यूपी- कुंदरकी में मुस्लिम तुर्क vs मुस्लिम राजपूत…क्या बीजेपी इस नैरेटिव से खिला पाएगी कमल? – INA

उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में मुस्लिम बहुल कुंदरकी सीट पर बीजेपी हर हाल में कमल खिलाने की कवायद में है, जिसके लिए बीजेपी प्रत्याशी ठाकुर रामवीर सिंह को टोपी पहनने और कुरान की आयत पढ़ने से भी परहेज नहीं है. बीजेपी छोड़कर सभी पार्टियों ने मुस्लिम प्रत्याशी उतार रखे हैं. यहां से चुने गए 13 विधायकों में से 9 मुस्लिम तुर्क हैं, जिसके चलते सपा से लेकर बसपा और असदुद्दीन ओवैसी तक ने तुर्कों पर ही दांव खेला है. कुंदरकी में तुर्कों के सियासी वर्चस्व को तोड़ने के लिए बीजेपी मुस्लिम राजपूतों को साधने में जुटी है ताकि तीन दशक का सूखा खत्म कर सके.

कुंदरकी की सियासत पर मुस्लिम तुर्कों का दबदबा रहा है या फिर सहसपुर राज परिवार का. यही वजह है कि अब तक हुए 13 विधानसभा चुनाव में नौ बार मुस्लिम तुर्क विधायक बने हैं तो चार बार सहसपुर राज परिवार के सदस्य जीते हैं. ठाकुर और तुर्क मुस्लिमों के सिवा कोई दूसरा विधायक कुंदरकी में नहीं बन सका. मुस्लिम बहुल सीट होने के चलते कुंदरकी सीट बीजेपी के लिए काफी मुश्किल भरी रही है. 2022 में सपा से जियाउर्हमान बर्क विधायक बने थे, लेकिन संभाल से लोकसभा सांसद चुने जाने के चलते उपचुनाव हो रहे हैं.

कुंदरकी में 12 उम्मीदवार आजमा रहे किस्मत

मुरादाबाद की कुंदरकी सीट पर उपचुनाव में कुल 12 प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं. बीजेपी के ठाकुर रामवीर सिंह को छोड़कर सभी मुस्लिम हैं. समाजवादी पार्टी से पूर्व विधायक हाजी रिजवान, बसपा से रफतउल्ला उर्फ छिद्दा, ओवैसी की AIMIM से मोहम्मद वारिस और चंद्रशेखर आजाद ने आसपा से हाजी चांद बाबू चुनाव लड़ रहे हैं. इसमें सपा, बसपा और ओवैसी ने मुस्लिम तुर्क को उतारा है तो बीजेपी ने ठाकुर पर भरोसा जताया है. बीजेपी प्रत्याशी रामवीर सिंह मुस्लिम राजपूतों को अपने ठाकुर होने की दुहाई देकर भरोसा जीतने का तानाबाना बुन रहे हैं.

कुंदरकी सीट पर करीब 64 फीसदी मुस्लिम वोटर

कुंदरकी सीट पर करीब 64 फीसदी मुस्लिम वोटर है, जो डेढ़ लाख के करीब है. हिंदू समुदाय की तरह मुस्लिम भी अलग-अलग जातियां है. कुंदरकी में 40 हजार के करीब तुर्क मुसलमान हैं, तो एक लाख दस हजार के करीब अन्य मुस्लिम जातियां है. पश्चिम यूपी में राजपूत मुस्लिम भी है, जिन्होंने मुगलों के दौर में धर्म परिवर्तन कर हिंदू से मुस्लिम बन गए थे. कुंदरकी में चौधरी, खां साहब और शेखजादे लगाने वाले जातियां मुस्लिम राजपूत के तहत आती हैं. मुस्लिम राजपूत वोटर कुंदरकी में 45 हजार के आसपास है.

कुंदरकी में मुस्लिम तुर्क vs मुस्लिम राजपूत

सपा से लेकर बसपा और ओवैसी तक मुस्लिम तुर्क को प्रत्याशी बनाया है तो बीजेपी की नजर मुस्लिम राजपूत वोटों को अपने पक्ष में लामबंद करने में जुटी है. बीजेपी के अल्पसंख्यक प्रदेश अध्यक्ष कुंवर बासित अली मेरठ के मुस्लिम राजपूत है. कुंदरकी में बीजेपी प्रत्याशी को जिताने के लिए एक सप्ताह से कैंप कर रखे हैं. बासित अली कहते हैं कुंदरकी में मुसलमान के नाम पर तु्र्कों को कयायत और मुस्लिम राजपूतों के साथ होने वाली सियासत को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इस बात को कुंदरकी सीट के मतदाता बाखूबी समझ रहे हैं. एक देश और एक डीएनए को लेकर हम घर-घर जा रहे हैं और यह बता रहे हैं रामवीर सिंह का डीएनए और मुस्लिम राजपूत का डीएनए तक एक ही है. दोनों ही ठाकुर समुदाय से हैं.

‘मुस्लिम राजपूतों की सभी दलों ने की अनदेखी’

कुंवर बासित अली कहते हैं कि मुस्लिम राजपूतों की सभी दलों ने अनदेखी कुंदरकी में की है इसलिए हिंदू और मुस्लिम दोनों ही राजपूत एक साथ मिलकर रामवीर सिंह के साथ खड़े हैं, क्योंकि यहां पर मुकाबला राजपूत बनाम तुर्क है. सपा के प्रत्याशी हाजी रिजवान मुस्लिम तुर्क हैं तो बसपा के प्रत्याशी भी तुर्क हैं. बीजेपी द्वारा ठाकुर समुदाय से रामवीर सिंह को मैदान में उतारने से यह कदम काफी प्रासंगिक हो जाता है. रामवीर सिंह भी वक्त की नजाकत और सीट के सियासी समीकरण के चलते मुस्लिम वोटों पर ही खास फोकस कर रखा है. मुस्लिम राजपूत गांव में लगातार दौरे कर रहे हैं और उनके साथ अपने रिश्तों व जातीय की दुहाई दे रहे. इतना ही नहीं मुस्लिम को रामवीर सिंह टोपी पहनाते नजर आते हैं तो मुस्लिम के हाथों से खुद भी टोपी पहन रहे हैं.

कुंदरकी के सियासी समीकरण के लिहाज से 64 फीसदी के करीब मुस्लिम मतदाता है. यही वजह है कि बीजेपी सिर्फ एक बार कुंदरकी सीट पर तीन दशक पहले जीती थी, उसके बाद से उसे जीत नहीं मिली है.ऐसे में कुंदरकी जीतना बीजेपी के लिए लोहे के चने चबाने जैसा है. बीजेपी इस बात को जानती है कि हिंदू वोटों के सहारे जीत नहीं दर्ज की जा सकती है, जिसके चलते मुस्लिम वोटों को साधने में लगी है. बासित अली गांव-गांव प्रचार करते हुए नारा लगा रहे हैं ‘न दूरी है, न खाई है, ठाकुर रामवीर हमारा भाई है. इस तरह यह बताने की कोशिश की जा रही है कि ठाकुर और मुस्लिम राजपूत भाई-भाई हैं.

इस्लामिक अंदाज में वोट मांग रहे बीजेपी प्रत्याशी

कुंदरकी में बीजेपी प्रत्याशी रामवीर सिंह मुस्लिम इलाकों में पूरी तरह से इस्लामिक अंदाज में वोट मांग रहे हैं. चुनाव प्रचार के दौरान जैसे ही अजान की आवाज आती है तो रामवीर सिंह भाषण देना बंद कर देते हैं और चुपचाप खड़े रहते हैं. अजान खत्म होने के बाद फिर दोबारा से अपना भाषण वो शुरू करते हैं. अल्पसंख्यक मोर्चे के प्रदेश कुंवर बासित अली कंधे से कंधा मिलाकर चुनाव प्रचार में घूम रहे हैं और मुस्लिम राजपूत इलाकों पर खास फोकस कर रहे हैं. ऐसे में देखना है कि बीजेपी क्या मुस्लिम राजपूतों को साधकर कुंदरकी में कमल खिलाने में कामयाब रहेगी?


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