यूपी- बुंदेलखंड के अनोखे हनुमान जी, प्रतिदिन चावल जितनी बढ़ती है बजरंगबली की मूर्ति! – INA

देश में पवन पुत्र हनुमान के असंख्य मंदिर हैं लेकिन यूपी के हमीरपुर जिले के चंदपुरवा के जंगलों में बना बजरंगबली का एक ऐसा अनोखा मंदिर है. जहां बजरंगबली की रखी मूर्ति हजारों साल पुरानी और जमीन की गहराई से निकली हुई है. वहीं पाताली बजरंगबली की खास बात यह है कि यह अनोखी मूर्ति दिन प्रति दिन एक चावल के दाने जितना बढ़ती है. हर साल कार्तिक पूर्णिमा के बाद यहां विशाल मेला लगता है, जिसमें दूर दराज से हजारों श्रद्धालु यहां आकर बजरंगबली की पूजा अर्चना कर अपनी मनोकामनाएं पूरी होने के लिए माथा टेकते हैं.

उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिला मुख्यालय से 30 किमी दूरी पर ये मंदिर स्थित है, बजरंग बली का यह अद्वितीय मंदिर जिसकी बजरंग बलिी की मूर्ति धीरे-धीरे बढ़ने की वजह से पूरे देश में विख्यात है. जब इस मूर्ति को स्थापित किया गया था तो इस मूर्ति का आकार करीब सवा फुट के आसपास था, लेकीन अब मूर्ति का आकार 2 फुट से ऊपर हो चुका है. इस हनुमान जी के मंदिर को सिद्धपीठों में गिना जाता है और यहां दिल से मांगी हुई हर मुराद पूरी होती है. पाताली बजरंगबली की मूर्ति को उसी स्थान में गहराई में स्थित एक गढ्ढे में ही रखा गया है, जिनके दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु दो दिवसीय मेले में पहुंचते हैं.

इस अनोखी मूर्ति के लिए कहा जाता है कि यहां कभी भीषण जंगल हुआ करता था. जंगली जानवर खुले आम घूमते थे. जिसका खेत था उसने जंगल को काट कर खेती करना शुरू की. इसी दौरान जब उसने खेत में हल चलाया तो उसे एक लाल रंग का पत्थर दिखाई दिया तो उसने उसको निकालने कि कोशिश की, लेकिन वो निकाल नही पाया. शाम होने कि वजह से वो इस मूर्ति को इसी तरह छोड़ कर घर चला गया. रात को उसे बजरंगबली ने सपना दिया कि अब उस मूर्ति को मत खोदना, क्योंकि मेरा एक पैर तो पाताल में है. मुझे इसी स्थान में रहने दो.

ऐसे हुई थी मंदिर की स्थापना

सुबह जब किसान खेत आया तो उसने देखा मूर्ति थोड़ा और ऊपर आ गई है. उसने इसकी जानकारी एक साधू को दी तो साधू ने गांव वालों के साथ मिल कर हनुमान जी प्रतिमा वहीं स्थापित करवा दी. मंदिर के महंत बलराम जी की माने तो बजरंगबली की यह मूर्ति पहले छोटी थी और समय के साथ धीरे-धीरे बड़ी हो रही है. यह जमीन में कितनी गहराई तक है इसका भी अंदाजा नहीं लगाया जा सका है. तभी से यहां पर मंदिर की स्थापना की गई और अब यहां आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु

स्थानीय बुजुर्ग देवीदीन ने बताया कि पूर्वजों ने कहा था कि यह बजरंगबली का मंदिर महाभारत काल से जुड़ा है. यहां पांडवों ने विराट कि नगरी में अज्ञात वाश गुजारने से पूर्व इस इटरा नामक स्थान में आकर प्रभु की आराधना की थी तभी की यह अलौकिक मूर्ति है. उन्होंने कहा कि यहां जो भी भक्त आकर सच्चे मन से श्रद्धा सुमन अर्पित करता है. उस पर बाबा की हमेशा असीम अनुकंपा और कृपा बनी रहती है. यही कारण है कि यहां दूर-दूर से आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.

मूर्ति का एक पैर पाताल में

इटरा बजरंगबली धाम में हर साल कार्तिक पूर्णिमा के बाद पड़ने वाले पहले मंगलवार से दो दिवसीय मेला लगता है. जिसमें हजारों की संख्या में दूर-दराज से आए श्रद्धालु बजरंगबली की पूजा अर्चना करते हैं. 1000 साल पहले धरती के भीतर अनन्त गहराई में स्थित इस मूर्ति का एक पांव अभी भी पाताल में है. बजरंगबली की यह दुर्लभ अलौकिक मूर्ति जो हर वर्ष थोड़ी-थोड़ी बढ़ती रहती है. हमीरपुर जिले के चंद्रपुरवा गांव के जंगल में स्थित इस मंदिर और मेले में लगने वाली भीड़ देखकर इस स्थान के महत्व का अंदाजा लगाया जा सकता है.


Source link

Back to top button
Close
Log In
Crime
Social/Other
Business
Political
Editorials
Entertainment
Festival
Health
International
Opinion
Sports
Tach-Science