देश – End of Earth: ये है महाविनाश की तारीख, इस दिन के बाद शुरू होगा बवाल, सर्वनाश के मिल रहे हैं संकेत #INA

End of Earth: तारीख 12 अगस्त 2026, फिर से लगेगा सूर्य ग्रहण और ये पूर्ण ग्रहण देगा विनाश के संकेत! ज्योतिष के जानकारों की मानें तो ग्रहण की कुंडली और ग्रहों की स्थिति को देखकर ऐसा कहा जा रहा है कि ये समय संकटों से भरा होगा. भारतीय समय के अनुसार ये ग्रहण कर्क राशि में पढ़ेगा और इसके साथ अश्लेषा नक्षत्र का तीसरा चरण सक्रिय होगा. अश्लेषा नक्षत्र नागलोक से जुड़ा है और इसका संकेत विष और जहरीले तत्वों से संबंधित होता है. ज्योतिष में अश्लेषा नक्षत्र जब सक्रिय होता है तो यह किसी विषैली घटना का संकेत देता है. इसका मतलब है कि विषैली बीमारियां या संकट उत्पन्न हो सकते हैं.

बुध और शनि की भूमिका

इस सूर्य ग्रहण के दौरान बुध ग्रह भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. बुध का स्थानांतरण चौथे घर में हो रहा है. बुध ग्रह का संबंध चीजों को अलग करने व्यवस्थित करने और बाधाओं को दूर करने से होता है. बुध के इस स्थानांतरण से यह संकेत मिल रहे हैं कि वैश्विक स्तर पर कई प्रकार की समस्याएं, खासकर स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. बुध के छठे घर से चौथे घर में जाने का अर्थ है कि लोगों के बीच तनाव और विषमताएं बढ़ेंगी.

इसके साथ ही शुक्र भी छठे घर में नीच का हो रहा है, जो यह संकेत देता है कि गुर्दे से संबंधित बीमारियां दुनिया भर में बढ़ेंगी. इसके अलावा मंगल ग्रह, जो कि आठवें घर का स्वामी है, तीसरे घर में बैठा है. आठवां घर आनुवंशिक विकारों और जनसंख्या असंतुलन का संकेत देता है. इसका मतलब है कि आने वाले समय में महिलाओं की जन्म दर बढ़ेगी और पुरुषों की जन्म दर घटेगी. साथ ही यह समय आनुवंशिक विकारों जैसे एज़ोस्पर्मिया, पुरुषों में प्रजनन क्षमता की कमी और अन्य विकारों का भी संकेत दे रहा है.

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युद्ध और आने वाले संकटों की तैयारी

2026 के वर्ष को युद्धों और संकटों का वर्ष माना जा सकता है. दुनिया भर के कई देश इस समय संकट में होंगे. 2026 से लेकर 2030 तक यह स्थिति बनी रहेगी और 2030 के मध्य तक कुछ सुधार की संभावना हो सकती है. लेकिन तब तक ये संकट पूरी दुनिया को प्रभावित करेगा. कुल मिलाकर ज्योतिष के विद्वानों का ये मानना है कि ये समय बेहद कठिन होने वाला है. लोगों को जैविक हमलों, युद्धों और विषमताओं का सामना करना पड़ेगा. केवल वे ही लोग बच पाएंगे जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत मजबूत होगी. यह समय विश्व भर में जनसंख्या में भारी कमी का कारण बन सकता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)


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