यूपी- मीरापुर से कुंदरकी तक 10 पुलिसकर्मी सस्पेंड, क्या अखिलेश ने नतीजे से पहले ही BJP पर बना ली बढ़त – INA

महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं, लेकिन पूरे देश में चर्चा उत्तर प्रदेश उपचुनाव की हो रही है. चुनाव आयोग ने लापरवाही के आरोप में 10 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया है. चुनाव आयोग ने पुलिस पर यह एक्शन अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी की शिकायत के आधार पर लिया है.

यूपी के इतिहास में पहली बार किसी उपचुनाव में इतनी बड़ी संख्या में पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर अखिलेश यादव की वो कौन सी रणनीति थी, जिसके कारण एकसाथ इतनी भारी संख्या में पुलिस के अधिकारी नप गए?

दबाव बनाने में कैसे सफल हुए अखिलेश?

1. खुद एक्टिव हुए, लखनऊ में वार रूम तैयार- लोकसभा चुनाव की तरह ही यूपी के इस उपचुनाव में अखिलेश यादव खुद मोर्चा संभाले नजर आए. अखिलेश ने सुबह 8 बजकर 14 मिनट पर पुलिस पर निशाना साधते हुए पहला पोस्ट किया था. अखिलेश इसके बाद लगातार मुखर रहे. अखिलेश ने कुंदरकी, सीसामऊ और कटेहरी में हुए धांधली को लेकर पोस्ट किया.

उपचुनाव से पहले सपा ने लखनऊ में एक वार रूम टाइप सिस्टम सेट किया था. मतदान के दिन यह पार्टी के लिए काफी ज्यादा ही काम आया. वार रूम में सभी चुनावी इलाकों से वीडियो और फोटो मंगवाए गए. यही वीडियो और फोटो सबूत के तौर पर चुनाव आयोग को भी भेजे जा रहे हैं.

अखिलेश समेत सपा के कई बड़े नेता सोशल मीडिया से लेकर आयोग के दफ्तर तक सक्रिय रहे. खुद अखिलेश ने राज्य निर्वाचन अधिकारी से फोन पर बात की. कहा जा रहा है कि जब यहां से अखिलेश को आश्वासन मिला तो तुरंत प्रेस कॉन्फ्रेंस करने उतर गए.

अखिलेश के प्रेस कॉन्फ्रेंस से चुनाव आयोग हरकत में आ गई और उन अधिकारियों पर कार्रवाई करने का फैसला किया, जिन पर प्रथम दृष्टया गंभीर आरोप लगे थे.

2. कार्यकर्ता भी एक्टिव, पुलिस से भिड़ते नजर आए- नेता को लखनऊ में एक्टिव देख जमीन पर सपा के कार्यकर्ता भी मैदान संभाले नजर आए. कई ऐसे वीडियो सामने आए हैं, जिसमें सपा के कार्यकर्ता और समर्थक पुलिस से भिड़ते नजर आ रहे हैं. यही वीडियो सपा के ट्विटर हैंडल पर भी पोस्ट किए गए.

सपा के साथ-साथ सरकार पर कांग्रेस भी मुखर दिखी. कांग्रेस के नेता भी पुलिस अधिकारियों के कारनामे का वीडियो पोस्ट कर आयोग पर दबाव बनाते नजर आए.

सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने भी इस वीडियो के आधार पर आयोग को घेर लिया. भूषण का कहना था कि देश में पहली बार वोटरों के पहचान पत्र पुलिस के जवान देख रहे हैं.

नतीजे से पहले अखिलेश ने ले ली बढ़त?

यूपी की जिन 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव कराए जा रहे हैं, उनमें से 4 सीटों (सीसामऊ, कटेहरी, कुंदकी और करहल) पर समाजवादी पार्टी ने 2022 में जीत दर्ज की थी. खैर, गाजियाबाद और फूलपुर में बीजेपी जबकि मीरापुर में आरएलडी और मझवां में निषाद पार्टी ने जीत हासिल की थी.

2024 के लोकसभा चुनाव में बढ़त लेने के बाद अखिलेश की नजर 2027 के विधानसभा चुनाव पर है. ऐसे में इन सीटों पर बढ़त बनाए रखना जरूरी है. उपचुनाव में जिस तरह से बीएसपी मजबूत स्थिति में थी और सपा को कांग्रेस का साथ नहीं मिल रहा था, उससे कहा जा रहा था कि अखिलेश की अरमानों पर पानी फिर सकता है.

हालांकि, चुनाव के बीच अखिलेश ने मजबूत मोर्चेबंदी से बीजेपी को बैकफुट पर धकेल दिया.

1. यूपी में अब नतीजे जो भी हो, लेकिन अखिलेश और उनकी पार्टी पूरे चुनाव को प्रशासन का चुनाव बताकर खुद को विजेता घोषित करेगी. 7 पुलिसकर्मियों पर एक्शन के बाद बीजेपी इसका ज्यादा विरोध करने की भी स्थिति में नहीं है.

2. अखिलेश ने प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल यूपी की तीसरी धुरी को लगभग गौण कर दिया है. इस उपचुनाव में कई सीटों पर बीएसपी और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी की स्थिति मजबूत बताई जा रही थी, लेकिन अब चर्चा बीजेपी और सपा की ही है.

23 को आएंगे सभी सीटों के नतीजे

23 नवंबर को सभी 9 सीटों के नतीजे जारी किए जाएंगे. इस बार 9 में से बीजेपी 8 और आरएलडी एक सीट पर चुनाव लड़ रही है, जबकि समाजवादी पार्टी अकेले 9 सीटों पर चुनावी मैदान में है.

हालांकि, अखिलेश यादव को चुनाव में कांग्रेस और ममता बनर्जी की पार्टी का समर्थन जरूर प्राप्त है. मझवां में ममता पार्टी के नेता ललितेश पति त्रिपाठी ने सपा प्रत्याशी के पक्ष में जमकर प्रचार किया है.


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