देश- शिंदे गैंग से हिसाब बराबर करने उतरेंगे उद्धव ठाकरे, विदर्भ से कोंकण तक को साधने का है प्लान- #NA
सीएम एकनाथ शिंदे, उद्धव ठाकरे
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नामांकन की प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे अब शिंदे गैंग से हिसाब बराबर करने मंगलवार से मैदान में उतर रहे हैं. चुनाव प्रचार अभियान का आगाज उद्धव ठाकरे कोल्हापुर के अम्बाबाई मंदिर में दर्शन के साथ कर रहे हैं, जिसके जरिए कोंकण और विदर्भ क्षेत्रों की सीटों को साधने की स्ट्रैटेजी मानी जा रही है. उद्धव के एजेंडे पर विधायकों के निर्वाचन क्षेत्र है, जो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ 2022 में शामिल होकर बगावत कर बैठे थे. अब दो साल के बाद उद्धव ने सीधे तौर पर उनके इलाके में रैली करके हिसाब बराबर करने की स्ट्रैटेजी बनाई है.
उद्धव ठाकरे मंगलवार को अम्बाबाई मंदिर में दर्शन के बाद आदमपुर में अपनी पहली जनसभा को संबोधित करेंगे. इसके बाद देर शाम रत्नागिरी पहुंचेंगे और शाम 6 बजे चुनावी जनसभा को संबोधित करने का काम उद्धव करेंगे. रत्नगिरी सीट से विधायक राज्य के उद्योग मंत्री उदय सामंत हैं, जो एकनाथ शिंदे के साथ शामिल हो गए थे और उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ दिया था. रत्नागिरी में जनसभा करके उद्धव ठाकरे अपनी पार्टी के विधायक राजन साल्वी को जिताने की अपील करेंगे, जो राजापुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.
उद्धव ठाकरे कोंकण से भरेंगे हुंकार
शिवेसना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कोंकण इलाके के रत्नागिरी जिले से चुनावी हुंकार भरकर सीधे सीएम एकनाथ शिंदे को चुनौती देने का प्लान बनाया है. ऐसे में उद्धव ठाकरे कि तरफ से 5 नवंबर से लेकर 17 नवंबर के बीच महाराष्ट्र में कुल 25 चुनावी जनसभाओं को संबोधित करने की रूपरेखा अभी बनाई गई है. ऐसे में उनका मुख्य फोकस शिंदे के साथ बगावत करने वाले शिवसेना विधायकों पर है, जिनके खिलाफ अब प्रचार करके उद्धव की सियासी हिसाब बराबर करने की रणनीति है.
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उद्धव ठाकरे 6 नवंबर को ठाणे जिले के भिवंडी ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव प्रचार करेंगे, जिसका प्रतिनिधित्व शांताराम मोरे करते हैं, जो उनके खिलाफ बगावत करने वाले 40 विधायकों में से एक थे. ठाणे जिला सीएम शिंदे का गृह क्षेत्र है, उसी दिन उद्धव मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) में महा विकास आघाडी की रैली में शिरकत करेंगे, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और एनसीपी (एस) अध्यक्ष शरद पवार के साथ मंच शेयर करेंगे.
वहीं, सात नवंबर को उद्धव ठाकरे दरियापुर में चुनाव प्रचार करेंगे, जहां से शिंदे की शिवसेना के दिग्गज नेता आनंद अडसुल के बेटे अभिजीत अडसुल विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं, उसी दिन शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख बडनेरा से पार्टी के उम्मीदवार सुनील खराटे के लिए वोट मागेंगे. यह निर्वाचन क्षेत्र तीन बार के विधायक और बीजेपी के सहयोगी रवि राणा का क्षेत्र है. बडनेरा से विधायक रवि राणा और उनकी पत्नी नवनीत राणा ने जब ठाकरे मुख्यमंत्री थे, तो उनके निजी आवास ‘मातोश्री’ के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने की चुनौती दी थी. इसके लिए राणा दंपत्ति को उस समय गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था.
क्या है उद्धव ठाकरे की स्ट्रैटेजी?
उद्धव ठाकरे 8 नवंबर को विदर्भ के बुलढाणा और मेहकर में प्रचार करेंगे, जहां से संजय गायकवाड़ और संजय रायमुलकर विधायक हैं. इन दोनों विधायकों ने 2022 में शिंदे के साथ बगावत का झंडा उठा रखा था. इसके बाद परभणी जिले के परतुर में उद्धव गुट के उम्मीदवार आसाराम बोराडे के लिए प्रचार करेंगे. बोराडे का इस बार मुकाबला बीजेपी के मौजूदा विधायक बबनराव लोनीकर से हैं. इस तरह उद्धव ठाकरे ने सीधे तौर पर शिंदे खेमे के विधायकों से हिसाब बराबर करने की स्ट्रैटेजी बनाई है.
उद्धव ठाकरे ने मिशन-महाराष्ट्र के लिए कोंकण के इलाके को चुना है, जो उनका मजबूत गढ़ रहा है. सीएम एकनाथ शिंदे से लेकर नारायण राणे का इन इलाकों में दबदबा है. ऐसे में उद्धव ठाकरे की रणनीति अपने विरोधी के गढ़ से चुनाव प्रचार कर सीधे चुनौती देने की है. महाराष्ट्र के कोंकण इलाके में 39 विधानसभा सीटें आती हैं. इस इलाके में रायगढ़ और रत्नागिरी जैसे बड़े शहर आते हैं. कोंकण का इलाका शिवसेना का पुराना गढ़ रहा है, लेकिन शिंदे के अलग होने के बाद उद्धव ठाकरे के सामने अब दोबारा से अपनी राजनीति को खड़ी करने की चुनौती है.
उद्धव देंगे शिंदे को सीधे चुनौती
कोंकण बेल्ट में शिवसेना के चेहरे रहे शिंदे और नारायण राणे दोनों ही बीजेपी के साथ खड़े हैं. उद्धव का साथ छोड़कर शिंदे के साथ जाने वाले ज्यादातर शिवसैनिक इस इलाके के रहे हैं. कोंकण में पूरा चुनाव एक तरह से शिवसेना बनाम शिवसेना ही है. इसीलिए उद्धव ठाकरे कोंकण से चुनावी अभियान का आगाज करके सीधे शिंदे को चुनौती देना चाहते हैं. इसके अलावा उद्धव ठाकरे ने विदर्भ को साधने की स्ट्रैटेजी बनाई है, जहां पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच है. उद्धव इस बात को बखूबी जानते हैं कि महाराष्ट्र की सियासत में अपनी उपयोगिता को बनाए रखना है तो अपने सियासी दुर्ग को भी बचाए रखना होगा. इसीलिए कोंकण इलाके में उद्धव ठाकरे ने उतरकर सियासी संदेश देने का फैसला किया है.
शिवसेना बनाम शिवसेना की लड़ाई
महाराष्ट्र की कुल 288 विधानसभा सीटों में से एनडीए गठबंधन के तहत एकनाथ शिंदे के अगुवाई वाली शिवसेना 82 सीट पर चुनाव लड़ रही है, तो इंडिया गठबंधन के तहत उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने (यूबीटी) 93 सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. इनमें से 47 सीटों पर शिवसेना की लड़ाई उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवारों से है. शिवसेना बनाम शिवसेना मुकाबले वाली 47 सीटों में 16 सीटें मुबंई इलाके की हैं तो 18 सीटें कोंकण क्षेत्र की हैं. इसके अलावा मराठवाड़ा इलाके की 7 सीटों पर भी शिवसेना बनाम शिवसेना की लड़ाई है और बाकी सीटें विदर्भ, पश्चिम और उत्तर महाराष्ट्र की हैं.
शिवसेना में बगावत के बाद जंग
शिवसेना में बंटवारे के बाद यह दूसरा चुनाव है, जब शिवसेना का मुकाबला शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार से होगा. 2024 लोकसभा चुनाव में मुंबई की तीन सीटों- मुंबई दक्षिण, मुंबई दक्षिण मध्य और उत्तर पश्चिम पर शिंदे की शिवसेना ने उद्धव के उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ा और सिर्फ एक ही सीट जीत सकी. इस तरह विधानसभा में मुंबई की 10, पुणे की दो और कल्याण की तीन सीटों सहित 47 सीटों पर शिवसेना (यूबीटी) की शिंदे की शिवसेना के बीच टक्कर है. कोपरी-पचपाखड़ी और वर्ली जैसी हाई प्रोफाइल सीट भी इसमें शामिल है. वर्ली में मिलिंद देवड़ा का मुकाबला आदित्य ठाकरे से है तो सीएम शिंदे की सीट कोपरी-पचपाखड़ी में शिवसेना यूबीटी ने उनके गुरु आनंद दिघे के भतीजे केदार दिघे को उतार दिया है.
हर सीट पर होगी कड़ी टक्कर
शिवसेना बनाम शिवसेना (यूबीटी)के बीच मुकाबले वाली बायकुला, माहिम, जोगेश्वरी ईस्ट, मागाठाणे, कुर्ला, विक्रोली, डिंडोशी, चेंबूर, अंधेरी ईस्ट, भांडुप, शिवरी, अंबरनाथ, कल्याण वेस्ट, भिवंडी ग्रामीण, कल्याण ग्रामीण और ओवाला-माजीवाड़ा जैसी विधानसभा सीटें है. इस तरह विधानसभा का चुनाव एक निर्णायक लड़ाई, अस्तित्व की लड़ाई और यह तय करने की लड़ाई होने की उम्मीद है कि असली शिवसेना कौन है. यही वजह है कि उद्धव ठाकरे ने सीधे तौर पर शिंदे खेमे के नेताओं के खिलाफ खुलकर चुनावी मैदान में उतरकर चुनौती देने की स्ट्रैटेजी बनाई है. ऐसे में देखना है कि शह-मात के खेल में कौन किस पर भारी पड़ता है?
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