यूपी- अपनी दुनिया सूनी कर दूसरों के घर को रोशन कर गया बेबस पिता, झकझोर देगी झांसी हादसे की ये कहानी – INA

उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार रात हुई एक दर्दनाक आग की घटना में 10 नवजात शिशुओं की मौत हो गई. यह आग मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (NICU) में लगी, जिससे चारों ओर मातम फैल गया. आग के लगते ही अस्पताल में भगदड़ मच गई. इस दौरान एक पिता याकूम मंसूरी फुटपाथ पर सो रहे थे. आग से मचे शोर के कारण याकूम की नींद टूटी.

इसके बाद शोर सुनकर उन्होंने खिड़की तोड़ी और अंदर घुसकर कई बच्चों को बाहर निकाला. लेकिन वह अपनी दो बेटियों को बचाने में नाकाम रहे. जब अधिकारियों ने उन्हें पहचान के लिए कुछ जले हुए शव दिखाए, तो वह अपनी बेटियों को भी नहीं पहचान पाए. यह घटना रात करीब 10.45 बजे हुई. इस केस को लेकर कई माता-पिता से बात की गई वहा यकूम अंसारी के साथ कई माता पिता ने अपने दर्द बयां किया.

बच्चों के लिए बिलखते नजर आए माता-पिता

फिलहाल इस केस में माना जा रही है कि आग बिजली के शॉर्ट सर्किट के कारण लगी. घटना के बाद मेडिकल कॉलेज के बाहर कई माता-पिता अपने बच्चों के लिए बिलखते नजर आए. कई महिलाओं के चेहरे घूंघट में छिपे हुए थे, लेकिन उनकी चीखों से उनका दुख साफ झलक रहा था. संतोषी नाम की महिला, जिसने सिर्फ 11 दिन पहले बच्चे को जन्म दिया था, कह रही थी कि वह आग लगने पर दौड़कर आई थी, लेकिन उसे किसी ने यह नहीं बताया कि क्या हो रहा है और वह भी अपने बच्चे को बचा नहीं सकी.

आग से 10 बच्चों की मौत

पीड़ितों के मुताबिक, आग के दौरान 10 बच्चों की मौत हो गई, जबकि 16 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए. एक दुखी मां संजना ने बताया कि उसने सात महीने के गर्भ से जन्मे अपने बच्चे को यहां भर्ती कराया था, लेकिन आग की वजह से उसका बच्चा भी मर गया. सोनू नाम के एक अन्य पिता ने कहा कि वह अपने बच्चे को लगभग एक महीने से NICU में भर्ती करवा चुके थे, लेकिन आग में वह भी अपनी जान गंवा बैठा.

उत्तर प्रदेश सरकार ने मृतकों के परिवारों को पांच लाख रुपये की मुआवजा राशि देने की घोषणा की है, साथ ही इस घटना की तीन-स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस दुखद घटना पर शोक व्यक्त किया और मृतकों के परिजनों को दो लाख रुपये की सहायता देने की घोषणा की.

मामले की जांच जारी

इस घटना ने स्वास्थ्य सुविधाओं में सुरक्षा और बचाव प्रबंधन की कमियों को उजागर किया है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए अस्पतालों में सुरक्षा उपायों को और सख्त करने की आवश्यकता है. पुलिस और स्थानीय प्रशासन भी मामले की गंभीरता से जांच कर रहा है, ताकि भविष्य में ऐसी कोई अनहोनी न हो.

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