यूपी- खत्म हुआ मुशर्रफ का नामोनिशान, भारत में मौजूद जमीन की हुई नीलामी; जानें कितने में बिकी? – INA

उत्तर प्रदेश के बागपत जिले कोताना में मौजूद शत्रु संपत्ति के तहत आने वाली दो हेक्टेयर जमीन को तीन लोगों ने नीलामी में खरीद लिया है. बताया जाता है कि यह जमीन पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के रिश्तेदारों की है. इस जमीन को ऑनलाइन नीलामी में 3 लोगों ने खरीदा है जिसके बाद उन्होंने 25 प्रतिशत पैसा भी सरकार को जमा कर दिया है. परवेज मुशर्रफ के रिश्तेदारों की जमीन काफी वक्त से यहां पड़ी हुई थी.

परवेज मुशर्रफ के पिता मुशर्रफुद्दीन और उनकी मां बेगम जरीन इसी कोताना गांव के रहने वाले थे. इसी गांव में दोनों की शादी हुई थी और शुरुआती वक्त दोनों ने इसी गांव में गुजारा था. हालांकि बाद में मुशर्रफुद्दीन अपने परिवार के साथ दिल्ली में जाकर रहने लगे थे. उनके गांव छोड़कर जाने के बाद भी उनके परिजन यहां पर रह रहे थे और उनके परिवार की जमीन अभी भी यहां पर मौजूद थी. हालांकि उसका केयर टेकर फिलहाल कोई नहीं था.

15 साल पहले प्रशासन की ओर से परवेज मुशर्रफ और उनके परिजनों की इस जमीन को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया था. बागपत जिले में बड़ौत थाना क्षेत्र के कोताना गांव में मौजूद इस जमीन की आखिरकार नीलामी पूरी हो चुकी है. हालांकि अपर जिला मजिस्ट्रेट पंकज वर्मा ने पीटीआई भाषा से बातचीत के दौरान बताया कि कुल आठ प्लॉट यहां पर उपलब्ध थे जिनमें कुल 13 बीघा जमीन है. इसे तीन लोगों ने खरीदा है.

चाचा लंबे वक्त तक रहे

बड़ौत के उप जिलाधिकारी अमर वर्मा ने पहले बताया था कि मुशर्रफ के दादा कोताना गांव में रहते थे. उनके परिवार की संयुक्त जमीन यहां पर मौजूद है. उन्होंने यह भी बताया कि सैयद मुशर्रफुद्दीन और जरीन बेगम इस गांव में नहीं रहे लेकिन मुशर्रफ के चाचा हुमायूं यहां लंबे वक्त तक रहे हैं. गांव में एक घर भी मौजूद है जहां हुमायूं आजादी के पहले रहा करते थे.

1 करोड़ 38 लाख में बिकी

शत्रु संपत्ति में दर्ज इस जमीन को ऑनलाइन बोली में 1 करोड़ 38 लाख 16 हजार रुपये में तीन ग्राहकों ने खरीदा है. नीलामी के बाद उन्हें 25 प्रतिशत पैसा भी जमा करना था जो कि किया जा चुका है. पंकज वर्मा ने बताया कि पूर्व दिवंगत राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के परिजनों की बताई जाती है लेकिन, ऐसा कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है जिसमें कहीं ऐसा जिक्र हो. दस्तावेजों के मुताबिक नुरू नाम के शख्स की यह जमीन थी. ऐसा कोई प्रमाण भी नहीं मिला है कि नुरू परवेज का परिजन था.


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