यूपी – प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना: आवंटन तो हुआ… फिर भी 1993 परिवारों को नहीं मिल पाया आशियाना – INA

बरेली में खुद का आशियाना पाने की उम्मीद में 1993 परिवार भटक रहे हैं। अधूरे निर्माण और मूलभूत सुविधाओं की कमी की वजह से अभी तक आवास कब्जा देने की स्थिति में नहीं आ सके हैं। बिल्डर भी इन आवास को पूरा करने की जगह आवंटियों द्वारा पैसा जमा नहीं किए जाने का बहाना बना रहे हैं। प्रोजेक्ट फंसते देख अब बैंकों ने भी आवंटियों को होमलोन देने से हाथ खींच लिए हैं।
फर्म | स्थान | आवास | आवंटित |
मेगा ड्रीम्स | कुआंटांडा चौराहे से 500 मीटर . | 1500 | 1336 |
धनराज बिल्डर्स | नैनीताल रोड में मॉडल विलेज के पीछे पिपरिया गांव | 480 | 464 |
मॉडर्न इंफ्रास्ट्रक्टर | डियूलिया हमीरपुर प्राथमिक विद्यालय के सामने | 364 | 193 |
यह थी योजना
शहरी क्षेत्र में रहने वाले गरीबों के लिए वर्ष 2018-19 में निजी क्षेत्र की भागीदारी से प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी लागू की गई। बिल्डर्स को कुछ रियायतें देकर पांच लाख रुपये तक की कीमत पर आवास उपलब्ध कराए जाने थे। तीन बिल्डर्स ने बरेली विकास प्राधिकरण के सामने प्रस्ताव रखा और 2344 आवास बनाने की मंजूरी ली। इनमें से 1993 आवास आवंटित किए जा चुके हैं। लाभार्थियों ने पांच हजार रुपये देकर पंजीकरण कराया। उनको कुल 1.80 लाख रुपये जमा करना था। बाकी के 2.5 लाख रुपये प्रधानमंत्री आवास योजना की सब्सिडी से पूरा किया जाना था।
मैंने अक्तूबर 2023 में आवेदन किया था। दस दिन पहले मेरे पति बीडीए दफ्तर गए थे। कहा गया कि अभी इस पर रोक लगी है। आवास कब मिलेगा? यह स्पष्ट नहीं किया गया। – हिमानी अग्रवाल, आलमगिरीगंज
आवेदन के दौरान बिल्डर के कर्मचारी ने कहा था कि 1.80 लाख का लोन कराएंगे और बाकी पैसा सरकार देगी। आपको आवास मिल जाएगा, लेकिन अभी तक यह नहीं बताया गया कि कब मिलेगा? – विद्या देवी, आजमनगर
पैसे जमा करते समय बिल्डर ने सालभर में आवास देने का वादा किया था, जो पूरा नहीं हुआ। किराये के मकान में रह रहे हैं। आवास मिल जाता तो किराये के रुपये किस्त में जाते और अपना अवास होता। – पुष्पा देवी, आजादपुर
बरेली विकास प्राधिकरण के सचिव योगेंद्र कुमार ने बताया कि कोरोना महामारी की वजह से निर्माण में देरी हुई। बिल्डर्स के साथ बैठक कर उन्हें मार्च 2025 तक निर्माण पूरा करने के आदेश दिए गए हैं, अन्यथा कार्रवाई की जाएगी। सब्सिडी की धनराशि भी शासन से जारी कराने के लिए पत्र भेजा है।
मेगा ड्रीम्स के अजय अग्रवाल ने कहा कि न बीडीए ने समय पर अनुदान दिलाया, न ही लाभार्थी अपना अंश दे सके। बीडीए के वीसी ने बैंकर्स के साथ बैठक कर फाइनेंस कराने का प्रयास किया, लेकिन इसमें अभी सफलता नहीं मिल सकी है। एक प्राइवेट फाइनेंसर ने दस-बारह लोगों के फाइनेंस किए हैं। सिर्फ इतने लोगों को कब्जा नहीं दिया जा सकता है।
धनराज बिल्डर्स के शशांक शर्मा ने कहा कि प्रोजेक्ट को पहले कोरोना ने मारा, फिर सब्सिडी मिलने में देरी से निर्माण अटका। बीडीए ने लोन दिलाने के लिए प्रयास किए, पर लाभार्थियों के पास इनकम टैक्स रिटर्न व अन्य जरूरी कागजात नहीं थे। इसलिए बैंकर्स भी हाथ खींच रहे हैं। योजना फंसी हुई है। शासन को इसमें सहयोग करना चाहिए।