देश – 90 दवाइयों को क्वॉलिटी टेस्ट में किया गया फेल, कुछ को पूरी तरह से किया बैन, जानें पूरी लिस्ट #INA
सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) ने एनएसक्यू सूची को सामने आई है. संगठन के अनुसार, कुल 90 दवाओं की क्वालिटी पर प्रश्न चिन्ह लगाया गया है. इस सूची में करीब 3 दवाएं नकली हैं. इसके साथ 56 दवाओं के सैंपल की गुणवत्ता खराब बताई गई है. इस सूची में पैरासिटामोल और पेन-जी जैसी दवाओं को रखा गया है. नकली दवाओं की पहचान को लेकर हर माह दवाओं के सैंपलों की जांच जारी है. इस दौरान दवाओं के सैंपलों को लैब में जांचा गया. इसके साथ रिपोर्ट को जारी किया गया.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, CDSCO यह तय करता है कि दवाओं की गुणवत्ता अच्छी है या नहीं. खराब दवाओं की पहचान होती है. इसके बाद खराब गुणवत्ता की दवाओं की एक सूची को तैयार किया जाता है. एनएसक्यू की ये कार्रवाई राज्य में जो दवा नियामक होते हैं, उनके सहयोग की गई है. इसकी जांच इसलिए की जाती है ताकि यह पता चल सके कि दवाएं गुणवत्ता के हिसाब से बनी या नहीं.
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ऑर्गेनाइजेशन रैंडम सैंपलिंग किया करता है
सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन रैंडम सैंपलिंग किया करता है. इस दौरान टेस्टिंग में भी कई दवाओं को फेल करार दिया. इन दवाओं की गुणवत्ता बहुत खराब बताई गई है. इस सूची में कुछ कंपनियों हैं. यह दवाएं हैं एंटीएसिड, पैनडी, पैरासिटामोल, ग्लिमपिराइड और हाई बीपी की दवा टेल्मिसर्टन है.
CDSCO की ओर से जिन दवाओं के सैंपल को फेल किया गया है. इसमें एनीमिया की दवा आयरन सुक्रोज, सूजन की दवा मेथासोन, उल्टी की दवा रेबेप्रोजोल और एंटीबायोटिक की दवा एनपोपाक्सासिन के सैंपल बताए जा रहे हैं. हर महीने दवाओं के सैंपलों की जांच हो रही है. कुछ दवाओं को पूरी तरह से बैन किया गया था. दवाओं की गुणवत्ता खराब होने वाली कंपनी को इस मामले में नोटिस जारी किया गया है. दवाओं की गुणवत्ता को सही रखने का निर्देश दिया गया है.
34 जगहों के सैंपलों को चेक किया गया
देशभर से कुल 34 जगहों के सैंपलों को जांचा गया था. इनमें अकेले हिमाचल में तैयार 14 दवाएं मानकों पर खरी साबित हुईं. इनमें डॉक्सीन की दवा सेपकेम, दवा सेफोप्रोक्स, सीएमजी बायोटेक की बीटा हिस्टीन, एलविस फार्मा की दवा अल्सिप्रो भी मानकों पर सही नहीं पाई गई है.
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