देश – स्टूडेंट्स को लेनी चाहिए इतने घंटे की नींद, एकैडमिक से लेकर एग्जाम तक होता है काफी असर #INA

हेल्दी लाइफ जीने के लिए पर्याप्त नींद बहुत जरूरी है, खासकर छात्रों के लिए, क्योंकि यह उनके शारीरिक और मानसिक विकास को प्रभावित करती है. नींद के दौरान शरीर और दिमाग को आराम मिलता है, जिससे अगले दिन के लिए के लिए एनर्जी मिलती है. छात्रों को नींद की जरूरत होती है, क्योंकि यह उनके स्टडी, याद करने की क्षमता, और पूरे हेल्थ के लिए फायदेमंद है.

नींद की जरूरी मात्रा

विशेषज्ञों के अनुसार, छात्रों को उम्र के हिसाब से अलग-अलग मात्रा में नींद की जरूरत होती है. अमेरिकी नेशनल स्लीप फाउंडेशन के अनुसार, अलग-अलग उम्र के छात्रों को नींद की जो सही मात्रा होनी चाहिए. 

1. 5 से 13 वर्ष के बच्चे: उन्हें प्रतिदिन 9 से 11 घंटे की नींद की जरूरत होती है.
2. 14 से 17 वर्ष के किशोर: इस उम्र के बच्चों को 8 से 10 घंटे की नींद मिलनी चाहिए.
3. 18 से 25 वर्ष के युवा: इस आयु वर्ग के लिए 7 से 9 घंटे की नींद आदर्श मानी जाती है.

मानसिक स्वास्थ्य पर कितना असर

नींद छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है. जब हम सोते हैं, तो मस्तिष्क में ताजगी आती है, जिससे हमारी एकाग्रता और याददाश्त में सुधार होता है. रात की नींद के दौरान दिमाग उन जानकारियों को फिलटर करता है, जो दिनभर में हमने सीखी होती हैं. इससे छात्रों की एकैडमिक परफॉर्मेंस में सुधार हो सकता है. नींद की कमी से ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है, जिससे स्टडी में परेशानी होने लगती है.

शारीरिक विकास के लिए जरूरी

नींद के दौरान शरीर की मरम्मत होती है. बच्चों और किशोरों के शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं, जो नींद के दौरान एक्टिव होते हैं. पर्याप्त नींद लेने से शारीरिक विकास में मदद मिलती है, मसल्स की रिपेयर होती है और ऊर्जा का पुनर्निर्माण होता है. इसके अलावा, पर्याप्त नींद से रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी सुधार होता है, जिससे छात्रों को बीमारियों से बचाव मिलता है.

नींद की कमी और इसके प्रभाव

नींद की कमी से छात्रों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है:
फोकस करने में होती है दिक्कत: जब नींद पूरी नहीं होती, तो छात्रों को पढ़ाई में फोकस करने में दिक्कत होती है.
स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं: नींद की कमी से तनाव, चिंता, और डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याएं हो सकती हैं. इसके अलावा, शरीर में इन्फेक्शन होने का खतरा भी बढ़ जाता है.
कम प्रदर्शन: नींद की कमी के कारण छात्रों का शैक्षिक प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है, क्योंकि नींद दिमाग के लिए एनर्जी प्रदान करती है, जो सीखने और याद करने के लिए जरूरी होती है.
याद की समस्या कम नींद से याददाश्त कमजोर हो सकती है, जिससे परीक्षा के समय या किसी परीक्षा में अच्छे परिणाम हासिल करना मुश्किल हो जाता है.

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