यूपी- क्या आप पी सकते हैं गंगा का पानी? NGT ने वाराणसी एस. राजलिंगम से पूछा, कहा- क्यों न यहां बोर्ड लगवा देते – INA

एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने वाराणसी में गंगा की सहायक नदियों अस्सी और वरुणा पर हुए अतिक्रमण और प्रदूषण को लेकर सुनवाई के दौरान वाराणसी के डीएम एस. राजलिंगम को फटकार लगाई. याचिकाकर्ता के वकील सौरभ तिवारी ने बताया कि एनजीटी ने डीएम से पूछा कि आप दो साल में गंगा की निर्मलता को लेकर क्या किए? क्यों नहीं वहां बोर्ड लगवा देते हैं कि यहां का पानी नहाने और पीने लायक नहीं है.

इस पर वाराणसी के डीएम एस. राजलिंगम ने कहा कि गंगा की स्वच्छता का मामला शासन से जुड़ा मामला है. अकेले इस मामले में हम फैसला नहीं ले सकते हैं. इस पर एनजीटी ने कहा कि आप हेल्पलेस मत बनिए. आपके पास पॉवर है और उसका प्रयोग करिए. यूपी सरकार के वकील से भी एनजीटी ने कहा कि आप ऐसे लोगों को डिफेंड कर रहे हैं, जिनको डिफेंड ही नहीं कर सकते.

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े थे DM एस. राजलिंगम

एनजीटी के दो सदस्यीय बेंच ने मौखिक तौर पर ये तल्ख टिप्पणी की. जस्टिस अरुण कुमार त्यागी और एक्सपर्ट मेंबर डॉक्टर ए. सेंथिल की बेंच के सामने वाराणसी के डीएम एस.राजलिंगम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े हुए थे. इस मामले में अगली सुनवाई अब 13 दिसंबर को है.

16 शहरों में गंगा में गिर रहा नालों का पानी

एनजीटी ने एक हफ्ते पहले ही अपनी रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश में गंगा प्रदूषण पर चिंता जताते हुए बताया है कि संगम नगरी सहित गंगा किनारे 16 शहरों का सीवेज नालों के जरिए सीधे गंगा में गिर रहा है. इससे जल की गुणवत्ता में गिरावट आ रही है.

एनजीटी ने मुख्य सचिव से चार सप्ताह में हलफनामा दाखिल कर प्रस्तावित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के विवरण सहित नालों को गंगा में गिरने से रोकने के संबंध में सरकार से कार्य योजना की जानकारी मांगी है. इस मामले में अगली सुनवाई महाकुंभ के समय 20 जनवरी 2025 को होगी.


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