यूपी- इलेक्शन पिटिशन का मसला या कुछ और…यूपी के मिल्कीपुर में उपचुनाव न कराने की असल वजह क्या है? – INA

महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है. इसके साथ उपचुनावों की भी घोषणा हुई है लेकिन चर्चा में उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर सीट है. चुनाव आयोग ने मिल्कीपुर में उपचुनाव नहीं कराने का फैसला किया है. यह सीट फैजाबाद (अयोध्या) से सपा सांसद अवधेश प्रसाद के इस्तीफा देने की वजह से खाली हुई है.

मिल्कीपुर में उपचुनाव न होने को लेकर सवाल उठ रहे हैं. सवाल उठने की 2 वजहें हैं. मिल्कीपुर के साथ खाली हुई यूपी की 9 सीटों पर आयोग ने उपचुनाव की घोषणा कर दी है. सवाल उठने की दूसरी वजह सीट का लोकेशन है. मिल्कीपुर सीट अयोध्या जिले की विधानसभा सीट है, जिसे सियासी गलियारों में हॉट सीट की संज्ञा दी गई है.

योगी और अखिलेश के प्रतिष्ठा की सीट

लोकसभा चुनाव 2024 में मिल्कीपुर से विधायक अवधेश प्रसाद को अखिलेश यादव ने फैजाबाद सीट से उम्मीदवार बना दिया. अवधेश ने इस चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार लल्लू सिंह को धूल चटा दी. फैजाबाद की जीत से अवधेश सपा के पोस्टर बॉय बन गए. लोकसभा में अखिलेश ने उन्हें अपने बगल की सीट दे दी.

अवधेश इसके बाद हर जगह अखिलेश के साथ नजर आने लगे. सपा की जीत से ज्यादा फैजाबाद की हार बीजेपी के लिए चौंकाने वाला था. अयोध्या के बूते ही बीजेपी पूरे देश में 3 अंकों की पार्टी बन पाई.

फैजाबाद चुनाव के परिणाम के बाद बीजेपी ने मिल्कीपुर पर फोकस किया. खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस सीट के प्रभारी हैं. दूसरी तरफ मिल्कीपुर जीतकर अखिलेश बीजेपी को एक और झटका देना चाहते हैं. ऐसे में इस सीट पर चुनाव न होना सवाल खड़े कर रहे हैं.

मिल्कीपुर में उपचुनाव क्यों नहीं?

पहले आयोग की दलीलें जानिए- चुनाव आयोग ने फैजाबाद (अयोध्या) की मिल्कीपुर सीट पर उपचुनाव की घोषणा नहीं की है. एक सवाल के जवाब में मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार का कहना है कि इलेक्शन अंडर पिटिशन होने के कारण हम यहां अभी चुनाव नहीं करा रहे हैं.

राजीव कुमार के मुताबिक बंगाल की बशीरहाट लोकसभा सीट पर भी इसी वजह से उपचुनाव नहीं कराए जाए हैं. बशीरहाट के सांसद का हाल ही में निधन हुआ है.

क्या होता है इलेक्शन पिटिशन?

चुनाव याचिका संसदीय चुनाव परिणामों की वैधता की जांच करने की एक प्रक्रिया है. इसके तहत याचिकाकर्ता विधानसभा, लोकसभा या निकाय चुनाव में जीते हुए किसी भी प्रत्याशी के खिलाफ कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकते हैं. इलेक्शन पिटीशन का जिक्र जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में निहित है.

एडीआर के मुताबिक इलेक्शन पिटीशन फाइल करने के लिए याचिकाकर्ता का उम्मीदवार होना या नामांकन पत्र दाखिल करना अनिवार्य है. इलेक्शन अंडर पिटिशन पर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाता है.

बड़ा सवाल- क्या सिर्फ यही वजह है?

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी के मुताबिक इलेक्शन पिटिशन दाखिल होने के बाद सभी तरह के कागजात सील कर लिए जाते हैं. आयोग इसमें एक पक्ष होता है. कोर्ट में इस पर सुनवाई होती है और कोर्ट का फैसला आने पर आयोग को अमल करना होता है.

मिल्कीपुर को लेकर अब तक कोर्ट से कोई फैसला नहीं आया है. न ही इसकी सुनवाई का कोई अपडेट है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आयोग ने सिर्फ याचिका के आधार पर यह फैसला किया है?

पीआरएस लेजेस्लेटिव के चक्षु राय कहते हैं- 2023 में इस तरह का मामला बॉम्बे हाई कोर्ट पहुंचा था, तब चुनाव आयोग ने इलेक्शन पिटीशन का हवाला देकर ही पुणे में लोकसभा का उपचुनाव नहीं कराने का फैसला किया था.

मार्च 2023 में बीजेपी के सांसद गिरीश बापट का निधन हो गया था, लेकिन आयोग ने पुणे में लोकसभा के उपचुनाव नहीं कराए. हाई कोर्ट में जब सुनवाई शुरू हुई तो आयोग ने अपना हलफनामा दिया. इस पर हाई कोर्ट ने आयोग की फटकार लगा दी.

लंबी सुनवाई के बाद दिसंबर 2023 में हाई कोर्ट ने इस सीट पर उपचुनाव कराने का निर्देश दिया, लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए आयोग को राहत दे दी कि अब लोकसभा के चुनाव नजदीक आ रहे हैं.

जब पूरे मामले की सुनवाई चल रही थी तब विपक्ष ने आरोप लगाया कि बीजेपी की हार न हो जाए, इसलिए चुनाव आयोग यहां उपचुनाव नहीं करा रहा है.

मिल्कीपुर में भी सपा समर्थकों का यही आरोप है. सपा नेताओं का कहना है कि मिल्कीपुर अयोध्या के पास की सीट है. यहां अगर बीजेपी हारती है तो उसकी किरकिरी हो सकती है. बीजेपी की राजनीतिक उत्थान की शुरुआत अयोध्या से ही हुई थी.

हालांकि, 2024 के चुनाव में यहां की फैजाबाद सीट से पार्टी को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा. मिल्कीपुर के विधायक रहे अवधेश प्रसाद सपा के सिंबल पर यहां से सांसद बने. मिल्कीपुर सीट पर सपा ने अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को मैदान में उतारा है.


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