यूपी- मजबूरी या सियासत… केशव प्रसाद मौर्य ने क्यों किया था CM योगी के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे से किनारा? – INA

महाराष्ट्र चुनाव में पंकजा मुंडे, अशोक चव्हाण और अजित पवार की पॉलिटिकल मजबूरी तो फिर भी समझ आती है, लेकिन केशव मौर्या ने यूपी के बाद महाराष्ट्र चुनाव में भी बंटोगे तो कटोगे से किनारा कर ये तो जता ही दिया है कि सीएम योगी का नारा उनका अपना व्यक्तिगत नारा है और उसके साथ अनिवार्यतः जाना किसी की कोई मजबूरी नहीं है. महीने भर पहले भी केशव ने इस नारे को पार्टी का नारा बताने से इनकार करते हुए सबका साथ सबका विकास को पार्टी का अधिकृत नारा और पीएम मोदी को पार्टी का अधिकृत नेता बताया था.

अब महाराष्ट्र चुनाव के बीच भी केशव ने वही सब दोहराया है. केशव मौर्या के साथ-साथ बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह और शिवराज सिंह ने भी इस नारे से किनारा कर लिया है. लखनऊ से सांसद और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि न बंटना है न बांटना है बल्कि देश को एकजुट रहना है. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि जुड़ेंगे तो जीतेंगे, आगे बढ़ेंगे. पार्टी के ये सभी वरिष्ठ नेता पीएम मोदी के एक रहोगे तो सेफ रहोगे के साथ दिखाई दे रहे हैं. यूपी के सीएम योगी के नारे बंटोगे तो कटोगे को संघ से समर्थन मिलने के बाद से बीजेपी में हलचल तेज है.

पहले हरियाणा और उसके बाद झारखंड और महाराष्ट्र चुनाव में ये खुलकर सामने आ गया है. बंटोगे तो कटोगे नारे पर यूपी के दोनों डिप्टी सीएम केशव मौर्या और ब्रजेश पाठक के बाद अब लखनऊ के सांसद और पार्टी के सबसे सीनियर लीडर राजनाथ सिंह के भी किनारा कर लेने के बाद ये साफ सन्देश है कि अभी भी देश और उत्तर प्रदेश में सर्वमान्य नेता पीएम मोदी और पार्टी का नारा ‘एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे’ ही है.

नारे से किया किनारा तो योगी को मानेंगे अपना नेता?

उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस समय चर्चा का सबसे बड़ा मुद्दा यही है कि बंटोगे तो कटोगे नारे से किनारा करने वाले दोनों डिप्टी सीएम केशव मौर्या और ब्रजेश पाठक क्या योगी आदित्यनाथ को अपना नेता मानेंगे? सीएम योगी के नारे को संघ से समर्थन मिलने के बाद से यूपी में राजनीतिक परिस्थितियों में भले ही कोई परिवर्तन न दिखाई पड़ रहा हो लेकिन अंदरूनी खींचतान की खबरें तो आ ही रही हैं.

लोकसभा चुनाव में पार्टी की उत्तर प्रदेश में जो दुर्गति हुई उसके बाद से बीजेपी में संगठन बनाम सरकार का विमर्श गढ़ा जाने लगा. केशव मौर्या ने संगठन को सरकार से बड़ा बताकर सीएम योगी की सुप्रिमेसी मानने से इंकार कर दिया था. खुद को और सीएम को भी संगठन से जुड़े होने की वजह से सीएम और डिप्टी सीएम का पद मिलने की बात कही थी. अब एक बार फिर बंटोगे तो कटोगे नारे से किनारा कर केशव यही सन्देश देने की कोशिश में हैं कि योगी आदित्यनाथ हमारे सहयोगी हैं हमारे नेता नहीं हैं. केंद्र और उत्तर प्रदेश दोनों ही जगह पीएम मोदी ही हमारे नेता हैं.

पीएम मोदी के नारे को ही पार्टी की लाइन माना

लखनऊ के सांसद और देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी अब इस नारे से किनारा कर लिया है. बंटने बांटने की जगह वो एकजुट होने की बात कर रहे हैं. इस बयान को भी यूपी की राजनीति में एक बड़े संदेश के तौर पर देखा जा रहा है. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक के विक्रम राव का भी मानना है कि पार्टी के अधिकांश नेता योगी को भीड़ जुटाने वाले करिश्माई नेता के तौर पर तो स्वीकार करते हैं लेकिन वो योगी जी को अपना नेता मानने के लिए तैयार नही हैं. वो अभी भी पीएम मोदी को ही अपना नेता और उनके नारे को ही पार्टी की लाइन मानते हैं.

फिलहाल इस पूरे राजनीतिक घटनाक्रम में पार्टी आलाकमान की तरफ से न तो कोई बयान आया है और न ही कोई संदेश देने की कोशिश हुई है लेकिन इससे उन लोगों को तो झटका लगा ही है जो योगी आदित्यनाथ जी को पीएम मोदी के बाद पार्टी का सबसे बड़ा नेता बता रहे थे.

हालांकि, नारे से किनारा करने वाले केशव प्रसाद मौर्य ने कुछ ही घंटों में यूटर्न भी ले लिया. रविवार को उन्होंने कहा कि ‘एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे, बटेंगे तो कटेंगे’ हम सभी कार्यकर्ताओं की एकजुटता और संकल्प का प्रतीक हैं. बीजेपी में न मतभेद था, न है, न होगा. यह नारा मुझ जैसे करोड़ों कार्यकर्ताओं के दिल की आवाज है. अंत में वो ये भी कहना नहीं भूले कि बीजेपी का नारा एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे ही है.


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