यूपी- जिस सड़क के लिए 123 मकानों पर चला था बुलडोजर वो अधूरी, SC के आदेश पर एक को मिलेंगे 25 लाख, बाकियों का क्या? – INA

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को यूपी सरकार को आदेश दिया था कि उस व्यक्ति को 25 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए, जिसका घर 2019 में गिराया गया था. कोर्ट के इस फैसले के बाद अन्य पीड़ितों को मुआवजा पाने की आस जगी है. उत्तर प्रदेश के महाराजगंज कस्बे में साल 2019 में हाईवे निर्माण के दौरान 123 लोगों के मकान तोड़े गए थे. इसमें हमीदनगर के मनोज की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया है. इससे अन्य पीड़ितों को मदद पाने की आज जगी है. हैरानी वाली बात ये है कि जिस सड़क निर्माण के लिए बुलडोजर से 123 मकान तोड़े गए थे, वो अभी भी अधूरी है. सक्सेना चौक से लेकर हनुमानगढ़ी चौराहे तक सड़क का काम अधूरा पड़ा है.

पीड़ित ध्यानचंद, दीपक शरण श्रीवास्तव और शैल जायसवाल ने कहा कि कोर्ट ने सबके हितों की रक्षा की है. इस मामले में याचिकाकर्ता मनोज ने अपना मकान टूटने के मामले में वाद दाखिल किया था. उन्होंने साक्ष्य सहित न्यायालय को घटनाक्रम से अवगत कराया था. उन्होंने कहा कि मेरा भी सक्सेना चौक पर मकान और दुकान थी. प्रशासन ने जबरन मकान पर बुलडोजर चलाया था.

अब कोर्ट में केस फाइल किया जाएगा

पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष कृष्ण गोपाल जायसवाल कहते हैं, इसमें तमाम लोगों के मकान टूट गए. किसी ने आवाज नहीं उठाई थी. ध्यानचंद कसौधन कहते हैं कि दुकान पूरी टूट गई है. अब न्यायालय में केस फाइल किया जाएगा. इससे मुआवजा मिलने की उम्मीद है. शहर में सक्सेना चौक से आगे के हिस्से का मकान का कुछ हिस्सा टूटा है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुआवजे और विभागीय कार्रवाई के आदेश का पालन 1 महीने में किया जाए. विभागीय कार्रवाई के अलावा अगर जरूरी हो तो इस तरह से अवैध कार्रवाई करने वालों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा भी दर्ज हो. याचिकाकर्ता मनोज टिबड़ेवाल के अलावा भी जिन लोगों के मकान वहां गिराए गए हैं, राज्य सरकार उनकी जांच करे. यह देखा जाए कि उन मामलों में कानूनी प्रक्रिया का पालन हुआ या नहीं.

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महराजगंज के हमीद नगर के रहने वाले मनोज टिबड़ेवाल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट को 2019 में ही चिट्ठी भेजकर अपने साथ हुई घटना की जानकारी दी थी. उन्होंने बताया कि 13 सितंबर को नेशनल हाईवे निर्माण के दौरान उनका पुश्तैनी मकान गिरा दिया गया था. इससे पहले न तो जमीन का अधिग्रहण हुआ, न ही उन्हें अतिक्रमण को लेकर कोई नोटिस दिया गया था. अचानक मकान तोड़ दिया गया. यहां तक कि घर में रखा सामान हटाने तक का मौका नहीं दिया गया.

रिपोर्ट- विवेक.


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