देश- बिहार: नए आपराधिक कानूनों पर राष्ट्रीय सम्मेलन का हुआ समापन, चीफ जस्टिस ने चुनौतियों से निपटने की बताई राह- #NA

नए आपराधिक कानूनों पर राष्ट्रीय सम्मेलन का हुआ समापन

पटना उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस विनोद चंद्रन द्वारा उद्घाटित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का रविवार को बिहार लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास संस्थान (BIPARD) का गया में समापन हुआ. 23-24 नवंबर को आयोजित इस सम्मेलन में देश भर के न्यायविद, कानूनी विशेषज्ञ, और वरिष्ठ प्रशासक आए. इस ऐतिहासिक आयोजन का उद्देश्य एक जुलाई 2024 से प्रभावी तीन नए आपराधिक कानूनों- BNSS, BNS और BSA के क्रियान्वयन और उनके प्रारंभिक प्रभावों का आकलन करना था.

इस अवसर पर पटना चीफ जस्टिस के. विनोद चंद्रन, जज एम. पंचोली, जज मोहित कुमार शाह, और जज डॉ. अंशुमान सहित देशभर के प्रमुख कई जजों ने हिस्सा लिया. मध्य प्रदेश, केरल, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालयों के सीनियर जज की उपस्थिति ने इस सम्मेलन को राष्ट्रीय स्वरूप दिया. बिहार के महाधिवक्ता पीके शाही और 500 नवनियुक्त सहायक अभियोजन अधिकारियों ने भी इसमें हिस्सा लिया.

आपराधिक कानूनों के प्रभावी अनुप्रयोग

इस दौरान मुख्य न्यायाधीश ने अपने उद्घाटन भाषण में नए आपराधिक कानूनों के प्रभावी अनुप्रयोग पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों, कानूनी विशेषज्ञों और प्रशासनिक अधिकारियों की सामूहिक भागीदारी से न्याय प्रणाली को तेजी से क्रियान्वित करने के लिए उपयोगी अंतर्दृष्टि मिलेगी.

सम्मेलन में छह तकनीकि सत्र आयोजित किए गए, जिनकी अध्यक्षता उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों ने की. सत्रों में नए कानूनों के तहत प्रक्रियात्मक और परिचालन चुनौतियों पर चर्चा की गई. सत्रों के दौरान 13 कार्यक्रमें के माध्यम से संरक्षण, अनुपस्थिति में न्यायिक प्रक्रिया, और साक्ष्य संकलन जैसी व्यावहारिक समस्याओं को भी बताया.

न्याय प्रणाली की चुनौतियों पर चर्चा

सम्मेलन ने 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों को एक मंच पर लाकर आपराधिक न्याय प्रणाली के समक्ष उभरती चुनौतियों और उनके समाधान पर केंद्रित चर्चा का मौका दिया. पूर्वोत्तर राज्यों की उल्लेखनीय भागीदारी ने इस आयोजन को और समृद्ध बनाया.

बिहार के महाधिवक्ता पीके शाही ने सम्मेलन के समापन पर BIPARD के महानिदेशक केके पाठक की सराहना की. उन्होंने कहा कि यह प्रयास न्यायपालिका, प्रशासन और जांच एजेंसियों को एक मंच पर लाने का महत्वपूर्ण उदाहरण है, जो शीघ्र न्याय प्रदान करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा.

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