देश- Delhi Air Pollution: करिए ये 5 काम, दिल्ली की ‘जहरीली’ हवा हो जाएगी एकदम शुद्ध; एक्सपर्ट ने बताया तरीका- #NA
दिल्ली की सड़कों पर किया जा रहा छिड़काव.
प्रदूषण आज पर्यावरण के लिए ही नहीं बल्कि मानव की सेहत और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक गंभीर चुनौती बन चुका है. इसका सबसे बड़ा कारण है हमारी जीवन शैली, जिसमें प्राकृतिक संसाधनों के प्रति लापरवाही की जा रही है. पर्यावरणविद और स्टैंड विद नेचर के संस्थापक डॉ. लोकेश भिवानी ने बातचीत के दौरान बताया कि अगर हम मात्र 10 साल पहले को याद करें तो क्या कभी प्रदूषण की वजह से स्कूलों की छुट्टियां करने की जरूरत पड़ती थी?
इसका अर्थ है कि इंसान अपने पैरों पर खुद ही बहुत तेजी से कुल्हाड़ी मार रहा है. अगर बहुत जल्द इसे रोका नहीं गया तो मानव सभ्यता का अंत निश्चित है! डॉ. लोकेश भिवानी ने प्रदूषण के कारण, उसे रोकने और उससे बचाव के क्या-क्या उपाय हो सकते हैं, उनके बारे में बात करते हुए कहा कि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सामूहिक प्रयासों की जरूरत है.
पेड़ लगाना और हरियाली बढ़ाना
डॉ. लोकेश भिवानी कहते हैं कि शहरों को बढ़ाने के नाम पर पुराने पेड़ों को तेजी से काटा जा रहा है. सरकारें इसमें सीधे तौर पर शामिल हैं. उनके बदले हजारों की संख्या में पौधारोपण किया जाता है. जो उस बड़े पेड़ की जगह लेने में 10 साल लगाएंगे. ये बहुत विरोधाभासी कार्य है.
कचरा प्रबंधन और जागरूकता
डॉ. लोकेश के मुताबिक, कचरे के सही निपटान और रिसाइकलिंग के लिए व्यापक जागरूकता अभियान चलाना जाना चाहिए. दिल्ली में तो स्वागत ही कचरे के पहाड़ करते हैं और ये हमारी राजधानी है. वहां लगातार खतरनाक गैसें निकलती हैं, आग लगती रहती है.
सार्वजनिक परिवहन और कार-पूलिंग पर जोर
डॉ. लोकेश ने कहा कि निजी वाहनों के ज्यादा उपयोग को सीमित करके सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना चाहिए. जब निजी गाड़ियां कम होंगी तो प्रदूषण भी कम होगा. कार पूलिंग के जरिए एक साथ कई लोग एक गाड़ी में सफर कर सकते हैं, जिससे की निजी गाड़ियां कम चलेंगी और प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी. डॉ. लोकेश ने स्थानीय स्तर पर प्रयास की बात पर जोर देते हुए कहा कि गांवों और शहरों में छोटे स्तर पर सामुदायिक पहलें शुरू करना, जैसे कि तालाबों की सफाई और बारिश के जल का संरक्षण.
पराली जलाने पर रोक, फसल के अवशेषों से बनाएं उर्वरक
डॉ. लोकेश ने बताया कि वायु प्रदूषण को बढ़ाने में पराली जलाना भी शामिल है. किसान फसल के उत्पादन और उसकी कटाई के बाद फसल के जो हिस्से खेतों में बच जाते हैं यानि कि पराली को जला देते हैं. पराली जलने से कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जैसी नुकसानदायक गैसें निकलती हैं, जिससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. पराली से जो धुआं निकलता है, उससे सांस लेने में समस्या होती है. पराली जलाने पर सख्त प्रतिबंध लगने चाहिए. किसानों को ज्यादा से ज्यादा पराली जलाने से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को लेकर जागरूकता बढ़ानी चाहिए.
कारखानों से निकलने वाला धुआं बढ़ाता है प्रदूषण
डॉ. लोकेश मानते हैं कि जैसे-जैसे लोगों की जरूरतें बढ़ रही हैं, वैसे-वैसे आधुनिकता के नाम पर पर्यावरण को नुकसान भी पहुंच रहा है. उद्योगों से निकलने वाला रासायनिक धुआं हवा में मिलकर वायु प्रदूषण के खतरे को बढ़ाता है. ग्रीन हाउस गैसों की वजह से ओजोन परत को भी नुकसान पहुंच रहा है. सूखे पत्तों को जलाने की बजाय उससे खाद बनाकर इस्तेमाल करना चाहिए.
प्रदूषण के मुख्य कारण
डॉ. लोकेश भिवानी का मानना है कि वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण पेड़ों की तेजी से कटाई है. वाहनों से निकलने वाला धुआं और निर्माण कार्यों से धूल और कचरे का सही निपटान न होना है. इन समस्याओं का हल सामुदायिक भागीदारी और प्रशासनिक सहयोग दोनों की पहल से ही संभव हो सकता है. अगर हम सब मिलकर अभी से कदम नहीं उठाएंगे तो आने वाला कल हमारे लिए और भी मुश्किल होगा. वो दिन दूर नहीं जब पानी की तरह ही ऑक्सीजन भी दुकानों पर बिकेगी. हम सब टैंक बांधकर इधर-उधर जा पाएंगे. यह समय है जागरूक होने का और अपने पर्यावरण को बचाने का.
प्रदूषण से उपजे गंभीर हालातों को देखते हुए हुए दिल्ली सरकार एक्शन में है. दिल्ली सरकार में पर्यावरण मंत्री गोपाल राय का कहना है कि दिल्ली में कृत्रिम बारिश की जरूरत है, जिसके लिए केंद्र सरकार से मांग की जा रही है. 12वीं तक के स्कूल बंद किए गए हैं. ऑनलाइन क्लासेज चल रही हैं. दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के खिलाफ ग्रैप-4 की पाबंदियों को लागू किया गया है.
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