यूपी- इन माओं को कोई लौटा दे इनके लाल, झांसी अग्निकांड दे गया न भूलनेवाला दर्द – INA

उत्तर प्रदेश के झांसी में महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज है. यहां अस्पताल के एक कोने में एक महिला सुबक रही थी. उसकी सिसकियां अस्पताल पहुंचे मरीजों के आंखों में भी आंसू ला दे रही थी. घरवाले उसे सांत्वना दे तो रहे थे, लेकिन खुद भी रोए जा रहे थे. वहां मौजूद अस्पताल के डॉक्टर और स्टॉफ भी भावुक थे. जब आसपास के लोगों ने वजह जाननी चाही तो पता चला कि शिशु वार्ड में आग लगने से इस महिला ने अपने इकलौते बेटे को खो दिया है.

महिला का नाम संजना था, जिसने अगले शनिवार ही अस्पताल में बेटे को जन्म दिया था. घरवाले काफी खुश थे. क्योंकि सालों बाद ऐसी खुशी उन्हें नसीब हुई थी. संजना से जब बात करने की कोशिश की गई तो घरवालों ने रोक दिया. बस कहा…अस्पताल की लापरवाही ने उनका सबकुछ छिन लिया, इस अस्पताल ने ऐसा जख्म दे दिया, जोकि कभी भी भरने वाला नहीं है.

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वहीं पास में ही एक और महिला थी, जिसका नाम नीलू था. उसने भी अस्पताल में बेटे को जन्म दिया था. वह बेसुध हाल में इमरजेंसी वार्ड में ऐसी बैठी थी, मानो पत्थर हो चुकी थी. घरवालों ने बताया कि काफी मन्नतों के बाद बेटा हुआ था. लेकिन पता नहीं किसकी नजर लग गई. शिशु वार्ड में आग की चपेट में आने से नीलू का बेटा भी गंभीर रूप से झुलस गया था, जिसकी बाद में मौत हो गई.

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अस्पताल में मौजूद मृतक बच्चों के परिजन ने बताया कि जब ये हादसा हुआ तो शिशु वार्ड के अंदर मौजूद स्टॉफ भागने लगे. बच्चों को कौन बचाएगा, इस बारे में किसी ने नहीं सोचा. जब आग लगी, तब ना तो कोई फायर अलार्म बजा और ना ही फायर सेफ्टी इक्विपमेंट ने काम किया. आनन फ़ानन में वार्ड की खिड़कियां तोड़ी गईं और बच्चो को बाहर निकाला गया.

कब हुआ हादसा?

शुक्रवार को रात साढ़े 10 बजे शिशु वार्ड में शॉर्ट सर्किट से आग लग गई. इसके बाद ऑक्सीजन सिलिंडर ब्लास्ट कर गया. इस हादसे में 10 बच्चों की मौत हो गई और 16 गंभीर रूप से जख्मी हो गए. इस हादसे को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ जांच के आदेश दिए हैं. वहीं, मृतक के परिवारों को पांच-पांच लाख रुपये मुआवजा देने का अफसरों को निर्देश दिया है.

अन्य मरीज भी परेशान दिखे

अस्पताल में हुए अग्निकांड से अन्य मरीज भी परेशान दिखे. TV 9 को दो अभिभावक ऐसे मिले, जोकि अपने बच्चे को ललितपुर से इलाज के लिए यहां लाए थे, मगर आग लग गई. घरवालों का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने कह दिया कि निजी अस्पताल बच्चे को ले जाइए. चूंकि वे बेहद गरीब परिवार से थे. लिहाजा कहीं और नहीं जा सके. रात भर ठंड में बच्चे लेकर इलाज के लिए बैठे रहे. फिर टीवी 9 की टीम ने पुलिस अधिकारी से संपर्क कर उन्हें ना सिर्फ़ सूचित किया, बल्कि आग्रह भी किया कि इन बच्चों का इलाज बेहद ज़रूरी है. आखिरकार रातभर से इलाज के लिए इंतजार कर रहे बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया गया.


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