देश- महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव को एजेंडे से आउट कर केजरीवाल ने चलाया ‘भर्ती अभियान’, दिल्ली में झोंक रहे जान- #NA

अरविंद केजरीवाल दिल्ली में ताबड़तोड़ अंदाज में विपक्षी नेताओं को अपने खेमे में शामिल कराने के मिशन पर जुटे हैं.

आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी विशेष रणनीति के तहत महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनाव से दूर हैं. वह वहां पर चुनाव प्रचार करने भी नहीं गए. पार्टी महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ रही है. हालांकि इंडिया गठबंधन का हिस्सा होने की वजह से पार्टी के अन्य नेता वहां पर चुनाव प्रचार करने गए, लेकिन केजरीवाल ने वहां से अपनी दूरी बनाए रखी है. केजरीवाल की कोशिश अपने सबसे मजबूत गढ़ दिल्ली को बचाए रखने की है.

दिल्ली के किले को बचाए रखने की कोशिश के तहत ही केजरीवाल ने महाराष्ट्र और झारखंड में अपने प्रत्याशी नहीं उतारे, साथ ही प्रचार करने भी नहीं गए. दिल्ली में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही सितंबर में उन्होंने अप्रत्याशित रूप से मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. वह शराब घोटाला केस में कई महीनों तक जेल में रहे, लेकिन उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया. हालांकि जमानत से बाहर आने के बाद उन्होंने पद छोड़कर सभी को चौंका दिया.

केजरीवाल का दिल्ली पर फोकस

राजनीति के माहिर खिलाड़ी बन चुके अरविंद केजरीवाल ने अब अपना पूरा फोकस दिल्ली पर लगा दिया है, जहां नए साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव कराया जाना है. चुनाव से पहले उन्होंने पार्टी की स्थिति मजबूत करने के इरादे से अपना ‘भर्ती अभियान’ भी तेज कर दिया है.

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पिछले एक पखवाड़े में केजरीवाल ने जिस तरह से राष्ट्रीय राजधानी के 3 बड़े नेताओं को अपनी आम आदमी पार्टी में शामिल कराया, उसने यहां के सियासी पारा को चढ़ा दिया है. उन्होंने अपने इस अभियान की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के दिग्गज नेता और 3 बार के विधायक ब्रह्म सिंह तंवर को अपनी पार्टी में शामिल कराकर किया. बुजुर्ग नेता ब्रह्म सिंह साल 1993 और 1998 में महरौली सीट से फिर 2013 में छतरपुर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे.

ब्रह्म सिंह के लिए छतरपुर सीट!

दिल्ली की राजनीति में ब्रह्म सिंह की खासी अहमियत रही है. वह बीजेपी की स्थापना से लेकर अब तक बीजेपी के साथ जुड़े रहे थे. उन्होंने पिछले महीने ही बीजेपी छोड़ा था. माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी ब्रह्म सिंह को छतरपुर विधानसभा सीट से मैदान में उतार सकती है.

पहले बेटे-बहू फिर मतीन भी शामिल

सबसे पहले बीजेपी को झटका देते हुए ब्रह्म सिंह को अपने खेमे में शामिल कराया. फिर केजरीवाल ने कांग्रेस को भी जोर का झटका दे दिया. कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे और 5 बार के विधायक मतीन अहमद ने पार्टी छोड़कर आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया. इससे पहले मतीन के बेटे चौधरी जुबैर अहमद और उनकी पार्षद पत्नी शगुफ्ता चौधरी पिछले महीने (29 अक्टूबर) को AAP में शामिल हो थे.

चौधरी मतीन अहमद 1993 से 2015 तक सीलमपुर सीट से विधायक चुने जाते रहे. हालांकि साल 2015 और 2020 के चुनावों में आम आदमी पार्टी ने सीलमपुर सीट अपने नाम कर ली. 2015 में मोहम्मद इशराक फिर 2020 में अब्दुल रहमान को यहां से जीत मिली. मतीन दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष और दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष भी रहे हैं.

पूर्व मेयर और बीजेपी नेता को भी जोड़ा

इन 2 बड़े चेहरों के अलावा केजरीवाल ने पिछले हफ्ते बीजेपी के एक अन्य नेता बीबी त्यागी को भी अपनी पार्टी में शामिल करा लिया. वह पूर्वी दिल्ली नगर निगम से मेयर रह भी चुके हैं. साथ ही वह 2 बार पार्षद भी रहे हैं. हालांकि बीजेपी के टिकट पर वह साल 2015 में लक्ष्मी नगर सीट से चुनाव मैदान में उतरे लेकिन हार का सामना करना पड़ा.

केजरीवाल की कोशिश अपने मजबूत गढ़ दिल्ली में लगातार जीत का हैट्रिक लगाने की है. 26 नवंबर 2012 में पार्टी के गठन के बाद वह अगले साल 2013 के चुनाव में पहली बार मैदान में उतरी और अपने पहले ही प्रयास में पार्टी 70 में से 28 सीट हासिल करने में कामयाब रही. बीजेपी को तब 32 सीटें मिली थीं, लेकिन केजरीवाल कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने में कामयाब रही. केजरीवाल तब मुख्यमंत्री बने थे.

दिल्ली की सियासत, AAP का प्रदर्शन

फिर 2015 में कराए गए विधानसभा चुनाव में केजरीवाल की अगुवाई में AAP ने शानदार प्रदर्शन किया. 70 में से 67 सीटें जीतकर रिकॉर्ड ही रच दिया. कांग्रेस 8 सीटों पर सिमट गई. पिछले चुनाव में 32 सीटें जीतने वाली बीजेपी महज 3 सीटों पर आ गई. 5 साल बाद 2020 के चुनाव में आम आदमी पार्टी को थोड़ा झटका लगा और 5 सीटों के नुकसान के साथ उसे 62 सीटों पर जीत मिली. हालांकि तब भी यह जीत बहुत बड़ी रही. केजरीवाल तीसरी बार मुख्यमंत्री बने.

हालांकि 2020 के चुनाव के बाद दिल्ली की सियासत में काफी कुछ घटा. विवादित दिल्ली शराब घोटाले ने आम आदमी पार्टी की किरकिरी करा दी. केजरीवाल और मनीष सिसोदिया समेत पार्टी के कई बड़े चेहरों को जेल की हवा खानी पड़ी. 2025 के चुनाव से कुछ महीने पहले केजरीवाल और सिसोदिया जमानत पर जेल से बाहर आ गए. पिछले एक दशक से भी लंबे समय से दिल्ली की सत्ता पर काबिज AAP सत्ता विरोधी लहर से बचने की कोशिश में लगी है.

लोकसभा चुनाव में हार से सबक

विधानसभा चुनाव से करीब 8 महीने पहले अप्रैल-मई में हुए लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका तब लगा जब उसे इस बार भी एक भी सीट नहीं मिली. चौंकाने वाली बात यह रही कि आम आदमी पार्टी ने इस बार कांग्रेस के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था. लेकिन गठबंधन का फायदा उसे नहीं मिला.

अब लोकसभा में हार और दिल्ली शराब घोटाले पर बीजेपी और कांग्रेस के हमले को ध्वस्त करने के इरादे से केजरीवाल ने पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया. आतिशी को मुख्यमंत्री बनाया. फिर जनता की अदालत में बीजेपी और कांग्रेस पर हमला करते हुए पार्टी का पक्ष रख रहे हैं. साथ ही लोगों में यह भी संदेश दे रहे हैं कि शराब घोटाले मामले में उन्हें जानबूझकर फंसाया गया. अब सीएम पद छोड़कर पूरी दिल्ली में लोगों का मिजाज जानने की मुहिम में लग गए हैं और इस कोशिश में हैं कि अन्य पार्टियों के बड़े चेहरों को अपने साथ जोड़ा जाए ताकि 2025 में जब पार्टी चुनाव मैदान में उतरे तो सत्ता विरोधी लहर का सामना न करना पड़े.

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