यूपी- सपा के PDA फॉर्मूले को BJP ऐसे करेगी काउंटर, दलित-ओबीसी रणनीति से बिछाई उपचुनाव की बिसात – INA

उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए बीजेपी ने आखिरकार अपने पत्ते खोल दिए हैं. बीजेपी ने अपने कोटे की 8 में से 7 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है. सीसामऊ सीट को अभी होल्ड रखा है. बीजेपी ने जिस तरह से उम्मीदवार उतारे हैं, उसमें दलित और पिछड़ों पर सबसे ज्यादा दांव खेला है. बीजेपी ने सपा के पीडीए फॉर्मूले को काउंटर करने के लिए 7 में से 5 सीट पर दलित और ओबीसी समाज से कैंडिडेट उतारकर तगड़ी चुनौती देने की रणनीति बनाई है.

बीजेपी ने उपचुनाव के लिए जिन सात सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए हैं, उसमें गाजियाबाद सदर से संजीव शर्मा, खैर सीट से सुरेंद्र दिलेर, कुंदरकी सीट से रामवीर सिंह, मंझवा सीट से सुचिस्मिता मौर्या, फूलपुर से दीपक पटेल, कटेहरी सीट से धर्मराज निषाद और करहल से अनुजेश प्रताप यादव को प्रत्याशी बनाया है. सीसामऊ सीट पर उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया जबकि मीरापुर सीट आरएलडी के खाते में गई है.

बीजेपी ने बिछाई जातीय बिसात

उपचुनाव में बीजेपी ने सीट के जातीय समीकरण के लिहाज से उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है. बीजेपी ने उपचुनाव में सबसे ज्यादा चार ओबीसी समुदाय से चार प्रत्याशी उतारे हैं तो ब्राह्मण, ठाकुर और दलित समुदाय से भी एक-एक उम्मीदवार दिए हैं. बीजेपी ने ओबीसी समुदाय से जिन चार लोगों को टिकट दिया है, उसमें ओबीसी की चार अलग-अलग जातियां हैं. इस तरह बीजेपी ने सपा के पीडीए फॉर्मूले को पूरी तरह काउंटर करने की स्ट्रैटेजी बनाई है. इतना ही नहीं सवर्ण समुदाय से दो प्रत्याशी दिए हैं, उसमें एक ब्राह्मण और ठाकुर समुदाय पर भरोसा जताया है. बीजेपी ने उपचुनाव में अपने कोर वोटबैंक को साधे रखते हुए ओबीसी को साधने की स्ट्रैटेजी है.

बीजेपी ने जीत के मिजाज से खेला दांव

बीजेपी ने करहल सीट पर यादव वोटों का समीकरण को देखते हुए अनुजेश यादव को उतारा है, जो सपा सांसद धर्मेंद्र यादव के बहनोई है. इस तरह से करहल में यादव वोटों का बिखराव होता है तो फिर सपा के लिए अपना वर्चस्व बचाए रखने की चुनौती होगी. इस तरह करहल सीट पर बीजेपी ने 2002 के चुनाव वाला सियासी दांव चला है, जब यादव कैंडिडेट को उतारकर कमल खिलाने में कामयाब रही थी.

कटेहरी सीट पर बीजेपी ने धर्मराज निषाद को उम्मीदवार बनाया है, जिनका सामने सपा से शोभावती वर्मा चुनाव लड़ रही है. सपा ने कुर्मी समुदाय पर भरोसा जताया है तो बीजेपी ने निषाद प्रत्याशी उतारकर बड़ा दांव चला है. कटेहरी सीट पर कुर्मी और निषाद दोनों ही बराबर-बराबर वोट है, सपा ही नहीं बसपा ने कुर्मी समाज पर दांव खेल रखा है तो बीजेपी ने निषाद प्रत्याशी उतारकर जीत का परचम फहराने की बिसात बिछाई है.

मझवां सीट पर मौर्य बनाम बिंद का दांव

मंझवा सीट से बीजेपी ने पूर्व विधायक सुचिस्मिता मौर्या को उतारा है, जिनका सामना सपा की ज्योति बिंद से है. मझवां सीट पर बिंद, ब्राह्मण और मौर्य समुदाय के वोट बराबर है. सपा ने बिंद समाज पर भरोसा जताया तो बीजेपी ने मौर्य का कार्ड चला है. बीजेपी 2017 में इस रणनीति के तहत मझवां सीट पर जीत का परचम फहराने में कामयाब रही थी. बीजेपी के टिकट पर सुचिस्मिता मौर्या ने बसपा के रमेश बिंद को 41159 मतों से हराया था. मझवां में एक बार फिर से 2017 वाली स्थिति बन गई है.

फूलपुर सीट पर बीजेपी ने दीपक पटेल को प्रत्याशी बनाया है, जिनके सामने सपा से मुज्तबा सिद्दीकी चुनाव लड़ रहे हैं. सपा ने यादव-मुस्लिम केमिस्ट्री बनाने की कोशिश की है तो बीजेपी ने कुर्मी समुदाय पर भरोसा जताया है. बीजेपी कुर्मी दांव से 2017 और 2022 में फूलपुर की चुनावी जंग जीत चुकी है और फिर से उसी विनिंग फॉर्मूले को आजमा रही है.

बीजेपी की ब्राह्मण-ठाकुर-दलित कैमिस्ट्री

बीजेपी ने ओबीसी के साथ-साथ ब्राह्मण, ठाकुर और दलित केमिस्ट्री बनाने की कोशिश की है, जिसके तहत गाजियाबाद सदर पर ब्राह्मण समाज से आने वाले संजीव शर्मा को प्रत्याशी बनाया है, जो महानगर अध्यक्ष हैं. अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट पर बीजेपी ने सुरेंद्र दिलेर को कैंडिडेट बनाया है, जो दलित जाति से आते हैं. खैर सीट दलित सुरक्षित सीट है.

कुंदरकी सीट से बीजेपी ने रामवीर सिंह को उतारा है, जो ठाकुर समुदाय से आते हैं. कुंदरकी सीट से रामवीर सिंह तीन बार चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन अभी तक उन्हें जीत नहीं मिली. मुस्लिम बहुल सीट होने के चलते कुंदरकी में सपा ने पूर्व विधायक हाजी रिजवान पर भरोसा जताया है. इस तरह से एक बार फिर हाजी रिजवान बनाम रामवीर सिंह के बीच मुकाबला बन गया है.

सपा के पीडीए का बीजेपी का काउंटर दांव

उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव को 2027 के विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है. बीजेपी इसी रणनीति के तहत चुनाव लड़ रही है और उम्मीदवारों का सेलेक्शन भी उसी तर्ज पर किया है. बीजेपी ने सपा के पीडीए फॉर्मूले की काट के लिए 7 में से 5 सीटों पर ओबीसी और पिछड़े चेहरे उतारे हैं. पार्टी की रणनीति के तहत सिर्फ दो सीट पर सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को मौका दिया है.

बीजेपी ने उपचुनाव में दलित-ओबीसी दांव चल कर लोकसभा चुनाव में सीटें कम आने से जनता में फैले भ्रम को दूर करने की है. बीजेपी नेतृत्व की पूरी कोशिश है कि यूपी उपचुनाव में शत-प्रतिशत परिणाम बीजेपी के ही पक्ष में आए. इसलिए पार्टी खास रणनीति बनाई है, जिसके लिए निषाद पार्टी को सीट देने के बजाय खुद लड़ना बेहतर समझा. सपा के पीडीए फार्मूले को काउंटर करने के लिए ही हर सीट के जातीय समीकरण को साधने के लिहाज से प्रत्याशी उतारे हैं.


Source link

Back to top button
Close
Crime
Social/Other
Business
Political
Editorials
Entertainment
Festival
Health
International
Opinion
Sports
Tach-Science
Eng News