यूपी- प्रदेश अध्यक्ष नजरबंद, 4 सांसद बॉर्डर पर रोके गए…सपा नेताओं के संभल जाने पर रोक – INA

संभल हिंसा पर सियासत जारी है. आज सपा का डेलिगेशन संभल जाने वाला था लेकिन पुलिस ने उसे जाने से रोक दिया. पुलिस ने प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल को घर में नजरबंद कर दिया. इसके अलावा चार सांसदों को भी बॉर्डर पर रोक दिया गया. जिन सांसदों को बॉर्डर पर रोक गया, उनमें मुजफ्फरनगर के सांसद हरेंद्र मलिक, संभल के सांसद जिया उर रहमान वर्क, रामपुर के सांसद मोहिबुल्ला नदवी और मुरादाबाद की सांसद रुचि वीरा शामिल हैं. इन सभी सांसदों को पुलिस ने हाउस अरेस्ट किया गया है. मतलब संभल जाने से रोका गया.

मुरादाबाद में सांसद रुचिवीरा रोकी गईं, लखनऊ में सपा प्रदेश अध्यक्ष को नजरबंद किया गया. नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय को नजरबंद किया गया. हरेंद्र मलिक, जिया उर रहमान वर्क और मोहिबुल्ला नदवी को गाजीपुर बॉर्डर पर गाजियाबाद पुलिस ने रोका.

संभल में कब और क्यों भड़की थी हिंसा?

संभल जिला प्रशासन ने संभल में धारा 163 लगा रखी है. संभल के डीएम ने कहा है कि कोई भी बाहरी व्यक्ति, कोई सामाजिक संगठन या जनप्रतिनिधि जनपद की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना 10 दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा. 24 नवंबर को मस्जिद का दोबारा सर्वे किए जाने के दौरान हिंसा भड़क उठी थी. इस हिंसा चार लोगों की मौत हो गई थी और 25 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.

संभल में कोर्ट के आदेश पर 19 नवंबर को जामा मस्जिद के पहली बार किए गए सर्वे के बाद से ही तनाव की स्थिति बनी हुई है. अदालत ने यह आदेश जिस याचिका पर दिया था, उसमें दावा किया गया है कि जिस जगह पर जामा मस्जिद है वहां पहले कभी हरिहर मंदिर था.

प्रतिबंध लगाना सरकार की नाकामी- अखिलेश

सपा डेलिगेशन को संभल नहीं जाने देने पर अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर निशाना साधा. अखिलेश ने कहा कि प्रतिबंध लगाना भाजपा सरकार के शासन, प्रशासन और सरकारी प्रबंधन की नाकामी है. ऐसा प्रतिबंध अगर सरकार उन पर पहले ही लगा देती, जिन्होंने दंगा-फसाद करवाने का सपना देखा और उन्मादी नारे लगवाए तो संभल में सौहार्द-शांति का वातावरण नहीं बिगड़ता.

सपा प्रमुख ने आगे कहा कि बीजेपी जैसे पूरी की पूरी कैबिनेट एक साथ बदल देती है, वैसे ही संभल में ऊपर से लेकर नीचे तक का पूरा प्रशासनिक मंडल निलंबित करके उन पर साजिशन लापरवाही का आरोप लगाते हुए सच्ची कार्रवाइ करके बर्खास्त भी करना चाहिए और किसी की जान लेने का मुकदमा भी चलना चाहिए. बीजेपी हार चुकी है.




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