यूपी- महाकुंभ 2025: हाथी घोड़ा पालकी…गाजे-बाजे के साथ साधुओं का नगर प्रवेश; कालिंदी उत्सव के बाद कुंभ में सजेगा अखाड़ा – INA
सनातन धर्म के तेरह अखाड़ों में से सबसे बड़े श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के साधु संतों ने रविवार को कुंभ नगरी प्रयागराज में नगर प्रवेश किया. हाथी, घोड़ा, पालकी और रथों पर सवार एक हजार से अधिक साधु संत गाजे-बाजे के साथ झूंसी के रामापुर से चलकर यमुना तट पर स्थित श्रीमौज गिरि आश्रम तक पहुंचे. यह साधु संत एक महीने तक इसी आश्रम में प्रवास करते हुए एक महीने तक कालिंदी उत्सव मनाएंगे. इस दौरान मेला प्रबंधन की ओर से जूना अखाड़ा के लिए जगह आवंटित होने के बाद कुंभ मेला क्षेत्र प्रवेश का आयोजन होगा.
यह जानकारी जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेम गिरि महाराज ने दी. उन्होंने बताया कि इस नगर प्रवेश में जूना अखाड़े से संबंधित विभिन्न प्रांतों के करीब एक हजार साधु संत आए हैं. यह सभी साधु संत दत्तात्रेय जयंती तक श्रीमौज गिरि आश्रम में ही प्रवास करेंगे और कालिंदी उत्सव मनाएंगे. जूना अखाड़े के साथ ही किन्नर अखाड़े के साधु संतों ने भी नगर प्रवेश किया. इनमें आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण, महामंडलेश्वर कौशल्या नंद गिरि समेत दर्जनों की संख्या में अन्य साधु संत शामिल थे.
नगर प्रवेश के दौरान साधुओं का हुआ भव्य स्वागत
नगर प्रवेश के इस अवसर पर साधु संतों का विभिन्न चौराहों पर पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों तथा जनप्रतिनिधियों ने भव्य स्वागत किया. कहीं संतो को माला पहनाकर स्वागत किया गया तो कहीं रास्ते में फूल बरसाए गए. कीडगंज में महापौर गणेश केसरवानी ने अपने समर्थकों के साथ संतों की आगवानी की. जूना अखाड़ा के संरक्षक और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज के मुताबिक सभी साधु संत दत्तात्रेय जयंती तक श्रीमौज गिरि आश्रम में प्रवास करते हुए यमुना माता की पूजा करेंगे. उन्होंने बताया कि शरद पूर्णिमा के दिन ही जूना अखाड़े के साधु संत रामापुर में आ गए थे.
अमृत कलश के दर्शन कर सकेंगे श्रद्धालु
महाकुंभ 2025 में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक बड़ी खबर है. इस बाद मेले में देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं अमृत कलश के भी दर्शन कर सकेंगे. इलाहाबाद संग्रहालय ने महाकुंभ के दौरान ‘कलश से टपकती अमृत की बूंद’ के दृश्य को प्रतिकृति तैयार की है. संग्रहालय के डिप्टी क्यूरेटर डॉ. राजेश मिश्रा के मुताबिक इसे कुंभ में श्रद्धालुओं के लिए सेल्फी प्वाइंट के तौर पर विकसित किया जा रहा है. संग्रहालय 12 हजार वर्ग फुट जमीन जमीन पर प्रदर्शनी आयोजित करने जा रहा है. इसमें 90 साल की क्रांति को दर्शाया जाएगा.
मेला क्षेत्र में लागू होगा ड्रेस कोड
महाकुंभ में इस बार नाविक से लेकर ड्राइवर तक और गाइड से लेकर दुकानदारों तक के लिए विशेष ड्रेस कोड जारी किया जा रहा है. इन सभी के लिए मेला प्रशासन ने ट्रैक सूट निर्धारित कर दिए हैं. इस ड्रेस कोड से इनकी पहचान आसान होगी. यही नहीं, पर्यटक भी आसानी से इनके ड्रेस कोड को देखकर सेवाएं ले सकेंगे. यह जानकारी क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी अपराजिता सिंह ने दी. उन्होंने बताया कि मेला क्षेत्र में काम करने वाले हरेक व्यक्ति का अपना ड्रेस कोड होगा. उन्होंने बताया कि सभी के ट्रैक सूट पर कुंभ और पर्यटन विभाग का प्रतीक चिन्ह होगा.
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