यूपी – काली नदी: छूने लायक भी नहीं रहा पानी, ऑक्सीजन हुई शून्य, खत्म हो रहे जलीय जीव – INA

कभी काली नदी का पानी पीने के काम में आता था। किसान सिंचाई करते थे। लोग कपड़े धोते थे। लेकिन आज इस नदी का पानी छूने काबिल भी नहीं रह गया है। पूरी तरह काला हो चुका है। प्रदूषण नियंत्रण विभाग के मुताबिक इस समय इस नदी का ऑक्सीजन स्तर शून्य है। इससे जलीय जीवों पर भी संकट है। मुजफ्फरनगर के गांव अंतवाड़ा से निकली यह नदी कन्नौज में जाकर गंगा में मिलती है। इस नदी के पानी से गंगा भी दूषित हो रही है। 

काली नदी का मार्ग

यह नदी मुजफ्फरनगर, मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, कासगंज, एटा, फर्रुखाबाद होते हुए कन्नौज में गंगा में जाकर मिलती है। इस बीच न जाने कितने नालों और साै से अधिक फैक्टरियों का दूषित पानी इस नदी में गिरता है। इसके दूषित पानी के कारण आसपास के कई गांवों में पीने का पानी तक खराब हो चुका है। कई गांवों में इस पानी से बीमारी फैल रही है।

जिले के 12 गांव से गुजरती है काली नदी

काली नदी गाजीपुर, ग्वालरा, भवनगढ़ी, चेढ़ौली, खेड़ा, कलाई, मीरपुर का नगला, सिल्ला, विसावलपुर, बरानदी, धरमपुर का नगला और पौथी से होकर गुजरती है। 

हरदुआगंज स्थित बियर फैक्ट्री

ये थीं नदियां

अलीगढ़ में गंगा, युमना, करबन, सेंगर, छोइया, नीम, रुतबा, सिरसा, बड़गंगा और काली नदी थीं।

ये नदियां हुईं विलुप्त

बड़गंगा, सिरसा, रुतबा, सेंगर व छोइया नदी अब विलुप्त हो चुकी हैं।

औद्योगिक-घरेलू कूड़ा बना रहा पानी को जहरीला


एएमयू रसायन विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर अनामिका गुप्ता ने बताया कि नदियों में औद्योगिक और घरेलू कूड़ा-कचरा पानी में क्रोमियम, लेड, आर्सेनिक, कॉपर, जिंक, आयरन जैसे भारी तत्वों की मात्रा को बढ़ाता है। प्रदूषित पानी से जलीय जीवन बुरी तरह से प्रभावित होता है। मछली मरने लगती हैं, अच्छे वैक्टीरिया भी खत्म हो जाते हैं। एएमयू बॉटनी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर गौसिया बशरी ने बताया कि पानी में आक्सीजन के कम हाने से नदियों के पारिस्थितिक तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। नदियों में जलीय जीव, शैवालों की संख्या काफी कम हो जाती हैं, जिससे जलीय जीव जीवित नहीं रह पाते। 
काली नदी अलीगढ़
कैंसर का कारण बनता है क्रोमियम
प्रो अनामिका गुप्ता ने बताया कि क्रोमियम की अधिक मात्रा कैंसर का कारण बनती है। इसकी मात्रा आधिकतम .5 एमजी प्रति लीटर होना चाहिए, लेकिन यह 2.5 एमजी प्रति लीटर तक बढ़ गया है। यह शरीर के पाचन तंत्र व किडनी  को भी खराब करता है। इसके अलावा अन्य केमिकल भी शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे पानी में स्नान करने से विभिन्न तरह के रोग हो सकते हैं। यहां तक की इसमें नहाने वाले जानवरों को भी बीमारियां घेर सकती हैं। इसका पानी अगर जानवर भी पीएंगे तो उनके विकास में बाधा आ सकती है और बीमारियां पैदा हो सकती हैं। पानी में घुलित ऑक्सीजन जितनी ज्यादा होती है, उतना शुद्ध माना जाता है।

शिकायत करने पर भी नहीं हो रही सुनवाई
काली नदी को लेकर कई बार लोगों ने शासन से शिकायत की, लेकिन कुछ दिन की जांच-पड़ताल के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है। इससे समस्या बनी रहती है। अधिवक्ता हर्ष मित्तल ने बताया कि नदी, शहर, औद्योगिक इकाइयों द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण को लेकर कई बार शासन स्तर पर शिकायतें की गईं, लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। फैक्टरियों का दूषित पानी लगातार नदी में गिर रहा है।  लेकिन रोक नहीं लगाई जा रही है।


काली नदी की स्थिति काफी खराब है। जांच में पता चला है कि नदी के पानी में आक्सीजन का स्तर भी शून्य हो चुका है। नदी में प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों पर शिकंजा कसा जाएगा।– राधेश्याम, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, अलीगढ़
जिले में कुछ दशक पहले तक 10 नदियां बहती थीं। गंगा, यमुना, काली नदी को छोड़कर शेष विलुप्त हो चुकी हैं। काली नदी को नदी कहना गलत होगा, क्यांकि अब उसका पानी  इतना दूषित है कि छूने लायक भी नहीं बचा है। नदियों को प्रदूषण से बचाने है तो शहरों के सीवर व नालों का पानी नदियों में जाने से रोकना होगा। गंदे पानी को ट्रीटमेंट प्लांट से साफ करना होगा। अभियान चलाकर नदियों के किनारे पौधारोपण करना चाहिए।
– सुबोध नंदन शर्मा, पर्यावरणविद्
काली नदी अलीगढ़
बोले ग्रामीण
काली नदी का पानी जहरीला हो चुका है। इसे मवेशी नहीं पी सकते। इस पानी से सिंचाई करने पर खेत बंजर हो रहे हैं। उसमें फसल नहीं उगती। भूजल दूषित होने से नलों के पानी की भी गुणवत्ता घटी है, जिससे लोगों को कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का भी सामना करना पड़ रहा है। पहले इस नदी का पानी साफ हुआ करता था। काफी तादाद में मछलियां भी रहती थीं, लेकिन अब नदी का पानी जहरीला और काला होने से मछलियां विलुप्त हो चुकी हैं।– योगेंद्र कुमार, किसान, भवनगढ़ी, हरदुआगंज
काली नदी का पानी इस कदर दूषित हो चुका है कि उससे फसलें खराब हो रही हैं। जमीन भी बंजर हो जाती है। काफी समय पहले पशु नदी में जाते थे। पानी पीते थे, लेकिन अब पानी में केमिकल इतना है कि इसका पानी पीकर पशु बीमार हो जाते हैं। उनमें चर्म रोग हो जाता है। इसलिए पशुपालक पशुओं को लेकर काली नदी की ओर नहीं जाते।- सुनील शर्मा, प्रधान संगठन अध्यक्ष, सिल्ला विसावनपुर, हरदुआगंज
गांव भगोसा व ऊंटासानी में लगी फैक्टरियों का केमिकल युक्त पानी काली नदी में जाने से नदी का पानी जहरीला हो रहा है। नदी में रहने वाले कीडे़ मर चुके हैं। खेतों में पानी लगाने से काफी फसलों में नुकसान होता है। प्रशासन को इसका समाधान करना चाहिए।- वेद प्रकाश, किसान, गांव ऊंटासानी, गंगीरी
पिछले कई सालों में फैक्टरियों का केमिकल युक्त पानी काली नदी में पहुंच रहा है। इस कारण नदी का पानी पूरी तरह जहरीला हो चुका है। नदी के आसपास के गांवों में लोग कैंसर, त्वचा रोग तथा पेट से संबंधित तमाम बीमारियों से ग्रसित रहते हैं। इसके पानी से सिंचाई करने पर फसलें नष्ट हो जाती हैं। यह पानी पशुओं को भी नहीं पला रहे हैं।– अक्षय कुमार, किसान, गांव रामनगर, गंगीरी
काली नदी का पानी अब किसी उपयोग के लिए नहीं है। इसके अलावा यह पानी बीमारियां फैला रहा है। भूजल भी दूषित हो चुका है, इसके चलते हैंपपंप से भी दूषित पानी निकल रहा है, जिससे लोग कैंसर, त्वचा रोग, संक्रामक रोगों से पीड़ित हो रहे हैं। खेतों में फसलें खराब हो रही हैं तथा नदी में जाने से पशु भी बीमार हो जाते हैं।- विजय वीर सिंह लोधी, गांव ढेंकुरा, अतरौली
काली नदी अब लोगों के लिए समस्या बन चुकी है। सरकार को इस पर तत्काल ध्यान देना चाहिए अन्यथा इस नदी का पानी किसी महामारी को भी फैला सकता है। इस नदी का पानी मनुष्यों के साथ, पशुओं, जीव-जंतुओं और पर्यावरण के लिए भी घातक बन चुका है।– यतेंद्र सिंह, गांव खेड़ा, अतरौली


Credit By Amar Ujala

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