देश – Khalistan Supporter: "अंग्रेजों कनाडा छोड़ो… हम हैं यहां के असली मालिक!" खालिस्तानी नारे से कनाडा में हलचल, Video #INA

कनाडा में खालिस्तान समर्थकों का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वे श्वेत कनाडाई नागरिकों को “घुसपैठिए” करार देते हुए इंग्लैंड और यूरोप वापस लौटने की सलाह दे रहे हैं. यह घटना ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में आयोजित एक नगर कीर्तन के दौरान घटी, जिसने कनाडा और भारत दोनों देशों में बहस छेड़ दी है.  

वायरल वीडियो में खालिस्तान समर्थक

वायरल वीडियो में खालिस्तान समर्थक यह कहते नजर आ रहे हैं, “हम कनाडा के असली मालिक हैं.” उनका कहना है कि श्वेत नागरिकों को “यूरोप और इज़रायल” लौट जाना चाहिए. यह वीडियो कनाडा के एक स्थानीय पत्रकार डेनियल बोर्डमैन द्वारा ‘X’ पर साझा किया गया. दो मिनट की इस क्लिप में खालिस्तानी समर्थक न केवल श्वेत नागरिकों पर निशाना साधते दिखे, बल्कि कनाडा पर अपने मालिकाना हक का दावा भी करते नजर आए.  

खालिस्तानी झंडे का संदेश  

वीडियो में खालिस्तानी झंडे प्रमुखता से लहराए गए, जबकि कनाडा के झंडों की उपस्थिति लगभग नगण्य थी. यह दृश्य कनाडा की बहुसांस्कृतिक छवि और नागरिकों के अधिकारों पर सवाल उठाने वाला था. खालिस्तान समर्थक खुलेआम बयान दे रहे थे कि यह देश उनका है, और दूसरों को इसे छोड़ देना चाहिए.  

बयान से उठे सवाल  

यह घटना न केवल कनाडा के सामाजिक ताने-बाने बल्कि इसकी राजनीति पर भी असर डाल रही है. खालिस्तानी समर्थकों द्वारा दिया गया यह बयान विवाद का नया कारण बन गया है. यह मुद्दा नागरिकता और अधिकारों के संदर्भ में महत्वपूर्ण सवाल खड़ा करता है.  
कि क्या खालिस्तान समर्थक कनाडा में अपनी पहचान और विचारधारा को लेकर उत्साहित हो रहे हैं? या फिर यह बयान कनाडा के बहुजातीय और बहुसांस्कृतिक समाज के खिलाफ है.  

भारत-कनाडा संबंधों पर असर  

इस घटना ने भारत और कनाडा के पहले से तनावपूर्ण संबंधों को और उलझा दिया है. खालिस्तान समर्थक गतिविधियां भारत के लिए लंबे समय से चिंता का विषय रही हैं. भारत ने कनाडा में खालिस्तानियों की बढ़ती सक्रियता को लेकर कई बार आपत्ति जताई है. वहीं, कनाडा इसे “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” के तहत देखने की कोशिश करता है.  

कनाडा में खालिस्तान का असर

 खालिस्तान समर्थकों का यह बयान कनाडा के नागरिकों और सरकार के लिए एक चेतावनी हो सकता है. ऐसे बयान न केवल देश की सामाजिक स्थिरता बल्कि इसके वैश्विक संबंधों को भी प्रभावित कर सकते हैं. ऐसे विवादास्पद बयान कनाडा के बहुजातीय समाज और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए चुनौती पेश करते हैं. सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर देश की एकता और अखंडता को कोई नुकसान न पहुंचे.  



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