बाल व्यास मानस जी ने दिलाया अनूठा संकल्प…..मांसाहार मुक्त होगा दुद्धी,व्यास जी

दुद्धी/सोनभद्र:विश्व हिंदू महासंघ के तत्वाधान में श्री रामलीला मैदान पर श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस कथा वाचक बाल व्यास मानस जी महाराज ने कथा के दौरान भक्तों को श्रवण कराया कि भागवत ज्ञान भक्ति को प्रभावित करते हुए नई चेतना का निर्माण करता है,जो भक्त और भगवान के प्रेम को दर्शाता है।जब व्यक्ति किसी संत के मुखर बिंदु से सत्संग सुधा का पान करता है तब वह भगवान के ममत्व की ओर खींचा चला आता है।एक अच्छी बात है कि भगवान की शरण में रहने वाला व्यक्ति दूसरे के दुःख को अपने दुख के ही सामान समझता है जैसे दुष्ट दुर्योधन की मित्रता में आकर अस्वत्थ थामा ने द्रोपदी के पांच पांच पुत्रों को मार डाला द्रौपदी अपनी गर्दन कटे हुए पांचों पुत्रों को अंक में भरे हुए अर्जुन के हाथ जोड़ती है,कि आप अस्वत्थ थामा को मत मारो जितना कष्ट मेरे पांच पुत्रों को मरने से हुआ है उतना कष्ट गुरु द्रोण की पत्नी गुरु माता को अस्वत्थ थामा के मरने के बाद होगा अतः यह उक्ति दर्शाती है कि सत्संग सिखाता है अपने दुःख से दूसरे के दुःख का अंदाजा लगा लेना चाहिए यह भागवत ज्ञान जीवदया सत्य प्रेम करुणा भाव परोपकार का आश्रयकेंद्र है या यूं कहे तो भगवत ज्ञान ही व्यक्ति का मूल घर है और रहना सबको यही है तो मनुष्य का मनुष्य से वैर कैसा क्योंकि भागवत ज्ञान ने कभी मनुष्यता का विभाजन नहीं किया सदैव सबको एक समान देखा इसी लिए भगवान के लीला अवतार का वर्णन करते हुए व्यास भगवान ने संसार के सबसे गंदे जीव सुकर के रूप में अवतार लेकर के यह प्रमाणित किया कि भगवान कण कण में निहित है।एवं भगवान ने संदेश दिया किसी भी जीव को आहार बनाने से पहले भगवान के बारह अवतार को एक बार स्मरण कर ले शायद इसीलिए दुद्धी श्री रामलीला मैदान भागवत कथा के अंतर्गत बाल व्यास जी ने झोली फैलाकर के पंडाल में उपस्थित लोगो से मांग किया कि जीवों पर दया करना शुरू कर दो , व्यास जी के इस सत्संकल्प में हाथ उठाकर के अपनी अपराध की छमा मांगते हुए मांसाहार छोड़ने का संकल्प लिया कथा पंडाल ने बैठे लोगों ने जयकारे लगाते हुए अभिवादन किया। इस दौरान आयोजक समिति के आलावा अयोध्या धाम से पधारे सुदर्शन आचार्य जी महाराज ,नगर पंचायत अध्यक्ष कमलेश मोहन, निरंजन जायसवाल,

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