धर्म-कर्म-ज्योतिष – When is Dev Deepawali: देव दीपावली कब है, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और इसका धार्मिक महत्व #INA
When is Dev Deepawali: कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली मनायी जाती है जिसे देवों की दीपावली भी कहते हैं. माना जाता है कि इस दिन स्वर्ग से देवता स्वयं पृथ्वी पर उतरकर दीपों की रोशनी में भगवान की आराधना करते हैं. वाराणसी में गंगा नदी के घाटों पर देव दीपावली का भव्य आयोजन होता है. हर साल यहां लाखों दीपक जलाकर गंगा को अर्पित किए जाते हैं. देव दीपावली पर भगवान शिव और भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना होती है. गंगा की महाआरती का आयोजन होता है जिसमें हजारों लोग शामिल होते हैं और भक्ति भाव से पूजा करते हैं. इस दिन गंगा और अन्य पवित्र नदियों के तट पर दीपदान करने की परंपरा बेहद पुरानी है. दीपदान से पूरे घाट की शोभा बढ़ जाती है. मंदिरों और घरों में भी लोग दीप जलाए जाते हैं.
देव दीपावली कब है? (When is Dev Deepawali)
पूर्णिमा तिथि नवम्बर 15, 2024 को 06:19 ए एम बजे से प्रारंभ हो रही है जो 16 नवम्बर को देर रात 02:58 ए एम बजे तक रहेगी. हिंदू पंचांग के अनुसार, देव दीपावली शुक्रवार के दिन नवम्बर 15, 2024 को मनायी जाएगी.
प्रदोषकाल देव दीपावली मुहूर्त – 05:10 पी एम से 07:47 पी एम बजे का है. आप इस 2 घंटे 37 मिनट के बीच आप दीपदान करें और पूजा करें.
देव दीपावली का महत्व
मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था जिससे देवता प्रसन्न होकर दीप जलाकर आनंद मनाने लगे. तभी से इस दिन को देव दीपावली के रूप में मनाया जाने लगा, जो असुरों पर देवताओं की विजय का प्रतीक है. ऐसी मान्यता है कि देव दीपावली के दिन सभी देवता पृथ्वी पर उतरते हैं और गंगा नदी में स्नान कर दीपों का प्रकाश करते हैं. इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है, जो पापों से मुक्ति और आत्मिक शुद्धि के लिए लाभकारी माना जाता है. देव दीपावली के दिन किए गए पूजा, दान और दीपदानका फल कई गुना अधिक मिलता है. भक्त अपने घरों में दीप जलाकर लक्ष्मीजी का स्वागत करते हैं, जिससे घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है.
गंगा नदी का विशेष महत्त्व
वाराणसी में देव दीपावली का उत्सव विशेष रूप से गंगा घाटों पर मनाया जाता है. लाखों दीपों से सजी गंगा नदी का दृश्य अत्यंत मनोहारी होता है. श्रद्धालु गंगा की आरती और दीपदान करके भगवान शिव, विष्णु और अन्य देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. इस दिन पितरों की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान का आयोजन भी खासतौर पर वाराणसी के घाटों पर किया जाता है. इससे पितृ दोष का निवारण होता है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.
देव दीपावली का पर्व धर्म, आस्था, और भक्ति का प्रतीक है. यह असुरों पर देवताओं की विजय और भगवान शिव की कृपा का दिन है. इस पर्व का धार्मिक महत्व केवल देवताओं की आराधना ही नहीं बल्कि आत्मिक शुद्धि और पितरों की शांति के लिए भी महत्वपूर्ण है. देव दीपावली पर दीप जलाकर सभी भक्त देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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