यूपी- कानपुर: DM कंपाउंड में लाश दफन कर पंजाब भागा, होटल में काम किया, मोबाइल से रहा दूर… 4 महीने तक पुलिस को कैसे छकाता रहा जिम ट्रेनर? – INA

उत्तर प्रदेश के कानपुर में चार महीने पहले लापता कारोबारी की पत्नी की हत्या हो गई. पुलिस ने आरोपी जिम ट्रेनर को गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस उससे आगे की जांच के लिए भी पूछताछ कर रही. पूछताछ में आरोपी जिम ट्रेनर विमल ने DM आवास के पास शव को गाड़ने की बात बताई. पुलिस जब उस जगह पर खुदाई कराई तो सच में वहां से एक कंकाल बरामद हुआ.

वहीं घटना वाले दिन से जब जिम ट्रेनर और कारोबारी की पत्नी एकता गायब हुई तो 24 जून को महिला के पति की रिपोर्ट दर्ज कराई. पुलिस ने दोनों के मोबाइल लोकेशन पता करवाई थी. उस समय भी दोनों की लोकेशन नानाराव पार्क मिली थी, जो डीएम आवास परिसर के बिल्कुल बगल में है. एकता के शव को दफनाने के बाद जिम ट्रेनर कानपुर से दूर चला गया. पुलिस को उसके बारे में कुछ भी पता न चले इसलिए वो पंजाब पहुंच गया.

पंजाब के होटल में किया काम

पूछताछ के दौरान आरोपी ने बताया कि वो घटना के बाद से छिपकर अलग-अलग जगह रह रहा था. कुछ दिनों के लिए उसने पंजाब के होटल में भी काम किया था. उस दौरान वो किसी से बात भी नहीं करता था. उसे ऐसे छिपकर और गुमशुम होने के कारण पंजाब के होटल मालिक ने भी उससे पूछा. जिम ट्रेनर किसी न किसी तरह से बात को टाल दिया करता था.

भांजा कपड़े लेकर गया सेंट्रल स्टेशन

पुलिस जिम ट्रेनर के घर पूछताछ के लिए गई तो उसके एक भांजे का नम्बर मिला था. उसके जरिए जिम ट्रेनर की बहन तक पहुंचा गया. पुलिस को पता चला कि रात लगभग आठ बजे भांजा जिम ट्रेनर के कपड़े लेकर सेन्ट्रल स्टेशन गया है.

गिरफ्तारी के बाद अब आरोपी ने बताया कि उसने एकता को उसी दिन मार दिया था. इसका मतलब मारने और शव को गाड़ने के बाद आरोपी विमल सोनी ट्रेन से फरार हो गया था. जबकि, मृतका के घरवाले और पुलिस समझ रही थी कि दोनों एक साथ फरार हुए हैं. फिलहाल, पुलिस लगातार पूछताछ कर रही है.

क्यों लग गए 4 महीने?

आरोपी को पकड़ने में पुलिस को 4 महीने लग गए. उसका सबसे बड़ा कारण यह था कि आरोपी विमल सोनी ने मोबाइल फोन का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं किया. ना तो उसने नॉर्मल कॉल या मैसेज किया और ना ही व्हाट्सएप कॉल. इस वजह से उसकी कोई जानकारी पुलिस को नहीं मिल रही थी.

डीएम आवास परिसर में कैसे गाड़ा शव?

पुलिस अभी भी आरोपी से पूछताछ कर रही है लेकिन एक सवाल अभी भी है कि ऐसी जगह जहां शहर के अधिकारी रहते हो वहां पर जाकर, गड्ढा खोदकर शव को आसानी से गाड़ देना कैसे संभव हुआ?


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