यूपी- यूपी: फूलपुर से BSP ने बदला कैंडिडेट, शिवबरन पासी की जगह अब जीतेंद्र सिंह होंगे उम्मीदवार – INA

उत्तर प्रदेश में 9 विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को उप चुनाव होने जा रहे हैं , जिसको लेकर सभी राजनीतिक दल जोर शोर से तैयारियों में जुट गए हैं. उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया जा रहा है. वहीं प्रयागराज की फूलपुर विधानसभा सीट पर बहुजन समाज पार्टी ने अपना उम्मीदवार बदलने का फैसला किया है. बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने शिवबरन पासी का टिकट काटकर अब उनकी जगह जीतेन्द्र सिंह को उम्मीदवार बनाया है.

फूलपुर सीट बीजेपी के विधायक रहे प्रवीण पटेल के सांसद बनने के बाद उनके इस्तीफे से खाली हुई है. इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले की उम्मीद जताई जा रही है. पहले बीजेपी और सपा के बीच मुकाबला माना जा रहा था, लेकिन अब बीएसपी ने भी यहां से ताल ठोक दी है. पार्टी ने अपना उम्मीदवार उतारकर मुकाबला रोचक बना दिया है.

सपा ने मुस्तफा सिद्दीकी को दिया टिकट

समाजवादी पार्टी ने फूलपुर सीट से एक बार फिर तीन बार के विधायक रहे मुस्तफा सिद्दीकी को चुनावी मैदान में उतारा है, तो वहीं बीएसपी ने जीतेन्द्र सिंह को टिकट दिया है. हालांकि अभी तक बीजेपी ने इस सीट को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं. बीजेपी की तरफ से पूर्व सांसद केसरी देवी पटेल के बेटे दीपक पटेल यमुनापार की बीजेपी की जिलाध्यक्ष कविता पटेल और डॉ यूवी यादव के नाम की चर्चा जोरों पर है.

कुल मतदाताओं की संख्या 4,06,028

फूलपुर विधानसभा सीट पर मतदाताओं की बात करें तो यहां कुल मतदाताओं की संख्या 4,06,028 है. यहां सबसे ज्यादा अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाता हैं, जिनकी संख्या करीब 75 हजार है. अनुसूचित जाति के बाद यहां सबसे ज्यादा पटेल वोटर्स माने जाते हैं, जिनकी संख्या करीब 70 हजार है. वहीं यादव वोटर्स 60 हजार, मुस्लिम वोटर्स 50 हजार हैं. इसके अलावा ब्राह्मण 45 हजार, निषाद जाति के मतदाता 22 हजार, वैश्य 16 हजार, क्षत्रिय 15 हजार और अन्य करीब 50 हजार हैं. मायावती शुरू से ही मुस्लिम और दलित मतदाताओं को साधने की कोशिश करती रही हैं. ऐसे में उनकी चुनाव में उतरने से यहां तीनों ही पार्टियों के बी वोट बंट सकते हैं.

पिछले लोकसभा चुनाव में बीएसपी का बेहद खराब प्रदर्शन रहा था, ऐसे में अब पार्टी सोच समझकर उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर रही है. पार्टी ऐसे लोगों पर दाव लगा रही है जो चुनाव में जीत दर्ज कर सकें. मायावती जातीय समीकरण को साधने की पूरी कोशिश कर रही हैं. पिछले कई सालों से सत्ता से दूर बीएसपी हर कीमत में अपनी खोई हुई साख को वापस पाने की जुगत में हैं.


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