 सीटों पर हुई वोटिंग से ज्यादा चर्चा ओल्ड ग्रैंड पार्टी कांग्रेस की सुस्ती है. 2019 के चुनाव में किंगमेकर बनी कांग्रेस इस बार झारखंड मुक्ति मोर्चा के सहारे मैदान में हैं. सवाल उठ रहा है कि जेएमएम के भरोसे चुनाव लड़ रही कांग्रेस इस बार के चुनाव में किंगमेकर बन पाएगी?

2019 में 16 सीटों पर जीती थी कांग्रेस

2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 16 सीटों पर जीत हासिल की थी. पार्टी जेएमएम के साथ सरकार में आई और उसे कैबिनेट में 4 पद मिले. कांग्रेस और जेएमएम की सरकार पूरे पांच साल तक चली. हालांकि, 2019 में कांग्रेस ने खुद के स्तर से जो वादे किए थे, उनमें से कई पूरे नहीं हो पाए.

2024 की शुरुआत में हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद कांग्रेस पूरी तरह हेमंत पर निर्भर हो गई. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को इसका फायदा भी हुआ. झारखंड में उसकी सीटें एक से बढ़कर दो हो गई. वहीं इस बार पार्टी पूरी तरह सरेंडर मोड में है.

एक दिन पहले जारी किया मेनिफेस्टो

झारखंड में कांग्रेस ने आखिरी दिन अपना मेनिफेस्टो जारी किया. मेनिफेस्टो का नाम कांग्रेस ने भरोसा पत्र रखा है. दिलचस्प बात है कि मेनिफेस्टो जारी करते वक्त न तो स्थानीय स्तर का और न ही राष्ट्रीय स्तर का कोई नेता मंच पर मौजूद था. पार्टी ने मेनिफेस्टो कमेटी के अध्यक्ष बंधु तिर्की से ही इसे जारी करवा दिया.

मेनिफेस्टो में भी कुछ नया नहीं है. कांग्रेस का मेनिफेस्टो झारखंड मुक्ति मोर्चा के इर्द-गिर्द ही घूम रहा है. पार्टी ने वही सारे वादे किए हैं, जो झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपने अधिकार पत्र में किए हैं.

मसलन, महिलाओं का सम्मान, जाति जनगणना और खातियानी नीति जैसे मुद्दों को झारखंड मुक्ति मोर्चा की तरह ही कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में शामिल किया है.

कुल मिलाकर कहा जाए तो कांग्रेस का मेनिफेस्टो जेएमएम की पूरी कॉपी है.

लोकल लेवल पर मजबूत नेता की कमी

झारखंड में लोकल लेवल पर कांग्रेस के पास मजबूत नेता की कमी है. राज्य में ऐसा कोई भी नेता नहीं है, जो अपने दम पर भीड़ जुटा पाए. इसका खामियाजा कांग्रेस उम्मीदवारों को प्रचार में भुगतना पड़ रहा है.

दिलचस्प बात है कि लोकल लीडर की जगह कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव की तस्वीर लगाई जा रही है. पार्टी के मेनिफेस्टो में स्थानीय नेताओं की जगह पर गुलाम अहमद मीर की बड़ी तस्वीर छपी हुई है.

उनके पीछे कमलेश महतो और रामेश्वर उरांव की तस्वीर है. उरांव अपने क्षेत्र लोहरदगा से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं, जबकि कमलेश महतो भी भीड़ नहीं जुटा पा रहे.

कांग्रेस के पास स्थानीय स्तर पर पहले दो नेता धीरज साहू और आलमगीर आलम थे, लेकिन वर्तमान में दोनों ही नेता पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं और कांग्रेस ने दोनों से दूरी बना ली है.

बड़े नेता दूर, हेमंत-कल्पना के भरोसे कांग्रेसी

कांग्रेस के बड़े नेता झारखंड प्रचार से दूर हैं. पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने जरूर 2-4 रैली की है, लेकिन सभी सीटों को दोनों नेता कवर नहीं कर पाए हैं. प्रियंका ने तो अब तक एक भी रैली नहीं की है. कहा जा रहा है कि अब शायद ही प्रियंका का झारखंड दौरा हो. अगर प्रियंका रैली करती भी है तो एक-दो रैली झारखंड में कर सकती हैं.

ऐसे में कांग्रेस के प्रत्याशी हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन के भरोसे ही मैदान में हैं. कल्पना और हेमंत कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के लिए भी वोट मांग रहे हैं. अब तक कांग्रेस के अजय कुमार, बन्ना गुप्ता, प्रदीप यादव जैसे नेताओं के लिए कल्पना और हेमंत वोट मांग चुके हैं.

कांग्रेस झारखंड की 29 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. अधिकांश सीटों पर कांग्रेसियों को जिताने की जिम्मेदारी कल्पना और हेमंत के पास ही है.

झारखंड में कब कितनी सीटों पर जीती कांग्रेस?

2005 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी जेएमएम के साथ गठबंधन में थी. कांग्रेस को चुनाव लड़ने के लिए 41 सीटें मिली थी, लेकिन पार्टी सिर्फ 9 सीटों पर जीत पाई. 2009 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी 61 सीटों पर मैदान में उतरी. इस चुनाव में पार्टी को 14 सीटों पर जीत मिली और कांग्रेस विपक्ष में बैठ गई.

2014 के चुनाव में कांग्रेस जेएमएम के साथ फिर से मैदान में उतरी, लेकिन इस बार पार्टी को सिर्फ 6 सीटों पर जीत मिली. सुखदेव भगत, केएन त्रिपाठी समेत कई बड़े नेता चुनाव हार गए.

2019 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने कमबैक किया और उसे 16 सीटों पर जीत मिली.

Copyright Disclaimer :- Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.

यह पोस्ट सबसे पहले टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम पर प्रकाशित हुआ , हमने टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम के सोंजन्य से आरएसएस फीड से इसको रिपब्लिश करा है, साथ में टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम का सोर्स लिंक दिया जा रहा है आप चाहें तो सोर्स लिंक से भी आर्टिकल पढ़ सकतें हैं
The post appeared first on टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम Source link

Back to top button
Close
Log In
Crime
Social/Other
Business
Political
Editorials
Entertainment
Festival
Health
International
Opinion
Sports
Tach-Science