यूपी – परंपरा के नाम पर भैंसे लड़वाए: सबने देखा… जिम्मेदारों ने किया अनदेखा, मेनका बोलीं- आयोजकों को भिजवाएंगे जेल – INA

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बरेली के कैंट इलाके में परंपरा के नाम पर भैंसों की लड़ाई कराई गई। क्रूरता के इस मामले को सीधे तौर पर धार्मिक आयोजन का नाम देने की कोशिश की गई। दूसरी तरफ, जानकारी मिलने के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी सीधे कार्रवाई से कतराते रहे। यह तो तब हुआ जब पशुओं पर हिंसा और क्रूरता के खिलाफ काम करने वाली संस्था पीपुल फॉर एनीमल्स (पीएफए) ने इसकी शिकायत पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों से भी की।

शनिवार को गोवर्धन पूजा के अवसर पर एक वीडियो सामने आया। उसमें देखा जा सकता है कि किस तरह से भैंसों को लाठियों से चारों तरफ से घेरकर उनको आपस में लड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है। मौजूद भीड़ खूब शोर मचा रही है जोकि साफतौर पर उनके आनंदित होने का प्रतिबिंब है।

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जब भैंसों के घायल होने की स्थिति बनी तो उनको पीटकर अलग भी किया गया। आयोजकों का कहना था कि यह सब परंपरा है, जो कई साल से चल रही है। उनका दावा है कि इसमें कोई भैंसा घायल नहीं हुआ है। पीएफए कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस लड़ाई में कई बार पशुओं की पसलियां तक टूट जाती हैं। वह मरणासन्न तक हो जाता है। 


जांच कराने भेजेंगे टीम- सीएमओ

मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी डॉ. मेघ श्याम का कहना है कि सोमवार को जांच के लिए एक टीम बनाई जाएगी। यह टीम मौके पर जाकर भैंसों की जांच करेगी। अगर कोई भैंसा चोटिल मिला तो कार्रवाई की जाएगी। यह एक परंपरागत आयोजन है। इस पर प्रतिबंध भी है। ऐसे में आयोजकों को नोटिस देकर भविष्य में इसे रोकने के लिए कहा जाएगा। इसके बाद भी आयोजन हुआ तो कार्रवाई करेंगे।

डीएम ने जांच कराई… लेखपाल ने अपनी रिपोर्ट में कहा, आयोजन हुआ

मामला सामने आने पर डीएम रविंद्र कुमार ने मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी मेघ श्याम को जांच सौंपी। क्षेत्रीय लेखपाल ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि गोकुल नगरी, सदर बाजार में दो नवंबर को दोपहर 12:30 बजे से तीन बजे के बीच भैंसों की लड़ाई का आयोजन हुआ है। रिपोर्ट में मोहल्ला अहीर के झाना यादव के जीतने और चेत गौटिया चनेहटा के ब्रिजपाल यादव के हारने की जानकारी भी दी गई है। आयोजकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं हो। इस रिपोर्ट में इसके लिए इशारा कर दिया गया है। 

खबर से संबंधित वीडियो 


इनामी धनराशि के लिए हुई भैंसों की लड़ाई 
पीएफए कार्यकर्ता धीरज पाठक का कहना है कि जिस परंपरा का जिक्र आयोजक कर रहे हैं। वह बैल के खुर के नीचे राक्षस रूपी सूअर को कुचलकर मारने की थी, जोकि बालरूप कृष्ण को मारने के लिए आया था। इस आयोजन को करीब चार साल पहले बंद करा दिया गया था। अब इसकी जगह भैंसों की लड़ाई ने ले ली। इसकी जानकारी मिलने पर पुलिस को सूचना दी थी। पुलिस ने हटवाया भी था। इसके बाद आयोजन की जगह बदल गई। इस लड़ाई में जीतने वाले के लिए इनामी धनराशि भी रखी गई थी।

यह गंभीर, आयोजकों को भिजवाएंगे जेल- मेनका गांधी 
पीएफए की संस्थापक और पूर्व सांसद मेनका गांधी का कहना है कि भैंसों की लड़ाई को पूर्व में बंद कराया गया था। अगर यह दोबारा से शुरू हो गई है तो इसके लिए अधिकारियों से बात कर आयोजकों को जेल भिजवाया जाएगा। पशुओं की लड़ाई पूरी तरह प्रतिबंधित है। कोर्ट भी इस पर प्रतिबंध लगा चुका है। ऐसे में अगर कोई भी इस तरह का आयोजन कर रहा है तो यह गंभीर अपराध है। 


सूचना मिली होती तो आयोजन रोकते
कैंट थानाक्षेत्र के इंस्पेक्टर राजेश कुमार का कहना है कि पीएफए कार्यकर्ताओं या स्थानीय लोगों से इस आयोजन की उनको कोई सूचना नहीं मिली थी। सूचना मिली होती तो आयोजन को रुकवा दिया गया होता। कोई फोन या लिखित शिकायत मेरे पास नहीं आया है।


Credit By Amar Ujala

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