देश – 'मेहमाननवाजी के लिए थैंक्यू शहबाज शरीफ', पाकिस्तान से भारत पहुंचे विदेश मंत्री जयशंकर – #INA

पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शासनाध्यक्ष परिषद के सम्मेलन में भाग लेने के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर बुधवार शाम को भारत पहुंच गए। पड़ोसी मुल्क से रवाना होने से पहले जयशंकर ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और अन्य अधिकारियों का धन्यवाद किया।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने एक्स हैंडल पर एक पोस्ट में लिखा, “इस्लामाबाद से प्रस्थान करते हुए। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, उप प्रधानमंत्री एवं विदेश मंत्री इशाक डार और पाकिस्तान सरकार को मेहमाननवाजी और शिष्टाचार के लिए धन्यवाद।”

विदेश मंत्री ने इस्लामाबाद में आयोजित एससीओ देशों के शासन प्रमुखों की परिषद (सीएचजी) के 23वें शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। इस सम्मेलन की अध्यक्षता पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने की। जयशंकर मंगलवार को इस्लामाबाद पहुंचे। वह करीब एक दशक में पाकिस्तान की यात्रा करने वाले पहले भारतीय विदेश मंत्री हैं।

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भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के अलावा बेलारूस के प्रधानमंत्री रोमन गोलोवचेंको, चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग, रूस के प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्टिन, ईरान के प्रथम उपराष्ट्रपति मोहम्मद रजा अरेफ, कजाखस्तान के प्रधानमंत्री ओल्जास बेक्तेनोव, किर्गिज मंत्रिमंडल के प्रमुख अकिलबेक जापारोव, मंगोलिया के प्रधानमंत्री ओयुन-एर्डीन लवसन्नामसराय, ताजिकिस्तान के प्रधानमंत्री कोहिर रसूलजोदा, तुर्कमेनिस्तान के उप सभापति राशिद मेरेडोव और उज्बेकिस्तान के प्रधानमंत्री अब्दुल्ला अरिपोव ने इस सम्मेलन में भाग लिया।

क्षेत्रीय सहयोग में बाधा बन रहे आतंकवाद और उग्रवाद : जयशंकर

इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान को उसी की धरती से परोक्ष संदेश देते हुए बुधवार को कहा कि यदि सीमा पार की गतिविधियां आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद की ‘‘तीन बुराइयों’’ पर आधारित होंगी तो व्यापार, ऊर्जा और संपर्क सुविधा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ने की संभावना नहीं है। जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि व्यापार और संपर्क पहलों में क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता दी जानी चाहिए और भरोसे की कमी पर ‘‘ईमानदारी से बातचीत’’ करना आवश्यक है।

शरीफ ने एससीओ के सम्मेलन को सबसे पहले संबोधित किया जिसके तुरंत बाद जयशंकर ने सम्मेलन में अपनी बात रखी। इस सम्मेलन में चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग भी शामिल हुए। जयशंकर ने ये टिप्पणियां पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच जारी सैन्य गतिरोध और हिंद महासागर एवं अन्य रणनीतिक जलक्षेत्रों में चीन की बढ़ती सैन्य ताकत को लेकर चिंताओं के बीच की।

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