यूपी- मायावती ने यूपी उपचुनाव छोड़ महाराष्ट्र-झारखंड में क्यों लगा दी भतीजे आकाश आनंद की ड्यूटी? – INA

उत्तर प्रदेश में 9 सीटों पर उपचुनाव के बीच बसपा सुप्रीमो मायावती ने आकाश आनंद की ड्यूटी महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा में लगा दी है. बतौर कॉर्डिनेटर अब आकाश आनंद महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव में बीएसपी की रणनीति और कैंपेन से जुड़े कामकाज देखेंगे. मायावती के इस फैसले को लेकर 2 सवाल उठ रहे हैं.

पहला सवाल मध्य प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में फेल होने के बावजूद आकाश आनंद की ड्यूटी महाराष्ट्र और झारखंड में क्यों लगाई गई है. दूसरा सवाल यूपी को लेकर है. यूपी में 9 सीटों पर विधानसभा के उपचुनाव होने हैं, जहां बीएसपी करो और मरो की तर्ज पर लड़ रही है. ऐसे में वहां से उठाकर आकाश को इन दोनों राज्यों में क्यों भेज दिया गया है?

आकाश के नेतृत्व में बुरी तरह हारी बीएसपी

मध्य प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा विधानसभा चुनाव में आकाश ने ही बीएसपी की तरफ से मोर्चा संभाला था, लेकिन तीनों ही राज्यों के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी की करारी हार हुई.

हरियाणा में गठबंधन के बावजूद बहुजन समाज पार्टी को एक भी सीट पर जीत नहीं मिल पाई. वो भी तब, जब 10 से ज्यादा सीटों पर आकाश आनंद ने ताबड़तोड़ रैलियां की थी. खुद मायावती ने भी हरियाणा में रैली एक रैली की.

अब महाराष्ट्र-झारखंड में आकाश की तैनाती

मायावती ने अब महाराष्ट्र और झारखंड में आकाश आनंद की तैनाती की है. दोनों ही जगहों पर बहुजन समाज पार्टी अकेले ही चुनावी मैदान में है. महाराष्ट्र में बीएसपी ने 288 सीटों पर उम्मीदवार उतारा है. यहां सुनील डोंगरे के पास पार्टी की कमान है.

इसी तरह झारखंड में भी बहुजन समाज पार्टी ने सभी सीटों पर उम्मीदवार उतार दिया है. दोनों ही राज्यों में पिछले चुनाव में बीएसपी का खाता नहीं खुला था.

यूपी में भी 9 सीटों पर हो रहे उपचुनाव

उत्तर प्रदेश की कुंदरकी, कटेहरी, सीसामऊ, मझवां, मीरापुर, फूलपुर, खैर, गाजियाबाद और करहल सीट पर उपचुनाव प्रस्तावित है. इन सभी सीटों पर बीएसपी अकेले लड़ रही है. पूर्व से पश्चिमी तक की इन सीटों पर हो रहे उपचुनाव को सत्ता का सेमीफाइनल माना जा रहा है.

बीएसपी इस चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन कर अपनी स्थिति मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रही है. ऐसे में आकाश आनंद के महाराष्ट्र और झारखंड में ड्यूटी लगने से सवाल उठ रहे हैं.

आकाश की ड्यूटी महाराष्ट्र-झारखंड में क्यों लगी?

1. महाराष्ट्र में 2019 में बहुजन समाज पार्टी ने 263 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे. बीएसपी को सीट तो एक भी नहीं मिली थी, लेकिन पार्टी 5 लाख वोट लाने में कामयाब हो गई थी. महाराष्ट्र में दलितों की आबादी करीब 12 प्रतिशत है. मायावती को उम्मीद है कि आकाश इस वोट को बढ़ाने में सफल होंगे. इसी तरह झारखंड का भी हाल है.

इन दोनों ही राज्यों में अगर बीएसपी के वोट बढ़ते हैं तो पार्टी के समर्थक इसे आकाश की जीत बताएंगे और उन्हें सियासी तौर पर प्रमोट करेंगे. मायावती कई सालों से अपने भतीजे को बड़े स्तर पर प्रमोट करने की कवायद में जुटी है, लेकिन मौका नहीं मिल पाया है.

2. यूपी के उपचुनाव में मायावती की पार्टी के लिए सियासी जमीन मुफीद नहीं है. जिन 9 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं. वहां बीजेपी और सपा गठबंधन के बीच सीधी लड़ाई है. मायावती की पार्टी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में जरूर जुटी है, लेकिन अब तक काफी हद तक सफल नहीं हो पाई है.

आकाश के यूपी में प्रचार करने के बावजूद बीएसपी अगर हारती है तो इससे काडर में गलत संदेश जा सकता है. दूसरी तरफ आकाश के मुकाबले चंद्रशेखर लगातार मजबूत हो रहे हैं.

3. मायावती को आकाश के मैच्योर होने का भी इंतजार है. हालिया लोकसभा चुनाव में आकाश के फायरब्रांड भाषण से यूपी की सियासत में खलबली मच गई. आकाश के खिलाफ कई जगहों पर एफआईआर भी दर्ज की गई, जिसके बाद मायावती ने आकाश को साइड लाइन कर दिया.

लोकसभा के बाद मायावती ने फिर से आकाश की संगठन में वापसी कराई. हालांकि, मायावती ने यह जरूर कहा कि आकाश अभी मैच्योर नहीं हैं और उन्हें संगठन के कामों में लगाया जाएगा.


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