देश- बिहार में कांग्रेस कैसे सुधारेगी प्रदर्शन! 8 साल से अब तक नहीं हुआ नई कमेटी का गठन- #NA

बिहार कांग्रेस में कई सालों से पुरानी कमेटी ही काम कर रही है.

बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. राज्य में अभी से ही राजनीतिक सरगर्मी जोर पकड़ती जा रही है. राज्य की तमाम पार्टियां अपने संगठन को धार देने में लगी हुई हैं. इसमें सभी प्रमुख दल चाहे वह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) हो या फिर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), सभी अपने-अपने स्तर पर कवायद कर रही हैं लेकिन राज्य में एक ऐसी भी पार्टी है, जो पिछले 8 सालों से अपनी प्रदेश कमेटी के गठन की बांट जोह रही है.

कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता पिछले आठ सालों से प्रदेश कमेटी के गठन के इंतजार में हैं. तमाम नेता और कार्यकर्ता प्रदेश स्तरीय नेताओं के संपर्क में बने हुए हैं. कांग्रेस से जुड़े नेताओं की मानें तो आठ साल पहले कांग्रेस की प्रदेश कमेटी का आखिरी बार गठन किया गया था. इसके बाद से पार्टी से जुड़े सारे नेताओं और कार्यकर्ताओं के हिस्से में केवल इंतजार है.

कभी प्रदेश की राजनीति में बोलती थी तूती

कांग्रेस पार्टी का दबदबा बिहार की राजनीति में इस कदर रहा है कि आजादी के बाद से 1990 तक बीच के कुछ सालों को अगर निकाल दिया जाए तो इसी पार्टी ने राज्य में सबसे ज्यादा मुख्यमंत्री दिए. हालांकि अब आलम यह है कि इस पार्टी की उपस्थिति बिहार विधानसभा में आरजेडी, बीजेपी और जेडीयू के बाद है. लोकसभा में सांसदों की संख्या में भी कांग्रेस की गिनती जेडीयू, बीजेपी, एलजेपी और आरजेडी जैसी पार्टियों के बाद होती है.

प्रदेश कांग्रेस से जुड़े एक वरिष्ठ नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि प्रदेश कमेटी के गठन के नहीं होने से तमाम नेता और कार्यकर्ता एक-दूसरे से सवालिया लहजे में पूछते हैं. उनका कहना है कि प्रदेश कमेटी के गठन से कार्यकर्ताओं में उत्साह आता है. वो पार्टी और संगठन को मजबूत करने के लिए कार्य करते हैं.

बदल गए पार्टी के कई प्रदेश अध्यक्ष

जानकार बताते हैं कि पिछले आठ सालों में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के पद पर कई नेता बैठ चुके हैं. इनमें मदन मोहन झा का कार्यकाल करीब साढे़ चार साल का रहा. वहीं एक साल का कार्यकाल कोकब कादरी का रहा. वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के कार्यकाल के करीब ढाई साल गुजर चुके हैं. लेकिन इन तीनों के ही कार्यकाल में प्रदेश कमेटी का गठन नहीं हो सका है.

आखिरी 2013 में हुआ कमेटी का गठन

बिहार में प्रदेश कांग्रेस कमेटी का आखिरी बार गठन तब किया गया था, जब वर्तमान में जेडीयू के वरिष्ठ नेताओं में शुमार होने वाले और नीतीश सरकार में मंत्री अशोक चौधरी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे. तब अशोक चौधरी ने 225 सदस्यों की प्रदेश कमेटी का गठन किया था. उस वक्त 15 उपाध्यक्ष, 25 महासचिव, 76 सचिव, 45 संगठन सचिव, 77 कार्यकारिणी सदस्य और कई विशेष आमंत्रित सदस्य बनाए गए थे. साथ ही एक कोषाध्यक्ष भी बनाया गया था. वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस कमेटी का गठन तो नहीं हो सका है लेकिन कोषाध्यक्ष के रूप में निर्मल वर्मा की नियुक्ति हो चुकी है.

प्रभारी भी नहीं करवा सके कमेटी का गठन

पिछले दस सालों में प्रदेश कांग्रेस के न केवल 3-3 प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति हो चुकी है बल्कि 3-3 प्रभारी भी बदले जा चुके हैं. जब अशोक चौधरी प्रदेश अध्यक्ष थे, तब प्रदेश कांग्रेस के पार्टी प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल थे. कांग्रेस ने उनके ही नेतृत्व में पहले 2014 का लोकसभा चुनाव और फिर 2015 का विधानसभा चुनाव भी लड़ा था. इसके बाद भक्त चरण दास बिहार के प्रभारी बने. वर्तमान में मोहन प्रकाश प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी हैं. इसके बाद भी प्रदेश कमेटी का गठन नहीं हो सका है.

साल 2022 में जब कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने मदन मोहन झा की जगह पर अखिलेश प्रसाद सिंह को प्रदेश पार्टी की कमान सौंपी थी तब उन्होंने राज्य में पार्टी की खो चुकी जमीन को वापस लाने की बात कही थी. उन्होंने जल्द ही कमेटी के गठन करने का ऐलान भी किया था, लेकिन दो साल हो गए अभी तक इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाए गए हैं.

अब कब होगा कमेटी का गठन?

प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता राजेश राठौर ने बताया कि जब भी कोई नया अध्यक्ष निर्वाचित होता है तो पुरानी कमेटी भंग हो जाती हैं. जब से नए प्रदेश प्रदेश अध्यक्ष बने हैं, उसके बाद से नई कमेटी का गठन होना है. खुद प्रदेश अध्यक्ष और बिहार प्रभारी दोनों ने एक साथ दावा करते हुए कहा है कि अति शीघ्र संगठन को मजबूती प्रदान करने के लिए बिहार में कमेटियों का गठन कर दिया जाएगा. राठौर यह भी कहते हैं कि जो हमारे दल में नहीं हैं, उनकी चर्चा मैं नहीं करता. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह और बिहार कांग्रेस प्रभारी मोहन प्रकाश ने कहा कि अतिशीघ्र प्रदेश में कमेटियों का गठन कर दिया जाएगा.

पहले RJD का साथ छोड़े कांग्रेसः संजय उपाध्याय

वरिष्ठ पत्रकार संजय उपाध्याय ने बताया कि कांग्रेस की जो संरचनात्मक ऑर्गेनाइजेशन है, उसमें आंतरिक रूप से भारी कमियां है. एक तरह से पार्टी के प्रदेश नेतृत्व में सामंती प्रवृत्ति हावी है. विशेष रूप से पार्टी के प्रदेश नेतृत्व में ही लोकतंत्र का खासा अभाव है. नतीजा यह है कि यह पार्टी धरातल से बिल्कुल उखड़ सी गई है. कभी राज्य का चंपारण इलाका कांग्रेस के लिए देश का सबसे मजबूत गढ़ हुआ करता था. अब स्थिति यह है कि वहां पिछले 20 सालों से एनडीए कुंडली मार कर बैठ गया है.

उन्होंने कहा, “कांग्रेस को ऊपर उठने के लिए महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी के कार्यक्रमों और नीतियों के बारे में बताना होगा. वो यह भी कहते हैं, सबसे पहले कांग्रेस को आरजेडी का साथ छोड़ना होगा. क्योंकि आरजेडी की पहचान बिहार में दागी पार्टी के रूप में हो गई है. कांग्रेस, आरजेडी के पीठ पर ही सवार होकर के राजनीतिक कर रही है. नतीजा इसे लोग बिहार में अब अत्यंत कमजोर पार्टी के रूप में देखने लगे हैं.”

Copyright Disclaimer :- Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.

यह पोस्ट सबसे पहले टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम पर प्रकाशित हुआ , हमने टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम के सोंजन्य से आरएसएस फीड से इसको रिपब्लिश करा है, साथ में टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम का सोर्स लिंक दिया जा रहा है आप चाहें तो सोर्स लिंक से भी आर्टिकल पढ़ सकतें हैं
The post appeared first on टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम Source link

Back to top button
Close
Log In
Crime
Social/Other
Business
Political
Editorials
Entertainment
Festival
Health
International
Opinion
Sports
Tach-Science